जानिए इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन के अंतिम दिनो की कहानी

सद्दाम हुसैन (फाइल फोटो)

तीन दशकों तक इराक पर शासन करने वाले सद्दाम को 69 वर्ष की आयु में फांसी पर चढ़ा दिया गया था। सुनवाई शुरू होने से पहले सद्दाम जब बगदाद में थे तब 551वीं मिलिट्री पुलिस कंपनी के अमेरिकी सैनिकों का समूह उनकी निगरानी में तैनात था। सैनिक अपने समूह को दी सुपर टवेल्व कहते थे। रिपोर्टस के मुताबिक सद्दाम की निजी सुरक्षा में तैनात इन 12 अमेरिकी सैनिकों के बीच पहले छह महीने एक जुड़ाव सा हो गया था। इनका सद्दाम से भी जुड़ाव हो गया जो उनके अंतिम समय तक बना रहा।

दी प्रिजनर इन हिज पैलेस में सद्दाम के आखरी दिनो की कई रोचक बातें प्रकाशित की गई है। किताब के लेखक विल बाडेर्नवेरपेर स्वयं सद्दाम के सुरक्षा में तैनात एक अधिकारी रह चुकें हैं। किताब में बाडेर्नवेरपेर ने लिखा है कि सद्दाम एक कोने में धूल के छोटे से ढेर पर उग आई घास को पानी देना पसंद करते थे। वे उसकी देखभाल ऐसे करते थे जैसे कि वे खूबसूरत फूल हों। अपने भोजन को लेकर वे काफी संवेदनशील थे, नाश्ता कई हिस्सों में लेते थे। पहले आमलेट खाते थे, फिर मफिन और उसके बाद ताजे फल। आमलेट कटाफटा हो तो वे खाने से मना कर देते थे। उन्हें मिठाईयां बहुत पसंद थी।

जब सद्दाम के बेटे ने एक दल पर गोलीबारी कर दी थी

सुरक्षा कर्मियों के जीवन में सद्दाम की खासी दिलचस्पी थी। कई सुरक्षाकर्मियों के बच्चे भी उनके साथ रहते थे और सद्दाम पिता के तौर पर अपने अनुभवों की कहानियां उन्हें सुनाया करते थे। बच्चों में अनुशासन की उनकी एक कहानी तो याद रखने योग्य है। सद्दाम ने बताया कि उनके बेटे उदय ने एक बड़ी गंभीर गलती कर दी थी जिससे सद्दाम को बेहद गुस्सा आया था। उदय ने एक दल पर गोलीबारी कर दी थी जिसमें कई लोग मारे गए थे और कई घायल हो गए थे। किताब के मुताबिक सद्दाम ने बताया, मुझे बहुत गुस्सा आया और मैंने उसकी सभी कारें जला दी। उन कारों में रॉल्स रॉयस, फरारी और पॉर्श जैसी महंगी कारें भी थी।

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