वामपंथ यानी कम्युनिस्ट विचारधारा। आप इस विचारधारा से सहमत हो सकते है। सहमत नहीं भी हो सकते है। पर, इस विचारधारा को खारिज नहीं कर सकते। क्योंकि, आज एक तिहाई से अधिक भूभाग पर इस विचारधारा का किसी न किसी रुप में प्रभाव मौजूद है। हालिया वर्षो में भारत सहित दुनिया की कई देशो में वामपंथी ताकते कमजोर हुई है। कमजोरी का कारण विचारधारा नहीं है। बल्कि, इसके झंडावदार है। दरअसल, झंडावदारो ने वामपंथ को स्वयं के हित में परिभाषित करके, इसके व्यापकता को संकूचित कर दिया है। जिस विचारधारा को क्रांति की गौरव से अभिभूत होना चाहिए था। वह दुराग्रह का प्रतीक बन गया। जिस विचारधारा को प्रगतिशील होने का गौरव प्राप्त था। आज उसमें जड़ता का बीजारोपण हो गया है। आखिर क्यो? देखिए, इस रिपोर्ट में…
This post was published on दिसम्बर 3, 2021 17:00
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