इसे कहतें हैं गुदरी का लाल

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बिहार में पूर्व विधायक का एक ऐसा परिवार, जो अभाव में जीने को विवश है। रहने के लिए एक अदद घर नहीं है और घर में खाने के लिए प्रयाप्त अन्न नहीं है। जो विरासत में मिला, उसे नदी लील गयी और सरकार ने देने के नाम पर मुंह फेर लिया। इस परिवार को मलाल इस बात का नहीं है कि उज्वला का कनेक्शन नहीं मिला। मलाल इस बात का भी नहीं कि पीएम आवास योजना का लाभ नहीं मिला। बल्कि, मलाल इस बात का है कि पांच साल तक बिहार विधानसभा का सदस्य रहने का पेंशन नहीं मिला। सरकारी नुमाइंदे भूल गए, कोई बात नहीं। अपने ही विरादरी के जन प्रतिनिधि भी भूल जायेंगे, इसकी उम्मीद नहीं थीं। बहरहाल, बांध की जमीन पर, झोपड़ी की ओट में, जीवन की कशमकश को दर्शाती यह रिपोर्ट, एक हकीकत है। हकीकत है, बेलसंड सुरक्षित सीट से तत्कालीन विधायक रहे चुल्हाई पासवान के पुत्र चिंताहरण पासवान की। श्री पासवान का दर्द जब उनकी जुबान से झलका, तब उन्होंने क्या कहा? KKN लाइव के ‘इनसे मिलिए’ सेंगमेंट में आप खुद ही देखिए …

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