राजेश कुमार
उत्तर बिहार की सबसे चर्चित और बिजी शहर या यूं कहें कि उत्तर बिहार की अघोषित राजधानी मुज़फ़्फ़रपुर स्मार्ट सिटी के लिए जद्दोजहद कर रहा है। कारण तो अनेक हैं। अब किन किन कारणों को गिनाया जाय? फिलहाल, यह समझ से परे हो रहा है। मेरी नज़र जहां तक जा पाती है, उसके अनुसार सबसे बड़ी वज़ह यहां गंदगी के अंबार का होना है। जहां भी नज़र डालिये गंदगी ही गंदगी नज़र आती है। सड़को पर फैले नाले की बदबूदार पानी, नालियों का बजबजाते रहना और यत्र- तत्र कूड़ा- कचरा का अंबार। ये सब के सब कारण ही बहुत नही है।
आप स्पस्ट देख सकते हैं रेलवे स्टेशन का प्लेटफार्म हो या विश्रामालय, स्टेशन रोड हो या मुज़फ़्फ़रपुर की हृदयस्थली मोतीझील, टावर हो या अघोरिया बाजार और मेहदी हसन चौक का तो नाम लेना ही बेकार है। कमोवेश पूरे मुज़फ़्फ़रपुर का यही हाल है। इसके अतिरिक्त जाम की समस्या भी मुज़फ़्फ़रपुर के लिए भारी समस्या है। जहां देखो वहीं जाम। लोग जब शहर के लिए घर से निकलते हैं तो ऊपर वाले से ये प्रार्थना जरूर करते हैं कि हे प्रभु, शहर में जाम न मिले।
फल वाले का ठेला कहां लगेगा… रोड पर, चप्पल वाले का ठेला… रोड पर, चाट वाले का ठेला… रोड पर, गाड़ी पार्किंग भी रोड पर। दरअसल, यह हमारी बिकृत समाजिक सोच का नमूना नही, तो और क्या है। बड़ा सवाल ये है कि इसके लिए दोषी कौन है? नगर निगम, पुलिस, सामान्य प्रशासन या आम आवाम? अभी कुछ समय पहले मुज़फ़्फ़रपुर नगर निगम के द्वारा ठेले एवं फेरी वालों को आई कार्ड दिया गया है। ये ठेले वाले जो बिना आई कार्ड के रोड़ पर ठेले लगाते थे, क्या आई कार्ड मिलने के बाद वे अपना ठेला रोड पर नही लगाएंगे?
घर का कचरा सड़क पर फेंकने वालों को इस शहर के स्मार्ट सिटी बनने में सहयोग नही करना चाहिए? कहतें है कि कई लोग जानबूझ कर और अधिकांश लोग अनजाने में जो कर रहें हैं, वह हम सभी के लिए चिंता का बड़ा कारण बन सकता है। लिहाजा, समय रहते इसकी रोकथाम के लिए व्यापक स्तर पर जागरुकता अभियान चलाने की आवश्यकता है।