लोकसभा चुनाव: बिहार की मौजूदा राजनीति एनडीए के गले की फांस तो नहीं

नीतीश कुमार के साथ छोड़ते ही फ्रंडफूट पर आ गया राजद

कौशलेन्द्र झा, KKN न्यूज। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ आने से बिहार में लोकसभा चुनाव के दौरान जबरदस्त प्रदर्शन की उम्मीद पाले भाजपा नेताओं की उम्मीदों पर ग्रहण लगने के संकेत मिलने लगा है। टाइम्स नाऊ और मैट्रिज एनसी के सर्वे ने बिहार में एनडीए नेताओं की नींद उड़ा दी है। हालांकि, यह सर्वे पूरे देश के पैमाने पर किया गया है। यहां हम सिर्फ बिहार की बात कर रहें हैं। सर्वे में 22 फीसदी लोगों का मानना है कि नीतीश कुमार के साथ आने से एनडीए को नुकसान होगा। जबकि, 21 फीसदी लोगों का मानना है कि बहुत हद तक एनडीए को इसका लाभ नहीं मिलेगा। यानी, करीब 43 फीसदी लोगों को नीतीश कुमार से पहले की तरह बेहतर प्रदर्शन करने की उम्मीद नहीं है। हालांकि, 41 फीसदी लोगों का अभी भी मानना है कि इसका लाभ एनडीए को मिलेगा। बतातें चलें कि 28 जनवरी को महागठबंधन से पाला बदल कर नीतीश कुमार एनडीए का हिस्सा बन चुकें हैं। बीजेपी के साथ मिलकर नौवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली। पर, ऐसा लगता है कि इस बार बिहार के अधिकांश लोगों को नीतीश कुमार का पाला बदलना हजम नहीं हो रहा है। हालांकि, इसमें कोई दो राय नहीं है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार की राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल गया है। दूसरी ओर राजद समेत इंडिया गठबंधन के तमाम बड़े नेता फ्रंडफूड पर आ गए हैं।

नीतीश कुमार एनडीए में कब तक रहेंगे

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर बिहार के आम लोगों में कई तरह की चर्चा शुरू हो चुकी है। अव्वल तो ये कि नीतीश कुमार कब तक एनडीए का हिस्सा रहेंगे? टाइम्स नाऊ और मैट्रिज एनसी के सर्वे में इस सवाल को टटोलने की कोशिश की गई है। सर्वे में शामिल 21 फीसदी लोगों का मानना है कि लोकसभा चुनाव के बाद नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन फिर से टूट सकता है। वहीं, 34 फीसदी लोग मानते हैं कि लोकसभा चुनाव तक यह गठबंधन चलेगा। किंतु, 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से नीतीश कुमार पाला बदल सकते हैं। यानी, करीब 55 फीसदी लोग यह मान कर चल रहें हैं कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए में लंबे समय तक नहीं रहेंगे। हालांकि, यहां भी 26 फीसदी लोग यह मान रहें है कि अब बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन अटूट रहने वाला है।

बिहार में एनडीए को होगा लाभ या महागठबंधन को

बिहार की बदली राजनीति फिंजा में लोकसभा चुनाव होने जा रहा है। ऐसे में सवाल उठने लगा हैं कि इसका लाभ किसको मिलेगा? एनडीए अपनी सीट बचा पायेगी या इसमें महागठबंधन सेंधमारी करेगी? टाइम्स नाऊ और मैट्रिज एनसी के सर्वे में इस सवाल का भी जवाब टटोलने की कोशिश की गई है। यहां आपको बतातें चलें कि बिहार में लोकसभा की 40 सीट है। वर्तमान में 39 पर एनडीए का कब्जा है। सर्वे में शामिल लोगों के मुताबिक लोकसभा चुनाव 2024 में एनडीए को बिहार की 40 लोकसभा सीटों में से 35 पर ही बढ़त हासिल होने की उम्मीद है। यानी, सीधे तौर पर कहें तो सर्वे के मुताबिक एनडीए को अभी से चार सीटों का नुकसान होता दीख रहा है। हालांकि, यह आरंभिक संकेत है। नुकसान इससे अधिक भी हो सकता है। सर्वे के मुताबिक इंडिया गठबंधन के खाते में 5 सीट जाने उम्मीद है। यदि इस सर्वे पर यकीन कर लिया जाये तो इंडिया गठबंधन को बिहार में चार सीटों का इजाफा होता दीख रहा है।

बिहार में एनडीए के लिए अच्छे संकेत नहीं

लोकसभा चुनाव 2024 से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा बुलंद कर दिया है। इसमें उन्होंने अकेले बीजेपी के 370 से अधिक सीट जीतने का दावा किया है। पीएम मोदी के द्वारा तय किए गये इस लक्ष्य को पाने के लिए बिहार समेत कई अन्य राज्यों में एनडीए को क्लीन स्वीप करने की चुनौती होगी। बीजेपी के रणनीतिकार यह मान कर चल रहें हैं कि बिहार में नीतीश कुमार के साथ आने के बाद एनडीए की स्थिति मजबूत हो गई है। जेडीयू और बीजेपी के तमाम नेता 40 की 40 सीटें जीतने का दावा भी कर रहे हैं। हालांकि, ताजा सर्वे की माने तो बिहार में ऐसे परिणाम मिलने के आसार बनता हुआ दीख नहीं रहा है। यानी सर्वे रिपोर्ट की माने तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ आने का बिहार में एनडीए के लिए अच्छे संकेत नहीं है। दूसरी और बिहार की प्रमुख विपक्षी दल राजद समेत इंडिया गठबंधन को बैठे- बिठाये बड़ा मुद्दा हाथ लग गया है।

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