फसल पका देख नाचने लगा मन,वैशाखी आज

संतोष कुमार गुप्ता

​हिंदू धर्म मे चैत के बाद वैशाख महिने को खास माना गया है।  वैशाखी का त्योहार पंजाब, हरियाण आदि प्रदेशों में काफी लोकप्पिय है। वहां बड़ी ही धूमधाम व हर्षोल्लास से वैशाखी मनाया मनाया जाता है। प्रतिवर्ष यह त्योहार अप्रैल माह में मनाया जाता है। गुरूवार को वैशाखी को लेकर लोगो का उत्साह परवान पर है।

वैसे तो वैशाखी का पर्व मूलत: फसल पकने की खुशी में मनाया जाता है। इस समय गेंहूं की फसल पक कर तैयार हो जाती है। किसान जब अपनी फसल लहलहाती देखता है, तो उसके मन में अपने आप ही उमंग और उल्लास हिलोरे मारने लगता है। इस खुशी को सभी लोग मिलकर नाच-गाकर मनाते हैं। इसी पर्व का नाम वैशाखी है। पंजाब में तरन-तारन की वैशाखी बहुत प्रसिद्ध है, जहां प्रतिवर्ष भव्य मेले का आयोजन होता है।

इस स्थान पर सन 1768 में सिखों के गुरु श्रीरामदासजी की स्मृति में एक गुरुद्वारा स्थापित किया गया, जिसके साथ एक सरोवर भी है। वहां के लोगों का विश्वास है कि इस पवित्र सरोवर में स्नान करने से सभी असाध्य रोग दूर हो जाते हैं। पंजाब की वैशाखी की विशेष महत्ता है। इस दिन सिखों के दसवें गुरु श्रीगोविंदसिंहजी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी।

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