राजकिशोर प्रसाद
शराबबंदी से उत्साहित महिलाये अब दहेजबन्दी की आवाज उठाने लगी है। दहेजबन्दी के साथ बाल विवाह और नारी ससक्तिकरण की आवाज भी बुलन्द हो हो रही है। विगत दिनो मुख्यमंत्री के लोक संवाद कार्यक्रम में एक युवती ने मुख्यमंत्री नितीश कुमार से दहेजबन्दी की प्रस्ताव देकर इसके लिये अनुरोध की थी। इतना ही नही लोक संवाद में लड़कियो के पूर्ण शिक्षा तक विवाह पर रोक लगाने की वकालत कर दी। जो नितीश के सोच व मन को झकझोड़ कर रख दी। आखिर नितीश ने शुक्रवार की समाज कल्याण विभाग की समीक्षा में इस पर अपनी सहमति की मुहर लगा दी। इतना ही नही महिला ससक्तिकरण निति के लिये बैठक बुलाने और एक्शन प्लान बनाने के फरमान अधिकारियो को दे दी। इससे महिलाओ में फिर से नितीश पर मजबूत भरोसा बढ़ने की उम्मीद है। दहेज़ समाज को नासूर बना रहा। दहेज़ खातिर कितनी महिलाये बली चढ़ गई। कितने घर बर्बाद हो गए। शराब की तरफ दहेज़ ने भी कितनो को बर्बाद किया है। महिलाओ ने फिर नितीश से शराब बन्दी के तर्ज पर दहेजबन्दी करने की अपील की है। हालांकि नितीश ने इसमें थोड़ी सी भी देर किये बिना इस पर अपनी सजगता दिखाई है। वास्तव में शराबबंदी के बाद दहेजबन्दी बाल विवाह बन्द हो जाती है और नारी ससक्तिकरण दृढ हो जाती है तो नितीश महिलाओ के मसीहा के रूप में अवतरित हो सकते है। इसके लिये नितीश ने समाज कल्याण शिक्षा स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास विभाग को दायित्व सौपी है। इन विभागों ने नितीश के फरमान पर अमल शुरू कर दी है। इसे कार्य रूप में परिणत करने में कई कठोर बाधाओं का सरकार को सामना करना होगा। अगर इस भागीरथ प्रयास में सभी दलो का साथ मिले तो वह दिन दूर नही की महिलाओ के ससक्तिकरण की मंजिल मिल जाये।
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