मुआवजा की मांग पर किसानो के अर जाने से खतरा मंडराया
KKN न्यूज ब्यूरो। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की हीलाहवाली और मुआवजा की मांग पर अरे किसानो के बीच जारी रस्साकस्सी के बीच बूढ़ी गंडक नदी के चांदपरना गांव के समीप जर्जर हो चुका तटबंध स्थानीय लोगो के लिए चिंता की बड़ी वजह बन गई है। बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी के साथ ही रेनकट से जर्जर हो चुके चांदपरना तटबंध पर पानी का दबाव बढ़ने लगा है। समाजिक कार्यकर्ता अनील कुमार बतातें हैं कि बांध से रिसाव हुआ तो मुहाने पर मीनापुर थाना और प्रखंड मुख्यालय को बचाना मुश्किल हो जायेगा। झपहां का सीआरपीएफ कैंप भी इसकी जद में होगा। इसके अतिरिक्त एक दर्जन पंचायत की करीब दो लाख की आबादी पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। दूसरी ओर चांदपरना गांव के रीषिकेष राज सहित कई अन्य लोगो ने बताया कि मुआवजा भुगतान होने तक गांव के लोग तटबंध की मरम्मति नहीं होने देंगे।
इधर, जल संसाधन विभाग के अभियंता सुनील कुमार ने स्वीकार किया है कि ग्रामीणो के विरोध की वजह से तटबंध की मरम्मति नहीं हो सकी है। अधिकारी ने बताया कि ग्रामीणो की मांग से उच्चाधिकारी को अवगत करा दिया गया है। उपर से निर्देश मिलने के बाद तटबंध की मरम्मति कर दी जायेगी। इस बीच बूढ़ी गंडक नदी के जलस्तर में हो रही बृद्धि से लोग दहशत में है।
विवाद की असली वजह
वर्ष 1982-83 में बूढ़ी गंडक नदी के रिटायर्ट बांध की मरम्मति के लिए चांदपरना गांव के 105 किसानो से 9.69 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। इसका मुआवजा किसानो को आज तक नहीं मिला। किसान मुआवजा के लिए मुख्यमंत्री के जनता दरबार से लेकर कोर्ट का दरबाजा खट-खटाते रहे। इस बीच चालू वित्तवर्ष में जल संसाधन विभाग ने मुआवजा के लिए 478.20 लाख रुपये स्वीकृति किएं है। किंतु, किसानो को अभी तक एक फुटीकौड़ी नहीं मिला है। इससे गुस्साए किसानो ने मुआवजा मिलने तक बांध की मरम्मति नहीं होने देने का मन बना लिया है।