भागलपुर। बिहार में चावल घोटाले का खुलाशे होते ही सरकार एक बार फिर से बैकफुट पर आ गई है। दरअसल, बिहार के भागलपुर में एसएफसी के बागबाड़ी गोदाम से 5,660 क्विंटल चावल गायब करने का मामला प्रकाश में आया है। इसकी कीमत एक करोड़ 84 लाख 80 हजार रुपए बतायी जा रही है। इसमें बोरा का नुकसान और सफाई कराने की राशि भी शामिल है। इसे लेकर गोदाम के पूर्व एजीएम सह पश्चिम चंपारण के बगहा के आपूर्ति निरीक्षक राजीव रंजन के विरुद्ध बबरगंज थाना में मामला दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
बतातें चलें कि राजीव रंजन वर्ष 2014-15 में बागबाड़ी गोदाम में एजीएम के पद पर पदस्थापित थे। उस समय पैक्सों का 28 हजार 982.62 क्विंटल चावल सीएमआर गोदाम में जमा था। 2015 में राजीव रंजन का स्थानांतरण हो गया था। स्थानांतरण के बाद राजीव तत्कालीन एजीएम महेश्वर सिंह को चार्ज सौंपने में आनाकानी करने लगे। बताया जा रहा है कि अपने को फंसता देख राजीव स्टॉक पंजी के अनुसार कागज पर चार्ज सौंपना चाहता थे। इसके लिए महेश्वर सिंह तैयार नहीं हुए। वह गोदाम का भौतिक सत्यापन कर चार्ज लेना चाह रहे थे। बात नहीं बनी तो राजीव को विभिन्न गोदामों में चावल भेजने को कहा गया, ताकि गोदाम खाली होने पर स्टॉक का पता चल सके। लेकिन राजीव इसके लिए तैयार नहीं हुए और बिना चार्ज सौंपे भागलपुर से चले गए। एसएफसी के जिला प्रबंधक द्वारा विभाग को कई बार पत्र भेजकर चार्ज नहीं सौंपने की जानकारी दी गयी।
जिला प्रबंधक ने बताया कि चावल गबन की जानकारी मुख्यालय को भेजी गयी। मुख्यालय के निर्देश पर पूर्व एजीएम को राशि वापसी के लिए नोटिस भेजा गया था। नोटिस का जवाब नहीं मिलने पर प्रधान सचिव के निर्देश पर उनके द्वारा प्राथमिकी दर्ज करायी जा रही है। मुख्यालय ने गोदाम सफाई पर हुए खर्च की राशि की वसूली का भी निर्देश दिया है। जिला प्रबंधक ने बताया कि बबरगंज थाना में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन भेजा गया था। शाम होने के चलते प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी। स्मरण रहे कि राजीव रंजन पैक्सों से चावल लेने की बजाए बाजार में ही बेच देते थे। पैक्सों को चावल का रिसीविंग देकर कागजात एसएफसी में जमा कर देते थे। उसी रिसीविंग के आधार पर पैक्सों को एसएफसी से राशि मिल जाती थी। 2015 में सबसे अधिक चावल गबन का खेल हुआ है।