दो दशक बाद भी नहीं मिला उद्भव सिंचाई परियोजना का लाभ

उद्भव सिंचाई परियोजना

बिहार के मुजफ्फरपुर जिला अन्तर्गत मीनापुर प्रखंड की मुकसूदपुर पंचायत में उद्भव सिंचाई परियोजना अब किसानों को मुंह चिढ़ाने लगी है। गेहूं की बुआई में जुटे किसान इस परियोजना के ठप होने से आक्रोशित है। किसान स्थानीय अधिकारी से लेकर डीएओ व सीएम से भी गुहार लगा चुके है। किसान वरुण सरकार ने इसी वर्ष अगस्त माह में बिहार लोक निवारण शिकायत अधिनिधम के तहत मामला दर्ज कराया था। इसमें सुनवाई तो हुई लेकिन कार्रवाई शून्य रही ।

 

खर्च 90 लाख और आपूर्ति एक बून्द भी नहीं

मालुम हो कि लघु जल संसाधन विभाग के ओर से वर्ष 1998 में मुकसूदपुर पंचायत के शाहपुर, मानिकपुर व मुकसूदपुर गांव में उद्भव सिंचाई परियोजना के तहत 30 लाख रुपये की लागत से तीन नलकूप का निर्माण हुआ था। किंतु, तकनीकी कारणों से यह चालू नहीं हो सका। किसानों के दबाव पर वर्ष 2015 में विभाग ने तीनों जगह 60 लाख रुपये की लागत से भवन निर्माण करवा कर पाईप लाइन बिछाते हुए ट्रांसफार्मर भी लगा दिया। इस बीच बागमती की पुरानी धारा के सूख जाने से एक बार फिर खेतों में पटवन का सपना सपना ही रह गया। स्मरण रहे कि इस परियोजना के तहत नदी के जल से खेतों में सिंचाई होनी थी।

जमीनदाता भी हुए निराश

इस परियोजना के लिए अपनी जमीन दान देने वाले राजनन्दन राय ने बताया कि योजना के तहत पूरी व्यवस्था दुरुस्त कर दी गई। इस बीच नदी के सूख जाने से किसानों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है। किसान सीताशरण राय बताते है कि इस परियोजना से शाहपुर व मदारीपुर के करीब सौ एकड़ जमीन पर सिंचाई होनी थी। किसान मोहन कुमार ने बताया कि अभी 150 रुपये प्रति घंटा की दर से सिंचाई करवाना पड़ रहा है। किसानों ने बोरिंग करके परियोजना को नए सिरे से चालू करने की सरकार से मांग की है। ऐसा नहीं करने पर किसान आंदोलन को विवश होंगे।

क्या कहते है अधिकारी

लघु सिंचाई प्रमंडल मुजफ्फरपुर के कार्यपालक अभियंता ने जलस्त्रोत के अभाव में परियोजना के बंद होने की बात कही है। अधिकारी ने बोरिंग करके नए सिरे से इसे चालू करने के लिए सरकार को लिखा है। विभाग के कनीय अभियंता को स्थल जांच करने का भी आदेश दिया गया है।

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