बुधवार, जुलाई 16, 2025
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बेटियो को “जीवनदान” दे रही है सादिया और आफरीन

​मीनापुर की “झांसी की रानी” पर नाज है समाज को/ 2012 से दोनो बहने 350 महिलाओ की कोख को कर चुकी है आबाद/ नेउरा की दो बेटिया भ्रूण हत्या के खिलाफ समाज को कर रही है जागरूक/ पटना मे मिल चुका है झांसी की रानी विरता पुरूस्कार

संतोष कुमार गुप्ता

मीनापुर। “मासूम सी कली है खिलने ना पा रही है, पैदा नही हुइ है दुनिया से जा रही है” । यह गीत मीनापुर के गलियो मे सुनाई दे तो जरूर यह आवाज सादिया परवीन और आफरीन खातून की है। नेउरा बाजार से सटे खानेजादपुर गांव के मो तस्लीम की दोनो बेटिया गांव ही नही देश के कोने कोने मे “सेव गर्ल” के लिए नजीर बन गयी है। दोनो बहनो के भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान से मुजफ्फरपुर जिले का

https://youtu.be/14Irjby80Fs

लिंगानुपात सुधर कर 1059 हो गया है। सादिया और आफरीन कोख मे पल रहे बच्चो को नया जीवन दे रही है। गरीबी से जूझ रहे  मो तस्लीम की दोनो बेटियो ने इस अभियान से समाज को नयी दिशा दी है। वर्ष-2012 से पहले पिता तस्लीम की कुछ कहानियो ने दोनो बेटियो को झकझोर कर रख दिया था। पिता ने बताया था कि अब भी उनके समाज मे कैसे बेटियो को नीच दृष्टी से देखा जाता है। कई घरो के बारे मे उन्होने बताया कि वहां बेटी को दुनिया मे आने से पहले ही कोख मे मार दिया जाता था। बेटियो को अच्छी शिक्षा नही दिया जाता था। वर्ष 2012 मे दोनो बहने अपने मौसी के घर जमालाबाद गयी थी। समीप के घर मे ही एक महिला तीन से चार माह की गर्भवती थी। उसको कई बेटी पहले से था। आब्र्सन कराने की चुपके से तैयारी चल रही थी। जब दोनो बहनो को पता चला तो वह उसके यहां धमक गयी। उसने उस महिला को काफी समझाया। उसने महिला को यह कविता “औलाद खुदा की दी हुई अमानत है,जिसको जी ला देकर रौशन नही किया तो इसकी जिम्मेदार आप खुद है” सुनाकर हैरान कर दिया। इसके बाद उस महिला ने बच्चे को सुरक्षित जन्म दिया। गांव से निकल कर शहर के पिछड़ा वर्ग के लिए बने कन्या उच्च विधालय मे दोनो  दी गयी। उस पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाया गया। इसके बाद से दोनो बहनो ने मुड़ कर पीछे नही देखा। बेटी बचाओ-बेटी पढाओ के नारे के साथ साथ दोनो बहने भ्रूण हत्या के खिलाफ अभियान मे उतर गयी । दोनो बहनो की इस अभियान मे उसके अब्बुजान बखूबी साथ निभा रहे है। दोनो का कहना है कि जब बेटी बचेगी तब ही वह पढेगी। शुरूआती दौर मे उसने नेउरा,जमालाबाद,दाउदछपड़ा,रामसहाय छपड़ा सहित दर्जनो गांवो मे महिलाओ के बीच अभियान चलाया। इसके लिए दो दर्जन गीत व बीस कविता को खुद तैयार किया। सदाबहार नगमो की धुन पर महिलाओ को बखूबी समझाया। इसके लिए दोनो बहनो ने कुरान शरीफ,मनु स्मृति व अग्नी पुराण का अध्ययन भी किया है। वह महिलाओ को बताती है कि किसी भी ग्रंथ मे बेटियो को मारने का हक नही दिया गया है। दोनो ने हरियाणा मे अभियान चलाकर गुजर्रो को भी जागरूक किया। वहां अब भी लिंगानुपात बिगड़ा हुआ है। वावजूद वहां नारी को देवी समझा जाता है। सादिया ने इस अभियान को शुरू करने के लिए सिलाई बुनाई का काम घर पर शुरू कर दी। वह अन्य महिलाओ को भी ट्रेनिंग देकर स्वरोजगार से जोड़ने लगी। अभियान व घर चलाने के लिए उसको सिलाई से पैसे आने लगे। वह पढाई भी जारी रखा था। टीइटी करने के बाद सादिया परवीन प्राथमिक विधालय रामसहाय छपड़ा मे टीचर बन गयी है। छोटी बहन आफरीन खातून मैट्रीक टॉपर करने के बाद बीए पार्ट टू मे पढ रही है। वावजूद दोनो बहनो का अभियान जारी है। दोनो बहनो को मानव डेवलपमेंट फाउंडेशन से भी जोड़ दिया गया है। पिछले साल महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र मे मिसाल पेश करने वाली दोनो बहनो को सुशील मोदी व मंगल पांडे ने पटना के एसके मेमोरियल हॉल मे सम्मानित किया था। पिछले महिने दोनो को विधापति भवन पटना मे झांसी की रानी वीरता पुरूस्कार से सम्मानित किया गया। दोनो बहने कहते है कि अल्ट्रासाउंड का बेजा इस्तेमाल बंद हो। इस पर सख्त कानून बने। बेटा बेटी मे भेदभाव नही हो। दोनो बहनो ने अब तक गर्भ मे पल रहे करीब 350 भ्रूण को जमीन पर लाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।

संदिग्ध मौत, कही हत्या तो नही?

कृष्ण माधव सिह
गायघाट। दरभंगा एनएच 57 पर कारी चौक के समीप बीते दिनों सड़क दुर्घटना में गायघाट थाना क्षेत्र के बेला गोपी गांव निवासी लालू सिंह के पुत्र विजय कुमार सिंह की हुई मौत के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने इसे हत्या बतातें हुए जांच की मांग की है। इससे पहले आक्रोशित लोग एनएच 57 को मैठी टोल पलाजा के समीप जाम भी कर करके अपने आक्रोश का इजहार किया था।

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परिजनों ने हत्या की आशंका जताते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की थी। डीएसपी के आदेश पर पहुचे बोचहां थाना प्रभारी ने मृतक के परिजनों को बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद नामजद आरोपितों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। बतादे की बीते 29 दिसंबर को विजय सिंह कारी चौक के पास घायल अवस्था मे सड़क किनारे परे हुए मिले थे। स्थानीय लोगो के सहयोग से इलाज के लिए एसकेएमसीएच में भर्ती कराया गया जहां उसकी मौत हो गई।
मृतक के भाई उदय कुमार सिंह ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के बाद जब घर पर लाया तो देखा कि मृतक के शरीर पर जगह- जगह कई चोट के गंभीर निशान मिलें हैं। मृतक की पत्नी कामनी देवी ने गांव के पांच लोगों के विरुद्ध हत्या की प्राथमिकी दर्ज करने के संबंध में थाना में आवेदन दिया हैं।

कुढ़नी के अनजान वृक्ष का अस्तित्व खतरे में

संजय कुमार सिंह
मुजफ्फरपुर। कुढ़नी प्रखंड के तुर्की स्थित देश के ऐतिहासिक तीन सौ वर्ष वर्ष पुरानी विश्वप्रशिद्ध अनजान वृक्ष का अस्तित्व खतरे में आती दिखाई दे रही है। सरकारी उदासीनता का कोप झेल रहा यह वृक्ष की डाली स्वत: बुधवार की अहले सुबह अचानक टूट कर गिर परा। गांव के लोगों ने सुबह वृक्ष की टूटी डाली को देखकर चिंता जाहिर की है।

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बताया जाता है एक जमाने में इस अनजान वृक्ष की पेड़ में कद्दू की तर्ज पर फल लगता था। किन्तु बाद में फल आनी बंद हो गयी। स्थानीय लोगों ने बताया कि पुराने समय में एक बार कुछ बच्चे पेड़ के फल पर पत्थर मार दिया। उस दौरान पेड़ के नीचे एक साधु रहा करते थे। बच्चों के व्यवहार से खपा साधु ने श्राप दे दी तब से वृक्ष मे फल की जगह फूल ही रहने लगे।
कुछ लोगो का यह भी कहना है की समय बीतने के साथ यह वृक्ष धीरे-धीरे नीचे की ओर धंसती जा रही है। कहा जाता है कि विश्व मे दो हीं पेड़ है एक भारत तो दूसरी अमेरिका में। पौराणिक वृक्ष होने के कारण लोग इसके पेड़ की टहनी व पत्तों को औषधि के रूप में भी इस्तेमाल किया करते हैं। जैसे इसकी पत्ते को बदहजमी व गैस, चर्म रोग समेत दर्जनों बीमारी की दवा के रूप उपयोग किया करते हैं।
ग्रामीण इसकी पत्ते या शाखा को कभी नहीं तोड़ते है। वृक्ष को अपना धार्मिक परंपरा से जोड़कर देखते है। वृक्ष की शाखाएं को कई बार जाँच के लिए कृषि विज्ञान केंद्र में भी ले जाया गया है। समय- समय पर विदेशी पर्यटक भी इस अद्भुत वृक्ष को देखने आते हैं l
इसकी शाखा को काटने के बाद खून जैसा तत्व निकलता है। जिसे लोगों के द्वारा पेड़ को काटने अथवा पत्ते तोड़ने पर विरोध करते हैं। इधर पेड़ की डाली टूटने की सूचना पर कुढ़नी बीडीओ हरिमोहन कुमार स्थानीय मुखिया रीता देवी, संजय पासवान, महेश राय, धर्मेन्द्र कुमार, अबोध, खुर्शीद आलम, बीईओ चक्रवर्ती हरिकांत सुमन व शिक्षक मुनीलाल सागर ने मौके पर पहुंच कर इसका निरीक्षण किया।

खंडहर में मिली नवजात लड़की

रोने की आवाज सुन पहुंचा सिपाही

मध्य प्रदेश ग्वालियर पुलिस को पोहरी इलाके में एक खंडहर के पास एक कपड़े में लिपटी नवजात लड़की रोती हुई मिली। उसकी बॉडी पर चींटियां रेंग रही थीं। सिपाही तत्काल ही उस नवजात लड़की को उठाया और सीधे शिवपुरी के सरकारी हॉस्पिटल पहुंचा दिया। फिलहाल नवजात लड़की ठीक है। पुलिस के मुताबिक किसी ने लड़की पैदा होने पर उसे खंडहर में छोड़ दिया है। ऐसा भी हो सकता है कि यह लड़की किसी की अवैध संतान हो। फिलहाल, इस लड़की को कौन खंडहर में छोड़ गया? पुलिस इसका पता लगाने में जुटी है।

जन्मा जुड़वा और अंतर एक साल का

कैलिफोर्निया। न्यू ईयर पर एक परिवार में दो जुड़वा बच्चों ने जन्म लिया लेकिन दोनों में एक साल का अंतर हो गया। बात हैरान होने की नही है। दरअसल, कैलिफोर्निया में रहने वाली महिला मारिया को 31 दिसंबर की शाम को डिलेवरी के लिए अस्पताल ले जाया गया। मारिया को दो जुड़वा बच्चे हुए, एक लड़का और एक लड़की। लेकिन कमाल की बात ये हुई कि बेटे जोक्विन का जन्म रात में 11:58 पर हुआ, यानी 31 दिसम्बर 2017 और बेटी आइताना का जन्म कुछ देर बाद 12 बजकर 16 मिनट हुआ, यानि 1 जनवरी 2018 को। इसी तरह दोनों जुड़वा भाई-बहन में तकनीकी रूप से एक साल का अंतर हो गया।

बतातें चलें कि मारिया के दोनों बच्चे प्रीमेच्योर बेबी हैं। लेकिन दोनों फिलहाल स्वस्थ हैं। जन्म की तारीख के इस अनोखी हेरफेर के लिए अस्पताल ने परिवार को 3 हजार डॉलर तोहफे के रूप में दिए है। मारिया के परिवार के सदस्यों ने बताया कि पहले उनकी डिलीवरी के लिए 27 जनवरी 2018 की तारीख तय की गई थी। लेकिन 31 दिसंबर की शाम को ही उनकी डिलीवरी करनी पड़ी।

शौच को गय बच्चे की डूबने से मौत

संजय कुमार सिंह
मुजफ्फरपुर। मनियारी थाना क्षेत्र के रघनाथपुर मधुबन पंचायत स्थित सीतारामपुर मनियारी गांव में एन एच 28 के किनारे झुग्गी मे रह रहे फुटपाथी चाय दुकानदार विन्देश्वर साह के पांच वर्षीय पुत्र मुस्कान कुमार की मौत सोमवार को शौच से लौटने के दौरान बगल के गढ़े मे भड़ा पानी में डूबने से हो गया। स्थानीय मुखिया प्रतिनिधि कालीकांत झा ने बताया कि विन्देश्वर साह भूमिहिन के साथ – साथ गरीबी से जुझ रहा है। वो मनियारी टॉल प्लाजा व काजी इंडा चौक के बीच स्थित एनएच 28 सड़क किनारे झुग्गी मे चाय दुकान चलाकर अपनी एक वर्षीय पुत्री व पांच वर्षीय पुत्र व पत्नी का भरन पोशन करता है।

उसके पास न पैसे है न जमीन जिससे व शौचालय विहीन होने से बच्चे समेत खुद पति-पत्नी बाहर ही शौच को जाता था। सोमवार की करीब 11 बजे दिन मे घर मे कुछ बताए बिना मुस्कान शौच को निकल गया। शौच के बाद वह बगल मे जेसीबी से खुदाई की गई गढ़े मे लगे पानी मे चला गया। किन्तु किनारे मे पांच फिट गढ़े होने से उसी पानी मे डूब गया। इधर पिता व मां को पुत्र को काफी देर घर मे नही दिखाई देने पर खोज मे लग गए। जब उस गढ़े के पास गया तो मुस्कान का चप्पल बाहर देखा। इसके बाद पानी मे तलाश किया तो मुस्कान का शव बरामद किया। यह खबर नय वर्ष पर क्षेत्र वासियों को काफी पीड़ादायक रही। तथा सरकार व जनप्रतिनिधि की गरीबों के लिए किया गया वादा का पोल खोल कर रख दी है।

बिजली मिलने लगी तो 40 प्रतिशत लोगो ने किरासन जलाने से तौबा

​ग्रामीण इलाको मे लगातार मिल रही बिजली ने किया कमाल

प्रदेश जाने के बजाय गांव मे ही खोल लिया अपना प्रतिष्ठान

बिजली आधारित कामो को गांव मे बढ रहा क्रेज

संतोष कुमार गुप्ता

मीनापुर।  कुछ वर्षो पूर्व तक ग्रामीण इलाको के लोग लालटेन व ढिबरी युग मे जीने को विवश थे। किंतु गांवो के लिए यह कहानी पुरानी बाते हो गयी है। अब शहर के राहो पर अपना गांव चल चुका है। अब गांवो को 18 से 20 घंटे बिजली मिलने लगा है। नतिजतन बिजली की बेहतर स्थिति को देखते हुए गांव मे भी लघु व कुटिर उधोग खुलने लगे है। सबसे बड़ी बात यह है कि 40 प्रतिशत घरो मे केरोसिन का दिया जलना बंद हो गया है। बिजली की उपलब्धता बेहतर रहने से लोगो ने घरो मे इन्वर्टर लगा लिया है। गरीब परिवारो ने सोलर व बिजली से चार्ज होने

वाले इमरजेंसी लाइट खरीद लिया है। दो सौ से पांच सौ रूपये के बीच यह लाइट आता है। एक दिन चार्ज होने के बाद यह लाइट दो दिनो तक जलता है। यह लाइट कई वर्षो तक जलता है.छेगन नेउरा के हिमांशु गुप्ता,गंजबजार के सुधा देवी,रीता देवी बताती है कि डिबिया मे केरोसिन डालने का झंझट खत्म। बिजली कटे तो झट से बटन दबाये रोशनी आ जायेगी। प्रियदर्शी इलेक्ट्रोनिक्स के प्रोपराइटर रजनिशकांत प्रियदर्शी व रविकांत समदर्शी बताते है कि इलेक्ट्रोनिक्स इमरजेंसी लाइट की मांग दिन प्रतिदिन बढती जा रही है। बिजली बेहतर रहने से गांवो मे टीवी,फ्रिज,डिश एंटिना,वाशिंग मशीन,गिजर,हीटर,कूलर व एसी लगाने वालो की तादाद मे वृद्धी हुई है। हरका गांव के बढई मुन्ना कुमार बताते है कि बिजली बेहतर रहने से अब हाथ के यंत्र के बजाये इलेक्ट्रोनिक्स मशीन से चिराई फराई का काम होता है।
आनलाइन कामो का बढा डिमांड
मुस्तफागंज बाजार पर वसुधा केंद्र पर आनलाइन पैक्स का मेम्बर बनाया जा रहा है। पैक्स मेम्बर बनने वालो की काफी भीड़ है। केंद्र को संचालन करने वाली रागिनीगंधा,रश्मिगंधा,प्रतिक कुमार व गुड्डु यादव बताते है कि  बिजली बेहतर रहने से आनलाइन कामो की संख्या मे वृद्धी हुई है। अन्य कामो मे भी कस्टमर आ रहे है। टेंगरारी मे धनराज उच्च विधालय टेंगरारी के सामने नीराला कम्प्युटर क्लासेज चल रहा है। छात्र सत्यम कुमार,अजीत कुमार,संचालक अरूण कुमार बताते है कि बिजली बेहतर रहने के कारण अब गांव मे कम्प्युटर शिक्षा ग्रहण करना आसान हो गया है। पहले कम्प्युटर सीखने शहर जाना पड़ता था। टेंगरारी के सुधीर डिसुजा बताते है कि गांव मे भी तेजी से इलेक्ट्रोनिक्स का दुकान तेजी से खुलने लगा है। मीनापुर के एक दर्जन स्थानो पर वाटर प्लांट खुल गया है। अब घर घर मे आरओ का पानी पहुंचना शुरू हो गया है। अब कुंआ और तलाब से पानी पीने का जमाना गया। गांवो मे फिल्म आॉडियो रिकॉर्डिंग सेंटर भी खुल रहा है।
कृषि रोड मैप मे भी किसानो की बल्ले बल्ले
जदयू किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज कुमार व्यस्तता के वावजूद खुद बिजली से खेतो मे पटवन करते है। उन्होने कहां कि बिजली रहने से किसानो को काफी फायदा है। अब राज्य सरकार की ओर से राष्ट्रपति द्वारा लांच किये गये कृषि रोड मैप मे भी किसानो के लिए बहुत कुछ है। उसमे एक ही बिजली कनेक्शन पर किसान दो एचपी के मोटर से कही भी पटवन कर सकते है। इसके लिए अलग अलग खाता और खेसरा नम्बर पर अलग अलग कनेक्शन लेने की जरूरत नही है। सिवाइपट्टी थाना क्षेत्र के सोढना माधोपुर गांव के राजदेव प्रसाद पांच से एकड़ जमीन मे बिजली से पटवन करते है। हजारो रूपये डीजल मे खर्च हो जाता था। अब उनका आटा चक्की भी बिजली से ही चलता है।

भागलपुर में शिक्षक प्रशिक्षण फर्जीवाड़ा

कागजों पर हो गई गुरुजी का प्रशिक्षण

भागलपुर। बिहार में सुशासन के दावे खोखले साबित होने लगें हैं। एक के बाद एक फर्जीवाड़ा से एक बार से बिहार सुर्खियों में है। नबीनतम मामला भागलपुर के शाहकुंड का है। यहां सरकारी शिक्षको के लिए पांच दिवसीय समानुकूलन शिक्षक प्रशिक्षण का आयोजन किया गया था। किंतु, अब इस प्रशिक्षण में भी फर्जीवाड़े का मामले सामने आया है। बताया जा रहा है कि बिना प्रशिक्षण दिए राशि की निकासी हो गई है।

जानकारी के मुताबिक शाहकुंड में पांच दिवसीय समानुकूलन शिक्षक प्रशिक्षण में फर्जीवाड़ा किया गया है। यह फर्जीवाड़ा तब उजागर हुआ जब ट्रेनर ने खुद कहा कि शिक्षकों को ट्रेनिंग नहीं दी गई। जबकि, पेपर पर यह प्रशिक्षण शिविर मुकम्मल बता कर राशि निकासी कर लेने से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है।
मामले के प्रकाश में आने के बाद जिला शिक्षा पदाधिकारी ने डीपीओ के नेतृत्व में एक टीम गठित कर जांच के आदेश दिए हैं। जिसके बाद जांच कमेटी डीपीओ ने इसकी जांच शुरू कर दी है। जांच के दौरान शिक्षकों ने कहा कि उन्हें प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। वहीं, ट्रेनरों ने भी इस बात को स्वीकारा है कि उनके द्वारा किसी को प्रशिक्षण नहीं दिया गया। मामले में डीपीओ ने कहा कि दोषियों पर कार्रवाई करने के लिए शिक्षा पदाधिकारी को रिपोर्ट भेज दी गई है।

पुलिस वाले का बेटा था आतंकी

फिदायीन बनाने के लिए हुआ था ब्रेन वॉश

जम्मू कश्मीर। पुलवामा में सीआरपीएफ कैंप पर हुए आतंकी हमले में मारा गया तीन में से आतंकी पुलिस कॉन्स्टेबल का बेटा था। बतातें चलें कि इस हमले में पांच सैनिक शहीद हो गए। जवाबी कार्रवाई में तीन आतंकवादी भी मारे गए। यह हैरान कर देने वाली बात इसलिए है, क्योंकि तकरीबन एक दशक बाद कोई कश्मीरी फिदायीन बना है।

इससे पहले जम्मू-कश्मीर में करीब15 वर्षो से विदेशी आतंकी ही फिदायीन हमले में शामिल होते रहे हैं। शनिवार को मारे गए तीनों आतंकियों में फिदायीन हमलावर की पहचान 17 साल के फरदीन अहमद खानडे के रूप में हुई है। फरदीन अहमद के पिता गुलाम मोहम्मद खानडे जम्मू-कश्मीर पुलिस में कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात हैं।

मथुरा जेल से भागे कैदी

अधिकारी को किया सस्पेंड

मथुरा। मथुरा में सुरक्षा के नाम भारी चूक हो गई है। जेल से तीन विचाराधीन कैदी भागने में सफल हो गया। जिला प्रशासन ने इस मामले में चार अधिकारी को सस्पेंड कर दिया गया है। जेल अधीक्षक ने सदर थाने में बंदियों की फरारी का मामला दर्ज कराया। एनडीपीएस, गैंगस्टर, मोबाइल चोरी आदि सामान्य अपराध में बंद थे। भागने वाले कैदियों में विफल रहे बंदी के पैर की हड्डी टूट गई है जिसके बाद उसे जेल अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

मथुरा जिला की किशोर बैरक से रविवार की देर रात तीन किशोर बंदी भाग निकले। उनका एक साथी गिरकर घायल हो जाने के चलते पकड़ा गया। तीनों ही मथुरा और आगरा के रहने वाले हैं। घटना से जेल प्रशासन में हड़कंप है। इसे सुरक्षा में भारी चूक माना जा रहा है। ये भी आशंका है कि इसमें जेल प्रशासन की मिलीभगत हो। मौके पर आला अधिकारी पहुंच चुके थे और छानबीन की जा रही थी।

रजनीकांत ने की नई पारी की शुरूआत

तमिलनाडु में करेंगे राजनीति

तमिलनाडु। मशहूर एक्टर रजनीकांत ने अपने नई पारी की शुरूआत करने की घोषणा कर दी है। दरअसल, फिल्म में अपने दमदार भूमिका को लेकर रूपहले पर्दे पर धाख जमाने के बाद रजनीकांत ने अब राजनीति में आने की घोषणा कर दी है। कहतें हैं कि दक्षिण भारत के मशहूर एक्टर रजनीकांत ने राजनीति में एंट्री का ऐलान कर तमिलनाडु की राजनीति को गरमा दिया है। रजनी तमिल और हिन्दी में कई फिल्में कर एक्शन हीरो के तौर पर जाने जाते हैं। दक्षिण भारत में उनकी जो शोहरत है, उसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि उन्हें वहां भगवान की तरह पूजा जाता है और लाखों की संख्या में उनके फैन्स हैं। रजनीकांत भले ही तमिलनाडु के आगामी विधानसभा चुनाव में उतरने का संकेत दिया हो, लेकिन उनका पिछला बैकग्राउंड बड़ा दिलचस्प है।

अधिकतर तमिल फिल्मों में अपने एक्शन से धूम मचने वाले रजनीकांत की पारिवारिक पृष्ठभूमि महाराष्ट्र की है। रजनीकांत का पूरा नाम है शिवाजी राव गायकवाड़। उनका जन्म 12 दिसंबर 1950 को बेंगलुरु में एक मराठा परिवार में हुआ। उनकी माता एक हाउस वाइफ थीं, जबकि पिता पुलिस कांस्टेबल थे। माता-पिता ने रजनीकांत का नाम मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी के नाम पर रखा गया था। वह अपने घर में मराठी और बाहर कन्नड़ भाषा बोलते थे। वह चारों भाई बहनों में सबसे छोटे हैं। उनसे बड़े दो भाई हैं सत्यनारायण राव और नागेश्वर राव, जबकि बहन का नाम है अस्वथ बालुभाई।

स्कूल के दौरान ही कला में थी गहरी रूचि

रजनीकांत के पिता 1956 में नौकरी से रिटायरमेंट के बाद बेंगलुरू के हनुमंत नगर में एक मकान बना लिया। जिस वक्त रजनीकांत महज 9 साल के थे उस समय उनकी मां इस दुनिया से चल बसी। छह साल की आयु मे रजनीकांत का गविपुरम गवर्नमेंट कन्नड़ मॉडल प्राइमरी स्कूल में दाखिला करवा दिया गया, यहीं से उन्होंने प्राथमिक शिक्षा हासिल की। बचपन में उनकी क्रिकेट, फुटबॉल और बास्केटबॉल में गहरी रुचि थी। उनके बड़े भाई ने उन्हें रामकृष्ण मिशन की तरफ से चलाए जा रहे रामकृष्ण मठ में दाखिला करवा दिया। मठ में उन्हें वेद और पौराणिक ग्रंथ पढ़ाए जानें लगे। इस दौरान रजनीकांत पौराणिक ग्रंथों की पढ़ाई के साथ ही मठ में नाटकों में भी हिस्सा लेने लगे।
मठ में नाटकों के प्रति रजनीकांत की रूचि और बढ़ने लगी। उन्हें एक बार महाभारत के मंचन के दौरान उन्हें एकलव्य के मित्र की भूमिका दी गई। इस भूमिका में उनके काम को काफी सराहा गया। उसके बाद रजनीकांत आचार्य पाठशाला पब्लिक स्कूल में दाखिल हुए। इस स्कूल में पढ़ाई के दौरान उन्होंने एक्टिंग में काफी समय दिया। एक बार उन्हें कुरुक्षेत्र नाटक के मंचन में दुर्योधन की भूमिका दी गई। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद रजनीकांत ने बेंगलुरु और मद्रास में कुली और कारपेंटर समेत कई तरह की नौकरियां की। बाद में उनका बेंगलुरू ट्रांसपोर्ट सर्विस में बस कंडक्टर के तौर पर चयन हुआ।
उसी दौरान मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट ने एक्टिंग कोर्स की शुरुआत हुई। हालांकि, रजनीकांत की अभिनय में रुचि के बावजूद उनका परिवार इस बात को लेकर उतना उत्सुक नहीं था। इस दौरान उनके दोस्त राज बहादुर ने उनका उत्साह बढ़ाया और वित्तीय मदद की। इंस्टीट्यूट में कोर्स करते वक्त वह स्टेज शो करने लगे। इसी दौरान तमिल फिल्म डायरेक्टर के. बालाचंदर की नज़र उन पर गई। डायरेक्टर बालचंद्र ने उनसे तमिल सीखने के लिए कहा, जिसे वह फौरन मान गए। उसके बाद बालचंद्र ने उन्हें अपनी कई फिल्मों में मौका दिया। रजनीकांत ने करीब 150 से ज्यादा फिल्में की हैं, जिनमें बॉलीवुड, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और बेंगाली फिल्में शामिल हैं।

पुलवामा में सीआरपीएफ के कैंप पर आतंकी हमला

पांच जवान शहीद हुए, दो आतंकी भी ढ़ेर

जम्मू कश्मीर। पाकिस्तान अपनी हरकतो से बाज आने को तैयार नही है। पुलवामा के अवंतिपुरा सेक्टर के लेथपोरा इलाके में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल सीआरपीएफ के कमांडो ट्रेनिंग सेंटर पर फिदायीन हमला हुआ है। इस आतंकी हमले में पांच जवान शहीद हो गए जबकि तीन अन्य घायल हो गए। सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवायी में दो आतंकियों को भी मार गिराया गया है। हालांकि, अभी भी एक आतंकी की तलाश जारी है। पूरे इलाके में सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली है। आतंकवादियों ने आज तड़के अवंतीपुरा में स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल सीआरपीएफ के 185वीं बटालियन के शिविर पर हमला कर दिया।

माननीय के हेलीपैड तैयार करने में जुटी नाबालिग बच्चियां

खुलाशे के बाद अधिकारियों के हाथ-पांव फूले

राजस्थान। प्रसाशन के अधिकारियों में बच्चों के प्रति कितनी संजीदगी है। इसका खुलाशा राजस्थान के झालावाड़ में हुआ। जब इस हरकत को मीडिया ने अपने कैमरे में कैद किया तो अधिकारियों में हड़कंप मच गया और आनन फानन में इस काम को बंद कराया गया। दरअसल, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के झालावाड़ आगमन से पहले प्रशासन के द्वारा हेलीपैड बनाने में गांव के नबालिग बच्चियों को काम पर लगाया गया था।

बतातें चलें कि मुख्यमंत्री अपने हर दौरे पर बालिकाओं के विकास की बात करती है। उन्हीं के लिए हेलीपैड बनाने में नबालिग को काम पर लगाने से कई सवाल खड़े हो गएं हैं। बतातें चलें कि दुबलिया उर्फ पिड़ावा गांव के पूर्व सरपंच भगवान सिंह के निधन के मौके पर मुख्यमंत्री वहां पंहुची थी, जिसके लिए यह हैलीपेड तैयार किया गया था।

नहीं रहे समाज सेवी महेश्वर प्रसाद सिंह

संजय कुमार सिंह

मुजफ्फरपुर। मनियारी थाना क्षेत्र के मधौल गांव निवासी समाजसेवी 67 वर्षीय महेश्वर प्रसाद सिंह का निधन शनिवार संध्या पोने छह बजे हो गई। वे आठ दिन पूर्व बीबी गंज मुजफ्फरपुर स्थित अपने आवास पर रात्री में फर्श पर गिर पड़े थे, जिससे उनका ब्रेन हैम्रेज हो गया था। वे 2010 मे कस्टम एक्साईज इंस्पेक्टर के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उनके घर में पुत्र अंशु व तीन बेटियां आरती, डिन्की व बबली समेत भड़ा पुरा परिवार शोकाकुल है। उनके निधन से बड़े भाई केदारनाथ सिंह व भतीजा उदय प्रताप सिंह, विजय कुमार, संजय कुमार सिंह, नीपू व गुड्डू को काफी सदमा पहुंचा है। उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार रविवार को पैतृक आवास मनियारी थाना क्षेत्र के मधौल गांव मे की गई। उनके अंतिम दर्शन के लिए क्षेत्र के लोग पहुंच रहे हैं। निधन पर शोक की लहर है।

स्टेशन पर भूत के मिथक को तोड़ने की हुई कोशिश

50 सालों से यहां रात में कोई नहीं रुका था

पश्चिम बंगाल। कहतें हैं कि इस दुनिया में शौक भी कई तरह का होता है। अब किसी को भूत से मिलने का शौक हो जाए तो इसे क्या कहेंगे? दरअसल, पुरूलिया जिले के एक रेलवे स्टेशन में भूतो के रहने की कई कहानियां प्रचलित हैं। लेकिन इस मिथक को तोड़ने के लिए तर्कवादियों ने एक रात इस स्टेशन में बिताई है।

तर्कवादियों की टीम में शामिल एक सदस्य ने बताया कि उन्हें गुरुवार रात कुछ ऐसे स्थानीय लोग मिले जो उन्हें डराकर स्टेशन से बाहर जाने के लिए कह रहे थे। बेगुनकोडोर स्टेशन अयोध्या हिल्स के पास स्थित है। पुरूलिया शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर है। 1967 में इसके स्टेशन मास्टर की रात में पटरियों पर सफेद साड़ी पहनी कथित महिला को देखने के बाद मृत्यु हो गई थी। इसके बाद से इस स्टेशन पर भूतिया स्टेशन का ठप्पा लग गया।
इस घटना की वजह से यात्रियों ने स्टेशन का इस्तेमाल करना बंद कर दिया और यह रेलवे के रिकॉर्ड में भूतिया स्टेशन के तौर पर दर्ज हो गया। इसके बाद इसकी गिनती रेलवे के दस भूतिया स्टेशन में होने लगी जो उसके रिकॉर्ड में दर्ज हैं।
ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहते वर्ष 2009 में 42 साल बाद इस स्टेशन को फिर से खोला गया। इसके बाद ट्रेनें यहां रुकने लगीं लेकिन यात्री भूत के डर से शाम पांच बजे तक ही स्टेशन का इस्तेमाल करते थे। टीम की अगुवाई करने वाले नयान मुखर्जी ने बताया कि वे पुरूलिया जिले के बेगुनकोडोर स्टेशन पर गुरुवार रात 11 बजे से अगले दिन तड़के तक रहे लेकिन उन्हें कोई ऐसी गतिविधि देखने को नहीं मिली।

बदले की आग में प्रेमी के मां को अगवा कर किया गैंगरेप

गाजियाबाद। बदले की आग इंसान को किस कदर गिरा सकता है, इसका एक ज्वलंत मिशाल उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से शामली में देखने को मिला। अपनी बेटी को प्यार में फांस कर भगा ले जाने से गुस्साए परिजनों ने प्रेमी के मां को अगवा कर बंधक बना लिया और उसके साथ गैंगरेप कर डाला।
पुलिस अधीक्षक अजयपाल शर्मा ने प्रेसवार्ता में बताया कि यह घटना शामली जिले में हुई और सामूहिक बलात्कार का मामला दर्ज कर लिया गया। हुआ ये कि 26 वर्षीय एक युवक ने गाजियाबाद में पढ़ने के दौरान मुजफ्फरनगर के एक गांव निवासी 24 वर्षीया एक लड़की के प्रेम में पड़ गया और वह 20 नवंबर को लड़की के साथ फरार हो गया। प्रतिशोध में लड़की के परिजनों ने व्यक्ति के भाई, करीब 40 वषीर्य उसकी मां, पिता और एक रिश्तेदार को 19 दिसंबर को अगवा कर लिया तथा शामली जिले के एक कमरे में बंद कर दिया। थोड़ी देर बाद प्रतिशोध की

आग में धधक रहे लड़की के परिजनो ने लड़के की मां के साथ कथित तौर पर बलात्कार करके मानवता को शर्मशार कर दिया। इस दौरान महिला चीख चीख कर मिन्नत करती रही। किंतु, प्रतिशोध की आग में किसी ने उसकी नही सुनी। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने छापेमारी की और सभी को बंधक मुक्त कर लिया गया है। पुलिस ने लड़की के पिता, गांव के पूर्व प्रधान सहित पिता के दो भाइयों और उसके बेटे के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। मामले में पूर्व ग्राम प्रधान को गिरफ्तार कर लिया गया है। वही, अन्य आरोपी फरार बताया जा रहा हैं।

 

धमाके से फटा पेट और कोख से निकला बच्चा

चिता पर लेटने के बाद भी ममता नही मरी

रायगढ़। सुनने में अटपटा सा लगने वाली यह जानकारी दिल को झाकझोर देने वाली है। हुआ यें कि जब महिला को अंतिम संस्कार के लिए चिता पर लेटाया गया तो आग लगाने के बाद उसका पेट फट गया और नवजात बाहर निकलकर चिता के पास ही गिर गया।
दरअसल, रायगढ़ से दिल को झकझोर कर देने वाला यह मामला सामने आया है। बतातें चलें कि डॉक्टरों की लापरवाही से मां और बच्चा दोनों की जान चली गई। चिता पर पत्नी और नवजात को जलता देख पति फूट-फूट कर रोने लगा। उस दौरान वहां खड़े लोग भी अपने आंसू रोक नहीं पाए।

डभरा कौंलाझर की रहने वाली 22 वर्षीय गर्भवती महिला की डिलीवरी के लिए डॉक्टरों ने 17 जनवरी की तारीख दी थी। लेकिन महिला के हाथ-पांव फूलने पर उसे 24 दिसंबर को अस्पताल में दाखिल करवाया गया। जांच में पता चला कि महिला के शरीर में सिर्फ 5 ग्राम हीमोग्लोबिन है। सामान्य अवस्था में लाने के लिए 3 यूनिट ब्लड की जरूरत थी। परिजनों को लैब प्रभारी ने बताया कि महिला का ब्लड ग्रुप ए पॉजिटिव है। पति ने दुर्गेश नाम के युवक से ब्लड की व्यवस्था कर 24 घंटे बाद 26 दिसंबर को पहुंचे तो लैब में उपस्थित कर्मचारी ने उनसे ए निगेटिव ग्रुप का ब्लड लाने को कहा। फिर एक दलाल से 16 सौ रुपए में ए निगेटिव ब्लड खरीदा। उसके बाद डॉक्टरों ने और ब्लड लाने के लिए कहा। फिर एक से 45 सौ रुपए में ब्लड का सौदा किया और सुबह वे ब्लड निकलवाने गए भी लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। महिला दम तोड़ चुकी थी। पत्नी का अंतिम संस्कार किया तो चिता पर ही उसके पेट फटने पर बच्चा बाहर निकल कर गिर पड़ा।

अंतिम ख्वाहिश पूरी किये बिना ही हो गया विदा

बेटे का ऑर्गन डोनेट कर मां ने रच दी मिशाल

भोपाल। कहतें हैं कि इंसान चाहे तो मर कर भी मानवता को अमर कर सकता है। भोपाल का रहने वाला 20 वर्षीय शशांक ने इसे सच करके दिखा दिया। दरअसल, रोड एक्सीडेंट में शशांक कोरान्ने घायल हो गया और 9 दिन तक इलाज में रहने के बाद उसकी मौत हो गई। मरने से पहले ही डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया। इस खबर से मर्माहत हुए माता-पिता ने बेटे का ऑर्गन डोनेशन का डिसीजन लिया। इसके बाद शशांक का हार्ट, दोनों किडनी, लिवर, आंखें और त्वचा रिट्रीव की गई। भोपाल में पहली बार हार्ट के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाकर इसे मुंबई भेजा गया। बतातें चलें कि इससे अपने जीवनकाल में कोरान्ने ने दस से अधिक लोगों की जिन्दगी बचाई थी।

बतातें चलें कि शशांक बीकॉम ऑनर्स में लास्ट ईयर का स्टूडेंट था। पिता राजेश एसबीआई में ब्रांच मैनेजर हैं। शशांक अपने पिता की तरह बैंक अफसर बनना चाहता था। आखिरी पेपर देने जा रहा था तभी हादसा हो गया। शशांक के पिता और मां ने मिल कर बेटे का ऑर्गन डोनेशन का डिसीजन लिया।

मदरसा में अश्लील हरकत

लखनऊ। यूपी का राजधानी में मदरसा खदीजतुल कुबरा लिलबनात में छात्राओं का दर्द सामने आया और खुलासा हुआ कि वहां काफी लंबे समय से छात्राओं से यौनशोषण चल रहा था। छात्राओं ने पुलिस अधिकारी को बताया कि आरोपी संचालक कार्यालय में बुलाकर पैर दबवाता था। छेड़खानी भी करता था और विरोध करने पर डंडे से पीटता था और शरीर के नाजुक अंगो के साथ अश्लील हरकत करने लगता था। एक लड़की ने बताया कि मैनेजर कारी तैय्यब अश्लील तस्वीर दिखाते और गंदी बातें करते थे। नारी बंदी निकेतन में रखी गई इन लड़कियों के चेहरे पर दहशत के भाव साफ दिख रहे थे। पुलिस ने मजिस्ट्रेट के सामने जब इनके बयान लिए तो छात्राएं पहले काफी घबरायीं, लेकिन अफसरों ने जब उन्हें दिलासा दिया गया तब जा कर छात्राओं ने अपनी-अपनी आपबीती सुनाई। बहरहाल, मदरसा संचालक के खिलाफ पुलिस जांच में जुटी है।

पद्मावती, नए नाम से हो सकती है रिलीज

भंसाली को सेंसर बोर्ड से मिली मंजूरी

नई दिल्ली। रिलीज से पहले ही विवादो में आई फिल्म पद्मावती को रिलीज के लिए हरी झंडी मिलने के संकेत मिलें हैं। हालांकि, इस फिल्म में कुछ बदलाव करने की भी बात सामने आ रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फिल्म के टाइटल को बदलने की तैयारी की जा रही है। इसके साथ ही फिल्म का गाना घूमर में भी कुछ बदलाव की बात कही जा रही है। फिल्म को यूए सर्टिफिकेट मिल गया है।

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