मीनापुर में उपेक्षित है महापुरुषो की प्रतिमाएं

राजकिशोर प्रसाद
क्रान्तिकारियों की जब चर्चा हो तो मीनापुर का नाम अनायास आ ही जाता है। आखिर आये क्यों नही, यहां के माटी के कण कण में जो हमारे शहीदों, वीर सपूतो और महापुरुषों की आत्मा जो बसी है। चाहे देश की आजादी में भारत माता को अंग्रेजो की जंजीर से मुक्ति दिलाना हो या सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध आमूल परिवर्तन हो, सबो में यहां के सपूतो  ने अपने कृतित्व और अहम भूमिका की अमिट छाप इतिहास के पन्नों में छोड़ी है।
आजादी के बाद देश में इन महापुरुषो की संयोजने की प्रक्रिया में हम जरूर पीछे रहे है। इसमें हमारी नई पीढ़ी और राजनेताओं की भूमिका की शिथिलता जरूर झलकती है। इतना ही नही कुछ राज नेताओ के साजिश के शिकार भी हुये। जिस कारण मीनापुर हुसैनाबाद नही बन सका।
पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री हिंदकेशरी यादव ने इस दिशा में भरसक प्रयास किया। किन्तु, राजनितिक सियासिकरण की भेंट चढ़ गई। उनका मीनापुर को हुसैनाबाद बनाने का सपना पूरा नही हो सका और न मीनापुर के सपूतो की संसद में कोई नाम ही दर्ज हो सका। हालांकि, पूर्व सांसद डा0 रघुवंश प्रसाद ने इसके लिये भरसक प्रयास किया कि मीनापुर के शहीद सपूतो की तस्वीरें नाम सहित संसद भवन में लगे किन्तु आज तक उनका यह सपना भी पूरा नही हुआ।
शहीदों के नाम पर मीनापुर में खूब राजनीती होती है। जब कोई नेता आये, चाहे वह राष्ट्रीय स्तर के हो या क्षेत्रीय स्तर के, सभी ने शहीदो के नाम को सियासी फायदे के खातिर खूब भुनाते है। लेकिन, यहां से जाते ही उन्हें भूल जाते है। मीनापुर में राजनीती करने वालो के साथ साथ हमारी नई पीढ़ी भी हमारे महापुरुषो को भूलने में पीछे नही है। यही कारण है की मीनापुर में दर्जनो महापुरुषो की लगी प्रतिमाएं आज भी उपेक्षा के शिकार है। ये प्रतिमाएं भी सियासी राजनीती के शिकार बन गये है।
कहते है हिंदकेशरी ने अपने कार्यकाल में मीनापुर में दो दर्जन से अधिक शहीदों और महापुरुषो के नाम पर क्षेत्र के विभिन्न चौक चौराहो पर तोरण द्वार बनाया। इसे संयोजने में मीनापुर के कोई जन प्रतिनिधि ने रूचि नही दिखाई। 2015 में हिंदकेशरी यादव ने करीब दो दर्जन से अधिक महापुरुषो की प्रतिमाये क्षेत्र के विभिन्न जगहों पर लगा दी। कहते है इसे लगाने में भी इन्हें सियासी कोपभाजन का शिकार बनना पड़ा। प्रशासन ने इन महापुरुषो को रखने तक की जगह नही दी। आखिकार हिंदकेसरी ने इसे क्षेत्र के विभिन्न चौक चैराहे और सड़क किनारे लगा कर अपने कर्तव्यो की इतिश्री कर ली। इन प्रतिमाओं को कोई पूछनेवाला नही। उनपर पुष्प चढ़ना तो दूर, लोग उनपर लगे धूल और गन्दगी को साफ करना भी मुनासिफ नही समझते। झंपहा चौक पर इंदिरा गाँधी, नेउरा में भामा साह, रामपुरहरि में केशवर शाही, थाना पर बांगुर सहनी, मुस्तफागंज पर शहीद जगदेव प्रसाद और पूर्व प्रमुख चन्देश्वर राय, हाई स्कुल गेट पर महात्मा गाँधी, हॉस्पिटल चौक पर सत्येंद्र नारायण सिंह, शनिचरा स्थान चौक पर कर्पूरी ठाकुर, खुटौना चौक पर महात्मा बुद्ध, हरपुर बक्स चौक पर महात्मा बुद्ध, मंगिया चौक पर बीपी मण्डल, सिवाईपट्टी चौक पर भगवान महावीर, पानापुर चौक पर सरदार बल्लभ भाई पटेल, गरहां चौक पर राम मनोहर लोहिया, कफेन चौक पर जुब्बा सहनी, रघई में  बांगुर सहनी, गोरीगमा हाई स्कुल पर महाराणा प्रताप, चैनपुर में जुब्बा और बांगुर सहनी, बहवल बाजार चौक पर बाबा साहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर व हरका में पं. शहदेव झा की प्रतिमायें लगी है। जो उपेक्षा के शिकार है। इन्हें संजोजने की जरूत है।

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