KKN गुरुग्राम डेस्क | बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय (BRABU), मुजफ्फरपुर में परीक्षा से संबंधित एक चौंकाने वाली गलती सामने आई है। एक निजी एजेंसी की लापरवाही के कारण एक फेल छात्र को पास दिखा दिया गया, जिसके आधार पर वह आगे की परीक्षाएं भी पास करता चला गया। लेकिन फाइनल रिजल्ट बनाते समय यह गंभीर गड़बड़ी सामने आई। इस मामले ने विश्वविद्यालय प्रशासन, परीक्षा प्रणाली और एजेंसी की जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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कैसे हुआ पूरा मामला?
मुजफ्फरपुर स्थित एबीएस कॉलेज, लालगंज के छात्र ने 2018-21 सत्र में टीडीसी (TDC) पार्ट-वन की परीक्षा दी थी। विश्वविद्यालय ने रिजल्ट प्रोसेसिंग के लिए एक निजी एजेंसी एक्सेलआईसीटी को ठेका दिया था। इसी एजेंसी की गलती के कारण छात्र को फेल होने के बावजूद पास दिखा दिया गया।
इस आधार पर छात्र ने न केवल टीडीसी पार्ट-टू की परीक्षा दी बल्कि पार्ट-थर्ड में भी शामिल हुआ और दोनों में पास हो गया। लेकिन जब अंतिम वर्ष का रिजल्ट जारी करने की बारी आई, तब जांच में पाया गया कि छात्र वास्तव में पार्ट-वन में एक विषय में फेल था।
फेल विषय में मिले थे कम अंक
छात्र ने एनएच (Non-Honours) विषय में 50-50 अंकों के दो पेपर लिए थे — हिंदी और अंग्रेजी। इन दोनों विषयों में पास होने के लिए न्यूनतम 15 अंक आवश्यक थे। छात्र को हिंदी में 12 अंक और अंग्रेजी में 30 अंक मिले थे, यानी एक विषय में वह फेल था।
लेकिन एजेंसी ने उसे पास घोषित कर दिया, जिससे वह उच्चतर कक्षाओं की परीक्षा में बैठ गया। अब विश्वविद्यालय ने इस त्रुटि के कारण छात्र का अंतिम रिजल्ट रोक दिया है।
कॉपी गायब, अब बोर्ड में जाएगा मामला
छात्र जब विश्वविद्यालय में अपना रिजल्ट स्पष्ट करने पहुंचा, तब उसे बताया गया कि उसकी उत्तरपुस्तिका स्टोर से गायब हो गई है। साथ ही यह भी कहा गया कि एजेंसी की लापरवाही से यह स्थिति बनी है। अब यह मामला विश्वविद्यालय के परीक्षा बोर्ड में प्रस्तुत किया जाएगा, जहाँ अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
इस पूरे घटनाक्रम ने एजेंसी की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा किया है। विश्वविद्यालय ने एजेंसी से स्पष्टीकरण मांगा है। बता दें कि यही एजेंसी पहले भी कई छात्रों के परिणाम में गड़बड़ी कर चुकी है और अब वह विश्वविद्यालय के साथ काम नहीं कर रही है।
छात्र संवाद में उठी कई और शिकायतें
सोमवार को विश्वविद्यालय गेस्ट हाउस में आयोजित छात्र संवाद कार्यक्रम में दर्जनों छात्र-छात्राएं अपनी समस्याएं लेकर पहुंचे। इस दौरान कई छात्रों ने रिजल्ट, डिग्री, रजिस्ट्रेशन और प्रमाण पत्र से जुड़ी गंभीर शिकायतें कीं:
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सकलदीप कुमार, महेश प्रसाद सिंह स्नातक महाविद्यालय के छात्र, का टीडीसी पार्ट-थर्ड के प्रैक्टिकल में ‘अनुपस्थित’ दिखाया गया, जबकि उन्होंने अटेंडेंस और मेमो दोनों जमा किए हैं। उनकी प्रायोगिक उत्तरपुस्तिका भी गायब है।
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रंजीत कुमार, डॉ. जगन्नाथ मिश्र कॉलेज के छात्र, ने अगस्त 2024 में डिग्री के लिए आवेदन किया था, लेकिन अब तक डिग्री नहीं मिली।
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मो. जावेद अख्तर, जो 1995 में एसकेजे ला कॉलेज से उत्तीर्ण हुए थे, ने अप्रैल 2025 में डिग्री के लिए आवेदन किया, लेकिन उन्हें भी अब तक डिग्री नहीं दी गई है।
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राकेश राम ने शिकायत की कि पीजी में पंजीकरण की अंतिम तिथि बीत जाने के बाद वह आवेदन नहीं कर सके, इसलिए तिथि बढ़ाई जाए।
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निशांत राज ने आरोप लगाया कि उन्हें समय पर प्रवजन प्रमाण पत्र नहीं मिला, जिससे वे पीजी प्रथम सेमेस्टर के लिए आवेदन नहीं कर सके।
विश्वविद्यालय प्रशासन की प्रतिक्रिया
इन सभी समस्याओं को सुनने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रों को भरोसा दिलाया कि उनके मामलों की जांच की जाएगी और जल्द से जल्द समाधान दिया जाएगा। परीक्षा नियंत्रक डॉ. सुबालाल ने कहा कि कई मामलों में रिकॉर्ड्स की गहन जांच जरूरी है और इसके लिए संबंधित विभागों को निर्देश दे दिए गए हैं।
शिक्षा प्रणाली पर बड़ा सवाल
यह पूरा मामला सिर्फ एक छात्र तक सीमित नहीं है। जिस तरह से एक एजेंसी की गलती से छात्र की पूरी शैक्षणिक यात्रा प्रभावित हुई, उससे यह साफ हो जाता है कि विश्वविद्यालय की परीक्षा प्रणाली में गंभीर खामियां हैं।
इस बात की सख्त जरूरत है कि एजेंसियों पर निगरानी बढ़ाई जाए, रिजल्ट प्रोसेसिंग को पूर्णतः पारदर्शी और उत्तरदायी बनाया जाए ताकि भविष्य में ऐसे हादसे दोबारा न हों।
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में सामने आई यह गड़बड़ी यह दिखाती है कि कैसे एक छोटी सी गलती किसी छात्र के पूरे भविष्य को खतरे में डाल सकती है। जब एक छात्र मेहनत करता है, परीक्षा देता है, तो उसे न्यायपूर्ण मूल्यांकन और निष्पक्ष परिणाम मिलना चाहिए।
अब देखना होगा कि विश्वविद्यालय इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या वाकई छात्रों को समय पर न्याय और समाधान मिल पाएगा।
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