बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का ऐतिहासिक बिगुल बज चुका है। यह चुनाव कई मायनों में खास है क्योंकि पिछले 40 सालों में पहली बार राज्य में केवल दो चरणों में मतदान कराया जाएगा। चुनाव आयोग ने यह घोषणा की है कि पहले चरण का मतदान 6 नवंबर 2025 को होगा, जबकि दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर 2025 को आयोजित किया जाएगा। मतगणना 14 नवंबर 2025 को होगी। इस चुनाव में कुल 121 सीटों पर मतदान होगा, जो राज्य के 18 जिलों में फैली हैं।
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प्रमुख सीटें और जिले
पहले चरण में जिन 121 सीटों पर मतदान होना है, वे अधिकतर बिहार के उत्तर और केंद्रीय क्षेत्रों में स्थित हैं। इनमें तिरहुत, मिथिलांचल और कोसी क्षेत्र शामिल हैं, जिन्हें लंबे समय से NDA (भा.ज.पा.-जदयू गठबंधन) का मजबूत गढ़ माना जाता है। यह क्षेत्र हमेशा से NDA का समर्थन करते आए हैं, और इस चुनाव में भी यह सीटें महत्वपूर्ण युद्ध भूमि बनेंगी।
राजनीतिक परिप्रेक्ष्य और ऐतिहासिक संदर्भ
NDA ने इन क्षेत्रों में अपने प्रभाव को लंबे समय से बनाए रखा है। बीजेपी और जेडीयू की मजबूत संगठनात्मक नेटवर्क के चलते इन क्षेत्रों में उनकी स्थिति बहुत मजबूत है। पिछले तीन विधानसभा चुनावों के आंकड़ों के अनुसार, इन 121 सीटों में से करीब 70 सीटें NDA के प्रभाव में हैं। जैसे दरभंगा जिले में 10 सीटों में से 9 सीटें NDA के पास हैं। मिथिलांचल की 46 सीटों में से 30 सीटें NDA ने जीती थीं, और नालंदा जिले की 7 में से 6 सीटें NDA ने जीती थीं।
हालांकि, महागठबंधन (राजद, कांग्रेस और वाम दलों) इस बार इन क्षेत्रों में अपने गठबंधन की मजबूती के साथ चुनौती पेश करने की योजना बना रहा है। पटना में महागठबंधन ने 13 सीटों में से 9 सीटें जीती थीं, जबकि NDA ने केवल 5 सीटें जीती थीं।
पहले चरण में मतदान: सीटें और मुकाबला
पहले चरण में जिन जिलों में मतदान होगा, उनमें पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर, शेखपुरा, लखीसराय, बेगूसराय, खगड़िया, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सहरसा, मधेपुरा, सिवान, गोपालगंज, सारण, वैशाली और समस्तीपुर शामिल हैं। इन जिलों में कुछ सीटें ऐसी हैं जो पिछली बार बहुत कम अंतर से जीती या हारी थीं। इसका मतलब है कि मुकाबला इस बार और भी दिलचस्प होने वाला है।
पटना जिले में 14 सीटें हैं, जिनमें मसौढ़ी, पालीगंज, बिक्रम, मनेर, फुलवारीशरीफ, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, फतुहा, बाढ़, मोकामा, दानापुर और बख्तियारपुर शामिल हैं। इसी तरह दरभंगा जिले की 9 सीटों, मुजफ्फरपुर जिले की 11 सीटों और भोजपुर जिले की 7 सीटों पर मुकाबला काफी कड़ा होगा। इन सीटों पर जीत हासिल करने के लिए दोनों प्रमुख दलों के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी।
मतदाता वर्ग और महिलाओं की भूमिका
पहले चरण में कुल 5.6 करोड़ मतदाता मतदान करेंगे, जिसमें महिलाओं की हिस्सेदारी लगभग 48 प्रतिशत है। महिलाओं का यह हिस्सा हर चुनाव में निर्णायक साबित होता है, और इस बार भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है। जैसे-जैसे मतदान की तिथि नजदीक आ रही है, यह साफ हो चुका है कि महिलाओं के वोट इस चुनाव में निर्णायक होंगे।
NDA की रणनीति: मजबूत गढ़ की रक्षा
NDA के लिए पहले चरण में मतदान एक चुनौतीपूर्ण परीक्षा होगी। पार्टी का मुख्य लक्ष्य अपने पारंपरिक गढ़ों को बचाना और महागठबंधन की सेंधमारी को रोकना है। NDA इस बार महादलितों, अति पिछड़ों और महिलाओं के वोटरों को केंद्र में रखकर अपनी रणनीति बनाएगा। इसके अलावा, यह पार्टी अपने मजबूत संगठनात्मक नेटवर्क के सहारे वोटरों को अपनी ओर खींचने की कोशिश करेगी।
NDA का फोकस उत्तर बिहार के ग्रामीण इलाकों और तटीय क्षेत्रों पर होगा, जहां परंपरागत रूप से इसका समर्थन रहा है। NDA इन क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत रखने के लिए चुनावी रणनीतियों को लेकर पूरी तरह से तैयार है।
महागठबंधन की रणनीति: चुनौती पेश करना
महागठबंधन, जिसका नेतृत्व राजद कर रहा है, इस चुनाव में NDA के खिलाफ एक नया मोर्चा खोलने की कोशिश करेगा। महागठबंधन की योजना है कि वह उत्तर बिहार के मुस्लिम-यादव (MY) वोट बैंक को एकजुट करे, साथ ही पिछड़ी जातियों और अन्य दलित वर्गों को अपने पक्ष में लाए।
महागठबंधन इस बार अपने गठबंधन की सशक्त स्थिति का प्रचार करेगा और सामाजिक न्याय और समान विकास के मुद्दों को प्रमुख बनाएगा। इसके अलावा, राजद की रणनीति यह भी होगी कि वह महागठबंधन के भीतर सहयोग को बढ़ावा देकर अपनी स्थिति मजबूत करे।
छोटे दलों की कठिनाइयाँ
चुनाव आयोग के दो चरणों में चुनाव कराने के फैसले से छोटे दलों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। जानकारों का मानना है कि दो चरणों में चुनाव होने से बड़े दलों को लाभ होगा, जबकि छोटे क्षेत्रीय दलों को संसाधन और प्रचार में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। छोटे दलों के लिए यह चुनाव संसाधनों की कमी और प्रचार के मोर्चे पर बड़े दलों से मुकाबला करने की चुनौती के रूप में सामने आएगा।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पहले चरण के मतदान के साथ अपनी दिशा तय करेगा। एनडीए और महागठबंधन दोनों ही इस चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष करेंगे। उत्तर और मध्य बिहार में होने वाले इस चुनाव में सीटों पर कड़ी प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी। इसके अलावा, महिलाओं का निर्णायक वोट, राजनीतिक रणनीतियाँ और गठबंधनों की स्थिति यह तय करेंगे कि चुनाव में कौन सी पार्टी जीत हासिल करती है। बिहार के आगामी चुनाव परिणाम राज्य की राजनीति के भविष्य को आकार देंगे, और यह आगामी वर्षों में राज्य में शासन करने वाली सरकार का निर्धारण करेंगे।



