राजद ने इसे फंसाने बाली कारवाई बताया
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की मुश्किलें थमने का नाम ही नही ले रही है। चारा घोटाला और जमीन विवाद के बाद अब वे होटल टेंडर के मामले में बुरी तरीके से उलझ चुकें हैं। सीबीआई ने शुक्रवार को लालू यादव के 12 ठिकानों पर छापेमारी करके कई अहम सुराग मिलने का दावा किया है। सीबीआई ने छापामारी के बाद मिले कागजातो के आधार पर केस दर्ज कर लिया है। सीबीआई के द्वारा दर्ज एफआईआर में लालू प्रसाद यादव के अलावा राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव समेत कुल सात लोगों और एक कंपनी का नाम शामिल है। बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के 10 सुकर्लर आवास पर भी छापेमारी की गई है। ये छापेमारी लालू के दिल्ली, पटना, रांची, पुरी और गुरुग्राम में 12 ठिकानों पर एक साथ की गई है। इस छापामारी के बाद बिहार की राजनीति में अचानक गर्माहट आ गई है। राजद ने इसे फंसाने वाले कारवाई बता कर भाजपा को उखाड़ फेकने की बात कही है। वही, भाजपा ने इसे लालू प्रसाद का एक और भ्रष्ट्राचार उजागर होने का दावा किया है।
लालू ने टेंडर के बदले कैसे ली जमीन
सीबीआई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि लालू ने रेल मंत्री रहते हुए टेंडर के बदले 32 करोड़ की जमीन को 65 लाख रुपये में खरीदा। सीबीआई ने लालू और उनके परिवार समेत आठ लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी), 120 बी (आपराधिक साजिश), 13, 13 (1) (डी) पीसी एक्ट का मामला दर्ज किया गया।
लालू यादव से जुड़े 5 बड़े विवाद
सीबाआई ने बताया कि रेलवे के दो होटल बीएनआर होटल पुरी और रांची के बीएनआर होटल को आईआरसीटीसी को ट्रांसफर किए गए थे। इन होटलों की देखभाल करने और रखरखाव करने के लिए प्राइवेट कंपनी को लीज आउट का फैसला लिया गया। लीज आउट करने के लिए रेलवे ने टेंडर निकाले थे। ये टेंडर सुजाता प्राइवेट लिमिटेड को दिए गए। जांच में पाया गया कि टेंडर देने में गड़बड़ी की गई थी और इस प्राइवेट कंपनी को लाभ दिया गया। सुजाता प्राइवेट लिमिटेड के मालिक विजय कोचर और विनय कोचर है।
जमीन ट्रांसफर करने का हुआ खुलाशा
सुजाता प्राइवेट लिमिटेड ने दो होटलों के टेंडर मिलने के बाद लालू प्रसाद यादव के नाम पर जमीन दी थी। ये जमीन सीधा लालू प्रसाद यादव को ट्रांसफर नहीं की गई थी। पहले ये जमीन सरला गुप्ता की कंपनी मैसर्स डिलाइट प्राइवेट लिमिटेड को ट्रांसफर की गई। इसके बाद 2010 और 2014 के बीच में जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री नहीं थे तो ये जमीन लालू प्रसाद यादव की कंपनी मैसर्स लारा प्रोजेक्ट एलएलपी को ट्रांसफर की गई।