KKN गुरुग्राम डेस्क | रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भारत आने का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है। दोनों नेताओं के बीच हुई फोन पर बातचीत में आतंकवाद के खिलाफ सहयोग, रणनीतिक साझेदारी और आगामी द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन को लेकर चर्चा हुई। क्रेमलिन ने इस बात की पुष्टि की है कि राष्ट्रपति पुतिन 2025 के अंत में भारत यात्रा पर आएंगे।
यह दौरा ऐसे समय पर होने जा रहा है जब वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में तेजी से बदलाव हो रहे हैं और भारत-रूस संबंध स्थायित्व और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बनकर उभरे हैं।
पीएम मोदी और पुतिन के बीच फोन पर बातचीत: मुख्य बिंदु
क्रेमलिन द्वारा जारी आधिकारिक बयान के अनुसार, दोनों नेताओं के बीच फोन पर बातचीत में निम्न मुद्दों पर चर्चा हुई:
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आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की प्रतिबद्धता
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भारत-रूस के विशेष रणनीतिक संबंधों को और मजबूत करने की इच्छा
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बाहरी प्रभावों से दोनों देशों के रिश्तों पर कोई असर नहीं पड़ने का भरोसा
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2025 के द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने का निमंत्रण स्वीकार करना
🇷🇺 भारत दौरे का महत्व: पुतिन की यात्रा क्यों अहम है?
राष्ट्रपति पुतिन का भारत दौरा, भारत-रूस वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन का हिस्सा होगा, जिसकी शुरुआत साल 2000 में हुई थी। यह शिखर बैठक भारत और रूस के बीच प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का मंच है, जिनमें शामिल हैं:
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रक्षा और तकनीकी साझेदारी
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परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विज्ञान
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व्यापार और निवेश
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शैक्षणिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान
इस दौरे से यह संदेश भी जाता है कि रूस, भारत के साथ अपने संबंधों को द्विपक्षीय प्राथमिकता के रूप में देखता है, भले ही वैश्विक मंच पर हालात कैसे भी हों।
बाहरी दबाव का नहीं होगा असर: रूस का बड़ा बयान
क्रेमलिन ने स्पष्ट किया कि भारत और रूस के रिश्ते किसी तीसरे पक्ष या वैश्विक दबाव से प्रभावित नहीं होंगे। यह बयान उन देशों को अप्रत्यक्ष संदेश देता है जो भारत पर रूस से दूरी बनाने का दबाव बना रहे हैं।
“भारत और रूस के संबंध गहराई से जुड़े हैं, और ये किसी भी वैश्विक ताकत या परिस्थिति से प्रभावित नहीं होंगे।”
यह बयान दोनों देशों के सामरिक स्वाभिमान और स्वतंत्र विदेश नीति को रेखांकित करता है।
पीएम मोदी ने दिया भारत आने का न्योता, पुतिन ने किया स्वीकार
फोन कॉल के दौरान पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को भारत में आयोजित होने वाले 2025 के वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन में भाग लेने का निमंत्रण दिया, जिसे पुतिन ने सहर्ष स्वीकार किया।
इसके साथ ही पीएम मोदी ने रूस के विजय दिवस समारोह की 80वीं वर्षगांठ पर शुभकामनाएं भी दीं।
पहलगाम आतंकी हमले पर पुतिन की प्रतिक्रिया
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले, जिसमें कई निर्दोष नागरिक मारे गए, को लेकर राष्ट्रपति पुतिन ने गहरी संवेदना जताई और इस हमले की कड़ी निंदा की।
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उन्होंने पीएम मोदी को फोन कर भारत को आतंकवाद के खिलाफ पूरा समर्थन देने का भरोसा दिलाया।
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उन्होंने कहा कि ऐसे जघन्य हमलों के दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जानकारी दी कि राष्ट्रपति पुतिन ने भारत के साथ खड़े होने की प्रतिबद्धता दोहराई।
आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई की जरूरत पर जोर
दोनों नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि आतंकवाद के किसी भी रूप के खिलाफ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त रणनीति और समान दृष्टिकोण अपनाने की बात पर सहमति बनी।
यह सहयोग भारत के लिए कूटनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से तब जब वह अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को उजागर कर रहा है।
पीएम मोदी विजय दिवस समारोह में नहीं होंगे शामिल
पहले कयास लगाए जा रहे थे कि पीएम मोदी 9 मई को रूस में आयोजित होने वाले विजय दिवस समारोह में शामिल हो सकते हैं, लेकिन अब यह साफ हो गया है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कोई शीर्ष प्रतिनिधि वहां नहीं जाएगा।
हालांकि इसका आधिकारिक कारण नहीं बताया गया है, लेकिन माना जा रहा है कि पहलगाम आतंकी हमले और सुरक्षा चिंताओं के चलते यह निर्णय लिया गया।
भारत-रूस संबंधों की गहराई: रणनीतिक साझेदारी के आयाम
भारत और रूस के बीच संबंधों को आधिकारिक रूप से “विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी” कहा जाता है। इनके अंतर्गत मुख्य रूप से शामिल हैं:
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रक्षा सौदे और तकनीक का स्थानांतरण
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नवीन ऊर्जा और गैस व्यापार
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स्पेस मिशन में सहयोग (ISRO-ROSCOSMOS)
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शिक्षा, चिकित्सा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान
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स्थानीय मुद्रा में व्यापार को बढ़ावा देना
दोनों देश मिलकर 2025 के अंत तक 30 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत दौरा भारत-रूस संबंधों की गहराई और स्थिरता को एक बार फिर प्रमाणित करेगा। जब दुनिया में सहयोग और स्वायत्तता के नए समीकरण बन रहे हैं, तब भारत और रूस की यह साझेदारी स्थायी और भरोसेमंद सहयोग का उदाहरण बनती है।
आतंकवाद के खिलाफ साझा संकल्प, रणनीतिक सहयोग की पुनः पुष्टि, और आर्थिक साझेदारी का विस्तार – ये सभी बिंदु इस यात्रा को नीतिगत और प्रतीकात्मक रूप से दोनों स्तरों पर महत्वपूर्ण बनाते हैं।
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