शनिवार 12 अक्टूबर 2025 की रात अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर भारी गोलीबारी हुई, जब अफ़ग़ान तालिबान ने पाकिस्तानी सीमा चौकियों पर हमला किया। यह घटना उस समय हुई जब इस हफ़्ते काबुल में एक के बाद एक कई धमाके हुए थे, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है।
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तालिबान का पाकिस्तान पर आरोप
काबुल धमाकों के बाद, तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी करते हुए पाकिस्तान को इन धमाकों का जिम्मेदार ठहराया और पाकिस्तानी सेना को “परिणाम भुगतने” की चेतावनी दी थी। हालांकि, पाकिस्तान की ओर से इस पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है।
रॉयटर्स के मुताबिक, दोनों देशों के सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि शनिवार रात सीमा पर कई स्थानों पर झड़पें हुईं। पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों ने दावा किया कि अफ़ग़ानिस्तान से बिना उकसावे के की गई गोलीबारी का वे “पूरी ताकत” से जवाब दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि गोलीबारी छह से अधिक स्थानों पर हुई थी।
तालिबान ने सीमा चौकियों पर कब्जा करने का दावा किया
तालिबान बलों ने यह दावा किया कि उन्होंने पाकिस्तान की तीन सीमा चौकियों पर कब्जा कर लिया है। इसके जवाब में, पाकिस्तानी सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि उनकी सेना ने अफ़ग़ानिस्तान की कई चौकियों को नष्ट कर दिया है।
इस मामले में अब तक पाकिस्तान की ओर से कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन पाकिस्तानी सेना ने तालिबान के विदेश मंत्री के भारत दौरे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। तालिबान सरकार के विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्तक़ी ने कहा था कि पाकिस्तान को अपनी पुरानी गलतियाँ नहीं दोहरानी चाहिए, खासकर सीमा पर होने वाले हमलों के संदर्भ में।
अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ
सऊदी अरब और क़तर जैसे देशों ने अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में हो रहे तनाव और झड़पों पर गंभीर चिंता जताई है। सऊदी अरब ने सभी पक्षों से संयम बरतने और तनाव को कम करने की अपील की है। क़तर ने भी दोनों पक्षों से आग्रह किया कि वे बातचीत और कूटनीति के माध्यम से इस मामले को हल करें और कोई भी कदम उठाने से पहले संतुलित दृष्टिकोण अपनाएं।
सीमा पर संघर्ष और दोनों देशों का सैन्य दखल
तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने बीबीसी को बताया कि शनिवार रात अफ़ग़ानिस्तान के पूर्वी कुनार प्रांत, दक्षिण-पूर्वी खोस्त, पक्तिया और दक्षिणी हेलमंद में पाकिस्तान के सैन्य चौकियों पर हमले किए गए। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि तालिबान बलों ने शाम को हमला किया, और इसके बाद दोनों पक्षों के बीच गंभीर लड़ाई हुई।
पाकिस्तान में सैन्य सूत्रों ने भी इस हमले की पुष्टि की और बताया कि अफ़ग़ान बलों ने पाकिस्तान के विभिन्न क्षेत्रों जैसे अंगूर अड्डा, बाजौर, कुर्रम, दीर, चित्राल और बलूचिस्तान में गोलीबारी की। इन घटनाओं के बाद, दोनों ओर से भारी हथियारों से गोलाबारी की खबरें आई हैं, जिसमें अब तक दो लोग घायल होने की सूचना है।
सऊदी अरब और क़तर की अपील
सऊदी अरब ने पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में बढ़ते तनाव पर चिंता जताई है। सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वे पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच हो रही झड़पों पर बारीकी से नजर रखे हुए हैं। मंत्रालय ने दोनों देशों से संयम बरतने और तनाव को कम करने के लिए बातचीत और कूटनीतिक प्रयासों को प्राथमिकता देने की अपील की।
क़तर ने भी इस स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की और दोनों देशों से आग्रह किया कि वे किसी भी स्थिति में सैन्य संघर्ष से बचने के लिए संवाद और कूटनीति का सहारा लें। क़तर का कहना था कि इस विवाद का हल केवल बातचीत के माध्यम से ही संभव है और दोनों देशों को संयम दिखाना चाहिए।
पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच लगातार तकरार
पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के बीच हाल के महीनों में कई बार सीमा पर तनाव बढ़ चुका है। पाकिस्तान ने हमेशा यह आरोप लगाया है कि अफ़ग़ानिस्तान अपनी सीमा पर तहरीक-ए तालिबान पाकिस्तान (TTP) जैसे आतंकवादी समूहों को पनाह देता है, जो पाकिस्तान पर हमले करने की योजना बनाते हैं। जबकि तालिबान के विदेश मंत्री मुत्तक़ी ने इन आरोपों को नकारते हुए कहा है कि अफ़ग़ानिस्तान में कोई भी आतंकवादी समूह अब सक्रिय नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अफ़ग़ानिस्तान ने इन समूहों के खिलाफ कड़ा अभियान चलाया था और अब अफ़ग़ान धरती पर इनका कोई अस्तित्व नहीं है।
यह बयान पाकिस्तान के लिए चिंता का विषय बन गया है, क्योंकि पाकिस्तान के अधिकारियों का मानना है कि अफ़ग़ानिस्तान में स्थित आतंकवादी समूह उनकी सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं।
भविष्य की दिशा और कूटनीतिक प्रयास
अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते संघर्ष को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की निगाहें अब दोनों देशों पर टिकी हुई हैं। सऊदी अरब और क़तर ने पहले ही दोनों देशों से तनाव कम करने के लिए संवाद का आह्वान किया है। हालांकि, यह देखना अब यह अहम होगा कि क्या पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान मिलकर एक कूटनीतिक समाधान पर पहुंच पाते हैं या नहीं।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की सलाह के बावजूद, दोनों देशों के बीच सीमा पर स्थिति बिगड़ती जा रही है, जिससे दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सुरक्षा पर गहरा असर पड़ सकता है। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद, आतंकवाद, और राजनैतिक मुद्दों पर अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकला है।
तालिबान और पाकिस्तान की बातचीत की संभावना
तालिबान और पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक बातचीत की संभावना अब ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है, खासकर तब जब दोनों देशों के बीच सैन्य संघर्ष बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान को चाहिए कि वे अपनी पुरानी प्रतिद्वंद्विता को छोड़कर, एक साझा समाधान के लिए बातचीत की प्रक्रिया को तेज करें।
इसी बीच, तालिबान के विदेश मंत्री अमीर ख़ान मुत्तक़ी के भारत दौरे ने नई बहस को जन्म दिया है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान के साथ सीमा पर हुए हमलों पर अपनी चिंता जताई है। उनका कहना था कि पाकिस्तान को अपनी पुरानी गलतियों को दोहराने से बचना चाहिए और सीमा पर शांति स्थापित करने के लिए कूटनीतिक रास्ते पर चलना चाहिए।
अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य संघर्ष और सीमा पर हो रहे हमलों से यह स्पष्ट है कि दोनों देशों के बीच स्थिति बेहद तनावपूर्ण है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय, खासकर सऊदी अरब और क़तर की ओर से शांति की अपील के बावजूद, दोनों देशों के बीच समाधान के लिए अभी तक कोई ठोस प्रयास नहीं किया गया है। ऐसे में, भविष्य में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान इस विवाद को कूटनीति और बातचीत के जरिए सुलझा पाते हैं या फिर यह संघर्ष और अधिक बढ़ता है।
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