कहतें हैं कि राजनीति में कोई किसी का स्थायी दोस्त नहीं होता और नाही कोई किसी का स्थायी दुश्मन होता है…। यानी, अपनी सुविधा के अनुसार किसी से कभी भी हाथ मिलाया जा सकता है। नेताओं ने इसे राजनीति का मूल मंत्र बना दिया है। ‘’खबरो की खबर’’ के इस सेगमेंट में राजनीति के इस सर्वमान्य जुमला की पड़ताल करेंगे। दरअसल, राजनीति एक विचारधारा है और विचारधारा बदलने की चीज़ नहीं होती है। यानी जिसका अपना कोई विचारधारा नहीं हो… उसको राजनीति में नहीं आना चाहिए। विचारधारा को सुविधा के मुताबिक बदलने वाला, वास्तव में अवसरवादी होता है। ऐसे लोग स्वयं अवसर का लाभ उठाते है और अखिरकार इसका खामियाजा समाज को भुगतना पड़ता है।