संजय कुमार सिंह
वाराणसी। आस्था का केंद्र तथा विश्व-विख्यात अघोरपीठ बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुण्ड में लोलार्क-षष्ठी का पर्व श्रद्धा-भक्ति के साथ हर्सोल्लास से मनाया गया । रविन्द्रपुरी कॉलोनी स्थित बाबा कीनाराम स्थल पर कई-किलोमीटर लंबी लाइन में लोग अहले सुबह से ही दर्शन को अपनी बारी का इंतज़ार करते रहे ।
अघोर-परंपरा के मुखिया-ईष्ट, अघोराचार्य बाबा सिद्धार्थ गौतम राम, के दर्शन के लिए इस स्थान पर पहुँचने लगे थे । इससे पहले स्वयंसेवकों द्वारा साफ़-सफाई व् श्रमदान भी किया गया । व्यवस्था हेतु बनाये गए विभिन्न-विभागों में लगे स्वयंसेवक हर जगह मुस्तैद दिखे । क्रीं-कुण्ड के आस-पास, कई किलोमीटर तक, फल-फूलमाला-झूला-खिलौने-चाट-गोलगप्पे-मिठाई-चाय-कॉफ़ी इत्यादि की दुकानों से मेले जैसा माहौल, 2 दिन पहले से ही, हो गया था ।
ज्ञातव्य हो कि अघोर-परम्परा के आधुनिक-स्वरुप के जनक-अधिष्ठाता कहे जाने वाले महान संत अघोराचार्य महाराजश्री बाबा कीनाराम का जन्मोत्सव समारोह उनके जन्मस्थान रामगढ़,चंदौली में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया गया था। बाबा कीनाराम के जन्म के छठे दिन (छठी) के उपलक्ष्य में, अघोरपीठ पर मनाया जाने वाला लोलार्क षष्ठी पर्व , हर साल, भादो महीने की षष्ठी के दिन मनाया जाता है । क्रीं-कुण्ड में एक कुण्ड (तालाब) है जहां विशेष-तौर पर, इस दिन, महिलाएं स्नान करती हैं । संतान-प्राप्ति के लिए, महिलाएं पहले गंगा के तट अस्सीघाट स्थित लोलार्क कुण्ड पर स्नान करती हैं और फिर क्रीं-कुण्ड आकर स्नान करती हैं । कहा जाता, कि, बाबा कीनाराम ने अपने आध्यात्मिक तपोबल से इन दोनों कुण्ड को जागृत किया था । लोलार्क षष्ठी पर्व में भारी भीड़ की उम्मीद रखते हुए, वाराणसी प्रशासन ने पहले से ही चाक-चौबंद व्यवस्था कर रखा था । स्वयं-सेवकों और प्रशासन के तालमेल से पूरा कार्यक्रम व्यवस्थित व शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ ।
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