संतोष कुमार गुप्ता
दुनिया के गेंदबाजो मे खौफ बनाने वाले क्रिकेट के देवता भारत रत्न सचिन तेंदुलकर का आज जन्मदिन है। पुरे दुनिया के क्रिकेटप्रेमियो के दिल मे बसे सचिन तेंदुलकर असाधारण इंसान है। उनके रिकॉर्ड को देखकर ऐसा लगता है कि किसी को भी वहां तक पहुचने मे दोबारा जन्म लेना पड़ेगा। आज भारतवासी फख्र से कहते है कि हम उस देश के वासी है,जिस देश मे सचिन तेंदुलकर रहते है। जब भारत अंतिम बार वर्ल्ड कप जीता था तो वह जीत सचिन तेंदुलकर को सुपुर्द किया था। जीत के बाद पुरा टीम फूट फूट कर रोया था। सचिन को कंधे पर बैठा कर तिरंगे के साथ पुरा मैदान घुमाया था। अंतिम ओवर मे इन्हे कप्तानी भी दी थी।यह है सचिन के प्रति देश का प्यार। सचिन तेंदुलकर क्रिकेट में भगवान का दर्जा पा चुके दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर आज अपना 44वां जन्मदिन मना रहे हैं। 22 गज पर लगभग हर रिकॉर्ड अपने नाम करने वाले सचिन को भगवान उनकी जिद ने बनाया। जिद रन बनाने की। जिद क्रिकेट को जीने की। इस जिद का नतीजा था कि वह बेहद सब्र के बाद आखिरकार 2011 में अपना विश्व कप जीतने का सपना पूरा करने में सफल रहे। क्रिकेट में लगभग 34,347 रन बनाने वाले सचिन का जन्म मायानगरी मुंबई में 24 अप्रैल, 1973 को एक मराठी परिवार में हुआ था। सचिन तेंदुलकर के जन्मदिन पर जानिए उनकी जिंदगी का एक रोचक किस्सा…
जब जिद्दी सचिन की जान पर बन आई थी
बचपन में सचिन के दोस्त साइकिल चलाते थे, लेकिन सचिन के पास साइकिल नहीं थी। उन्होंने अपने पिता रमेश तेंदुलकर, जो एक मराठी कवि थे उनसे साइकिल खरीदने को कहा लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उनके पिता ने इस बात को टाल दिया। इस बात से सचिन इतने नाराज हुए की सप्ताह भर घर से बाहर खेलने नहीं गए और घर की बालकनी से ही अपने दोस्तो को साइकिल चलाते हुए देखते थे।
इसी दौरान दोस्तो को साइकिल चलाते हुए देखते हुए उनका सिर बालकनी की ग्रिल में फंस गया। उनके घर वाले बेहद परेशान हो गए थे और तकरीबन आधे घंटे बाद उनकी मां ने खूब सारा तेल डालकर सचिन का सिर रेलिंग से बाहर निकाला। सचिन ने इस घटना का जिक्र अपनी किताब ‘प्लेइंग इट माई वे’ में भी किया है।
सचिन अपनी किताब में लिखते है, “मैं बचपन में काफी जिद्दी था। मेरे कई दोस्तों पर साइकिल थी, लेकिन मेरे पास नहीं। मैं किसी भी हाल में साइकिल चाहता था. मेरे पिता को मुझे न कहना अच्छा नहीं लगता था। मैंने जब उनसे कहा कि मुझे साइकिल चाहिए, तो उन्होंने मुझसे कहा कि कुछ दिनों में वह मुझे साइकिल दिला देंगे। आर्थिक तौर पर चार बच्चों को पालना बेहद मुश्किल होता है।”
बकौल सचिन, “बिना इस बात को जाने की मेरे पिताजी को इसके लिए क्या करना होगा, मैं साइकिल की जिद पर अड़ा रहा और मैंने साइकिल न आने तक बाहर खेलने जाने से मना कर दिया. मैं सप्ताह भर तक बाहर खलेने नहीं गया। मैं बालकनी में ही खड़ा रहकर अपने दोस्तों को देखता था।”
सचिन लिखते हैं, “एक दिन मैंने अपने माता-पिता को डराने वाला अनुभव दिया। हम चौथी मंजिल पर रहते थे जिसकी बालकनी छोटी थी और उसमें ग्रिल थी। मैं उसके ऊपर से नहीं देख सकता था. इसलिए बाहर अच्छे से देखने के लिए मैंने ग्रिल में अपना सिर डाला। मैं अपना सिर उस ग्रिल में डालने में तो सफल रहा लेकिन, मैं उसमें सिर को बाहर नहीं निकाल पाया। मैं 30 मिनट तक उसमें फंसा रहा. मेरे घर वाले बेहद परेशान हो गए थे। काफी कोशिशों के बाद मेरी मां ने खूब सारा तेल डालने के बाद मेरा सिर उस ग्रिल में से बाहर निकाला।”
सचिन ने किताब में लिखा है, “मेरी जिद को देखते हुए और इस बात के डर से कि मैं कहीं दोबारा ऐसा कुछ न कर बैठूं, मेरे पिता ने किसी तरह पैसे इकट्ठा कर मुझे नई साइकिल खरीद कर दी। मैं अभी तक नहीं जानता कि उन्होंने साइकिल के लिए क्या किया था ।” सचिन ज्यादा देर तक साइकिल की खुशी नहीं बना पाए थे, क्योंकि साइकिल आने के कुछ घंटे बाद ही उनका साइकिल से एक्सीडेंट हो गया था। सचिन को चोटें लगी थी। उनके पिता ने उनसे कहा था कि जब तक वह पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते तब तक साइकिल नहीं चलाएंगे। इस बार सचिन को अपने पिता की बात माननी पड़ी।
शायद यहीं जिद है, जो सचिन के सफर को 2011 की विश्व कप जीत तक ले गई। हाल ही में उनके जीवन पर आधारित फिल्म ‘सचिन : ए बिलियन डॉलर ड्रीम्स’ का ट्रेलर लांच हुआ है। यह फिल्म 26 मई, 2017 को रिलीज होगी। इस फिल्म के बारे में सचिन ने कहा, “यह मेरे क्रिकेट करियर को ही नहीं दिखाती, बल्कि इसमें कई अलग-अलग चीजें और हमने इन सभी चीजों को साथ में दिखाने की एक कोशिश की है।”
This post was published on %s = human-readable time difference 11:39
7 दिसंबर 1941 का पर्ल हार्बर हमला केवल इतिहास का एक हिस्सा नहीं है, यह… Read More
सफेद बर्फ की चादर ओढ़े लद्दाख न केवल अपनी नैसर्गिक सुंदरता बल्कि इतिहास और संस्कृति… Read More
आजादी के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनाया और चीन ने साम्यवाद का पथ चुना।… Read More
मौर्य साम्राज्य के पतन की कहानी, सम्राट अशोक के धम्म नीति से शुरू होकर सम्राट… Read More
सम्राट अशोक की कलिंग विजय के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया। एक… Read More
KKN लाइव के इस विशेष सेगमेंट में, कौशलेन्द्र झा मौर्यवंश के दूसरे शासक बिन्दुसार की… Read More