राजकुमार सहनी
मुग़लसराय। बात 11 फरवरी 1968 की है। मुग़लसराय जंक्शन के पश्र्चिमी केबिन के पास बहोत ही संदिग्ध अवस्था में पाया गया एक शव को पुलिस लावारिस समझ रही थी। शव का शिनाख्त नही हो पा रहा था। उस वक्त स्टेशन पर कार्यरत कुछ रेलकर्मियों को शक हुआ कि की यह शव पंडित दीन दयाल उपाध्याय का है।
इसकी सूचना संघ के तत्कालीन नगर संघ चालक गुरबक्श कपाही को दे दिया गया। कपाही ने शव की शिनाख्त कर ली। दरअसल, यह शव पंडितजी का ही था। फिर क्या था, यह बात जंगल के आग की तरह पूरे देश में फैल गयी। संघ के सर संघचालक गोलवरकर जी और अटल बिहारी वाजपेयी मुग़लसराय आये। उसके बाद विधिवत रूप से शव को दिल्ली ले जाया गया जहां उनका अंतिम संस्कर किया गया। योगी कैबिनेट का फैसला लागू होने के बाद मुगलसराय स्टेशन को पंडित दीन दयाल स्टेशन के नाम से जाना जायेगा।
मुग़लसराय दिल्ली- हावड़ा रेल रूट के सर्वाधिक व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में शुमार है। यहां से 300 से ज्यादा ट्रेने रोज गुजरती है। मुगलसराय जंक्शन देश के सर्वाधिक व्यस्तयम रेलवे स्टेशनों में से एक है। यह जंक्शन देश को पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत से जोड़ने का काम करती है। मुगलसराय में एशिया का सबसे बड़ा रेलवे यार्ड है और यही से ग्रैंड कार्ड रेल लाइन भी शुरू होती है। जो गया, धनबाद होते हुए हावड़ा के लिए जाती है। मुगलसराय-पटना रेल रूट, सन 1862 में अस्तित्व में आया था। जबकि, मुगलसराय-गया रूट 1900 में अस्तित्व में आया। मुगलसराय-इलाहाबाद रेलखंड 1864 में और मुगलसराय वाराणसी 1898 में अस्तित्व में आया।
This post was published on जून 7, 2017 22:45
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