भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार खेसारी लाल यादव की पत्नी चंदा देवी को राजद (राष्ट्रीय जनता दल) ने छपरा विधानसभा सीट से टिकट दिया है। हालांकि, अब उनके नामांकन में एक नई समस्या सामने आ रही है। चंदा देवी के नाम की मौजूदगी चुनावी क्षेत्र की मतदाता सूची में नहीं पाई जा रही है, जिससे उनकी उम्मीदवारी पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
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नामांकन में आ रही समस्या
चंदा देवी के नामांकन की स्क्रूटनी के दौरान यह खुलासा हुआ कि उनका नाम छपरा विधानसभा क्षेत्र की मतदाता सूची में नहीं है। इससे उनके चुनाव लड़ने की प्रक्रिया में रुकावट आ सकती है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, यह समस्या गंभीर हो सकती है, क्योंकि बिना नाम के उम्मीदवार का चुनाव लड़ना संभव नहीं होता। इसके बाद, कई सवाल उठने लगे हैं कि क्या चंदा देवी का नाम इस क्षेत्र की मतदाता सूची में मौजूद था या नहीं।
मुंबई में पंजीकरण होने का दावा
स्थानीय लोग दावा कर रहे हैं कि चंदा देवी का नाम मुंबई में मतदाता सूची में दर्ज है, क्योंकि वहां उनके नाम से फ्लैट और अन्य संपत्तियां भी हैं। मुंबई में उनके नाम से संपत्ति होने के कारण, यह संभावना जताई जा रही है कि उनका नाम वहां के मतदाता सूची में पंजीकृत हो सकता है। हालांकि, छपरा के स्थानीय क्षेत्र में उनका नाम न होना यह दर्शाता है कि उनके नाम का सही तरीके से पंजीकरण नहीं किया गया है।
चंदा देवी की पृष्ठभूमि और चुनावी प्रक्रिया
चंदा देवी का मूल घर बिहार के एकमा विधानसभा क्षेत्र के धानाडीह गांव में है, लेकिन यहां के मतदाता सूची में उनका नाम नहीं मिला है। इसके बावजूद, गांव के बीएलओ (बूथ लेवल अधिकारी) का कहना है कि चंदा देवी के नाम का सत्यापन किया जा रहा है। अधिकारी का कहना है कि जल्द ही इस मामले की पूरी जानकारी सामने आ जाएगी। चंदा देवी का नाम इस सूची में न होना एक बड़ा मुद्दा बन सकता है, जो उनके चुनावी सफर को प्रभावित कर सकता है।
राजद और खेसारी के विरोधियों का आरोप
चंदा देवी के नामांकन पर उठ रही इस नई समस्या ने खेसारी लाल यादव के विरोधियों को आलोचना का मौका दे दिया है। उनका कहना है कि राजद ने बिना नामांकन की सही जांच किए ही चंदा देवी को टिकट दे दिया। विरोधियों का कहना है कि खेसारी लाल यादव ने पंचायत चुनाव में अपनी भाभी को उम्मीदवार बनाया था और खुद चुनावी एजेंट बने थे। वे इस चुनावी प्रक्रिया में भी सक्रिय थे। हालांकि, अब यह स्पष्ट हो गया है कि चंदा देवी का नाम महाराष्ट्र राज्य की मतदाता सूची में पंजीकृत है।
राजद का फैसला और टिकट की घोषणा
बता दें कि भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार खेसारी लाल यादव की राजनीति में एंट्री लगभग तय मानी जा रही थी। कहा जा रहा है कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने खुद उनकी पत्नी चंदा देवी को इस सीट से उम्मीदवार बनाने का फैसला किया था। यह फैसला खेसारी की लोकप्रियता को देखते हुए लिया गया, क्योंकि उनकी छवि एक लोकप्रिया और प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित हो चुकी है।
भाजपा ने दी छोटी कुमारी को टिकट
इस बीच, भाजपा ने भी इस सीट पर अपनी उम्मीदवार घोषित कर दी है। भाजपा ने इस बार छोटी कुमारी को टिकट दिया है, जो एक सशक्त उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरने वाली हैं। यह कदम भाजपा के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसे राजद के खिलाफ एक मजबूत चुनौती मानी जा रही है।
चंदा देवी का पारिवारिक संबंध
चंदा देवी का एक और अहम संबंध यह है कि वे तेज प्रताप यादव की पत्नी ऐश्वर्या राय की चचेरी बहन हैं। इस पारिवारिक संबंध ने उनके राजनीतिक सफर को और भी रोचक बना दिया है, क्योंकि यह रिश्ता उनके समर्थकों के बीच एक अलग पहचान बनाने में मदद करता है।
बिहार के छपरा क्षेत्र में चुनावी जंग
छपरा विधानसभा सीट पर इस बार राजद और भाजपा दोनों के बीच मुकाबला तेज हो गया है। भाजपा ने छोटी कुमारी को उम्मीदवार बनाया है, जबकि राजद ने चंदा देवी को टिकट दिया है। दोनों पार्टियों के बीच चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प होने वाला है।
राजद और भाजपा के बीच राजनीतिक खींचतान
राजद और भाजपा के बीच इस सीट पर होने वाली राजनीतिक खींचतान ने क्षेत्रीय राजनीति में नया मोड़ दिया है। राजद के लिए यह सीट खास महत्व रखती है, क्योंकि यहां की जमीनी राजनीति में उनका असर है। वहीं भाजपा भी इस सीट को अपने पक्ष में करने के लिए पूरी ताकत लगा रही है।
खेसारी लाल यादव की राजनीति में एंट्री
खेसारी लाल यादव की राजनीति में एंट्री का अनुमान पहले से ही लगाया जा रहा था। उनका बॉलीवुड और भोजपुरी फिल्म उद्योग में बड़ा नाम है, और उनके फैंस की तादाद भी काफी ज्यादा है। ऐसे में, उनके परिवार की चुनावी राजनीति में शामिल होना समझ में आता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि चंदा देवी की उम्मीदवारी इस चुनाव में किस दिशा में जाती है और क्या वे इस कठिन परिस्थिति से पार पा सकती हैं।
चंदा देवी की उम्मीदवारी का भविष्य अब अनिश्चित बना हुआ है। मतदाता सूची में उनका नाम न होने से उनकी स्थिति कमजोर हुई है, लेकिन जांच प्रक्रिया जारी है। यदि यह समस्या जल्द हल नहीं होती, तो उनकी उम्मीदवारी पर गंभीर असर पड़ सकता है। हालांकि, अगर उनका नाम जल्द ही पंजीकरण प्रक्रिया में जुड़ जाता है, तो वे चुनावी मैदान में मजबूत उम्मीदवार के रूप में नजर आ सकती हैं।
इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट है कि आगामी विधानसभा चुनावों में राजनीतिक दलों के बीच की जंग और भी तेज हो सकती है। बिहार की छपरा सीट पर अब भाजपा और राजद के बीच एक दिलचस्प मुकाबला होगा, जहां चंदा देवी की उम्मीदवारी भी अहम भूमिका निभा सकती है।



