राजस्थान की राजधानी जयपुर के सवाई मान सिंह (SMS) अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में रविवार देर रात एक बड़ी घटना घटी। ट्रॉमा सेंटर की दूसरी मंजिल पर स्थित ICU वार्ड में शॉर्ट सर्किट से भीषण आग लग गई। इस आग में 8 मरीजों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से झुलस गए हैं। आग के बाद अस्पताल में अफरा-तफरी का माहौल था। मरीजों और उनके परिजनों को तत्काल बाहर निकाला गया। घटना की सूचना मिलते ही दमकल और पुलिस की टीमें मौके पर पहुंची और बचाव कार्य शुरू किया। आग को देर रात तक पूरी तरह से नियंत्रित किया गया।
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आग की शुरुआत ट्रॉमा ICU में हुई, जहां ज्यादातर मरीज कोमा में या गंभीर हालत में थे। आग लगने के बाद अस्पताल में हड़कंप मच गया और चीख-पुकार के बीच मरीजों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया गया। आग के कारण बिजली के उपकरणों से निकलने वाली जहरीली गैसों ने मरीजों को सांस लेने में भी दिक्कतें उत्पन्न कीं। हालांकि, डॉक्टरों और अस्पताल स्टाफ ने अपनी पूरी कोशिश की, लेकिन आठ गंभीर मरीजों को बचाया नहीं जा सका। बाकी मरीजों की हालत भी नाजुक बनी हुई है।
दमकल और पुलिस की बहादुरी
इस भयावह घटना के बीच पुलिस के कांस्टेबल वेदवीर सिंह, हरि मोहन और ललित ने बहादुरी का परिचय दिया। इन कांस्टेबलों ने अपनी जान की परवाह किए बिना 10 से ज्यादा मरीजों और उनके परिजनों को सुरक्षित बाहर निकाला। इन बहादुर जवानों ने अस्पताल के अंदर घुसकर घने धुएं और आग के बीच मरीजों को बचाने का जोखिम उठाया। इस दौरान कांस्टेबल वेदवीर और उनके साथी सांस की तकलीफ का शिकार हो गए, जिन्हें बाद में SMS अस्पताल की इमरजेंसी में इलाज दिया गया।
यह घटना दर्शाती है कि किस तरह पुलिस और दमकल कर्मियों ने कड़ी मेहनत और साहस से कई जिंदगियों को बचाया। अस्पताल प्रशासन ने सभी मरीजों को सुरक्षित दूसरे वार्ड में स्थानांतरित कर दिया और अब सुरक्षा और फायर सिस्टम की समीक्षा शुरू कर दी है।
मृतकों में सवाई माधोपुर के दिगंबर भी शामिल
मृतकों में सवाई माधोपुर के दिगंबर का नाम भी सामने आया है। वह रविवार रात करीब 9 बजे इलाज के लिए ट्रॉमा सेंटर में लाए गए थे। आग लगने के बाद उनकी स्थिति बिगड़ गई और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। दिगंबर के परिवार में कोहराम मच गया है। हालांकि, अन्य मृतकों के नाम अभी स्पष्ट नहीं हुए हैं, लेकिन सभी गंभीर रूप से बीमार थे।
हादसे के शिकार मरीजों में सीकर के पिंटू, दिलीप आंधी, भरतपुर के श्रीनाथ, रूक्मणि, खुशमा और सांगानेर के बहादुर सहित अन्य लोग भी शामिल हैं। परिवार के लोग घटना के बाद गहरे शोक में हैं।
मुख्यमंत्री ने की मुआवजे की घोषणा
घटना की सूचना मिलते ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा तुरंत SMS अस्पताल पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। उनके साथ चिकित्सा मंत्री जवाहर सिंह बेधम भी थे। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये की सहायता राशि देने की घोषणा की। इसके साथ ही, घायलों के इलाज का खर्च राज्य सरकार उठाएगी।
मुख्यमंत्री ने अस्पताल प्रशासन को सख्त निर्देश दिए और कहा कि ऐसी घटनाएं अस्वीकार्य हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री किरोड़ी लाल मीणा भी अस्पताल पहुंचे और घायलों से मुलाकात की। उन्होंने घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की और परिवारों को सांत्वना दी।
फॉरेंसिक टीम जांच में जुटी
पुलिस और फॉरेंसिक टीम ने घटना के सही कारणों की जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, शॉर्ट सर्किट को आग का कारण माना जा रहा है। हालांकि, अधिकारियों ने यह भी बताया कि आग लगने से अस्पताल के उपकरणों से निकली जहरीली गैस ने स्थिति को और गंभीर बना दिया था। फॉरेंसिक और पुलिस टीम आग के कारणों का पता लगाने में जुटी है।
इसके साथ ही, अस्पताल प्रशासन ने भी आंतरिक जांच शुरू कर दी है। अस्पताल के फायर सुरक्षा और सुरक्षा प्रणालियों की समीक्षा की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
अस्पताल में सुरक्षा मानकों की समीक्षा
यह हादसा अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाता है। जयपुर के इस सबसे बड़े अस्पताल में इस तरह की घटना से यह स्पष्ट होता है कि अस्पतालों में फायर सुरक्षा और आपातकालीन प्रबंधन की व्यवस्थाओं को और सख्त करने की जरूरत है। मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने अस्पताल प्रशासन से कहा कि वे जल्द से जल्द अस्पताल के फायर सिस्टम को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाएं।
इसके साथ ही, राज्य सरकार अस्पतालों में फायर ड्रिल और आपातकालीन व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने पर भी विचार कर रही है। अधिकारियों ने यह आश्वासन दिया कि इस घटना के बाद अस्पतालों में सुरक्षा मानकों को प्राथमिकता दी जाएगी।
घटना का प्रभाव और अस्पताल की छवि
इस दुर्घटना के बाद, अस्पताल की छवि पर भी असर पड़ा है। जयपुर के एसएमएस अस्पताल को राज्य का प्रमुख सरकारी अस्पताल माना जाता है, और ऐसे में इस प्रकार की घटना ने मरीजों और उनके परिवारों को गहरे झटके दिए हैं। अस्पताल में इस घटना के बाद मरीजों के लिए जो भी इंतजाम किए गए थे, वे भी काफी हद तक प्रभावित हुए हैं।
वहीं, प्रशासन और राज्य सरकार ने पीड़ित परिवारों को पूरी मदद देने का भरोसा दिलाया है और अस्पताल में और अधिक सुरक्षा व्यवस्थाएं लागू करने का वादा किया है।
सवाई मान सिंह अस्पताल में हुई इस भीषण आग की घटना ने अस्पताल के सुरक्षा मानकों को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। इस घटना में 8 मरीजों की जान चली गई और कई अन्य घायल हुए हैं। इसके बावजूद, दमकल कर्मियों और पुलिस ने अपनी जान की परवाह किए बिना मरीजों को बचाने की पूरी कोशिश की। मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ने राहत की घोषणा की है और जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है।
यह घटना अस्पतालों में सुरक्षा मानकों को लेकर एक अहम संदेश देती है कि फायर सुरक्षा प्रणालियों को मजबूत करना और आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए अस्पतालों को बेहतर तैयार करना बेहद जरूरी है। अब देखना यह होगा कि अस्पताल प्रशासन और राज्य सरकार इस घटना से क्या सबक लेते हैं और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए क्या कदम उठाते हैं।
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