KKN गुरुग्राम डेस्क | बुधवार, 26 फरवरी 2025 को जम्मू और कश्मीर के राजौरी जिले में नियंत्रण रेखा (LoC) के पास भारतीय सेना की एक गाड़ी पर आतंकवादियों ने हमला किया। यह हमला सुंदरबनी क्षेत्र के फलगांव में हुआ, जब सेना का वाहन उस इलाके से गुजर रहा था। अधिकारियों के अनुसार, आतंकवादी जंगलों में छिपे हुए थे और जैसे ही सेना का वाहन उस क्षेत्र से गुजरा, उन्होंने सेना की गाड़ी पर गोलीबारी शुरू कर दी।
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इस हमले में कोई सैनिक घायल नहीं हुआ। हमले के तुरंत बाद, इलाके को घेर लिया गया और अतिरिक्त सुरक्षा बलों को भेजा गया। पूरे क्षेत्र में आतंकियों की तलाश के लिए सर्च ऑपरेशन जारी किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि जिस स्थान पर हमला हुआ, वह इलाका आतंकियों के लिए पारंपरिक घुसपैठ मार्ग माना जाता है, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) से भारत में घुसने के लिए इस्तेमाल होता है।
आतंकियों के खिलाफ भारतीय सेना की लगातार कार्रवाई
हाल के महीनों में जम्मू और कश्मीर में आतंकवादियों द्वारा किए गए हमले भारतीय सेना की मुस्तैदी और जवाबी कार्रवाई को दर्शाते हैं। 7 फरवरी 2025 को भारतीय सेना ने 7 पाकिस्तानी आतंकियों को मारा था। यह घटना पुंछ जिले के कृष्णा घाटी क्षेत्र में हुई थी, जहां आतंकियों ने LoC के पास भारतीय सीमा में घुसपैठ की कोशिश की थी। भारतीय सेना ने पहले ही आतंकियों की योजना को विफल कर दिया और उन्हें अपनी घुसपैठ से पहले नष्ट कर दिया।
इस हमले में मारे गए आतंकियों में पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीम (BAT) के सदस्य भी थे। यह टीम विशेष रूप से क्रॉस-बॉर्डर ऑपरेशन्स में माहिर होती है और भारतीय सेना के खिलाफ हमले करती है। सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने अपनी तैयारियों का परिचय दिया और आतंकियों के मंसूबों को नाकाम किया।
जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी हमले और घुसपैठ
जम्मू और कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में आतंकवादियों के हमले और घुसपैठ की कोशिशें लगातार जारी रहती हैं। 3 फरवरी 2025 को कश्मीर के कुलगाम जिले में आतंकवादियों ने एक रिटायर्ड भारतीय सैनिक, लांस नायक मंजूर अहमद पर हमला किया। इस हमले में मंजूर अहमद की मौत हो गई, जबकि उनकी पत्नी और बेटी घायल हो गईं। यह हमला आतंकवादियों द्वारा भारतीय सैनिकों और उनके परिवारों को निशाना बनाए जाने की एक और घटना थी।
इसके अलावा, 30 जनवरी 2025 को जम्मू के पुंछ जिले में भी आतंकियों ने LoC के पास घुसपैठ की कोशिश की थी। सुरक्षा बलों ने इसका सफलतापूर्वक मुकाबला किया और दो आतंकियों को मार गिराया। इस ऑपरेशन ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि भारतीय सुरक्षा बल आतंकवादियों की घुसपैठ को नाकाम करने में पूरी तरह सक्षम हैं।
भारतीय सेना की प्रमुख ऑपरेशन और स्ट्राइक
भारतीय सेना और वायुसेना ने सीमा पार आतंकवादियों के खिलाफ कई महत्वपूर्ण ऑपरेशन्स किए हैं। इनमें से कुछ ऑपरेशन्स ऐतिहासिक महत्व के रहे हैं। सितंबर 2016 में भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा (LoC) पार कर पाकिस्तानी आतंकवादियों के लॉन्च पैड पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने 19 जवानों की शहादत का बदला लेते हुए आतंकवादियों के ठिकानों को पूरी तरह नष्ट कर दिया था।
इस ऑपरेशन के बाद, 29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना के डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन्स (DGMO) लेफ्टिनेंट जनरल रणवीर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया था कि भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान के आतंकी संगठनों को संदेश दिया कि भारत आतंकवादियों के खिलाफ किसी भी तरह की सख्त कार्रवाई करने से नहीं हिचकेगा।
2019 में, पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के ट्रेनिंग कैंपों पर एयर स्ट्राइक की थी। इस ऑपरेशन को “ऑपरेशन बंदर” नाम दिया गया था, और इसमें भारतीय वायुसेना के मिराज विमानों ने 150-200 आतंकियों को ढेर किया था। यह स्ट्राइक पाकिस्तान के आतंकवादी समूहों पर भारत का एक मजबूत संदेश था।
जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद की बढ़ती चुनौती
जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ जारी संघर्ष में अब स्थानीय आतंकवादी नेटवर्क भी सक्रिय हो गए हैं। पिछले कुछ महीनों में, जम्मू क्षेत्र में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी समूहों के स्थानीय नेटवर्क को फिर से सक्रिय होते देखा गया है। यह नेटवर्क पहले आतंकियों का सामान ढोने का काम करता था, लेकिन अब ये गांवों में आतंकियों को हथियार, गोला-बारूद और खाद्य सामग्री मुहैया कराते हैं।
दिसंबर 2024 में, सुरक्षा बलों ने जम्मू क्षेत्र में 25 संदिग्ध आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था। इन संदिग्धों ने पूछताछ में बताया कि जम्मू के 10 में से 9 जिलों में आतंकी नेटवर्क मजबूत हो चुका है। इनमें राजौरी, पुंछ, रियासी, ऊधमपुर, कठुआ, डोडा, किश्तवाड़, जम्मू और रामबन जिले शामिल हैं।
पूर्व जम्मू कश्मीर पुलिस के डीजीपी एसपी वैद्य के अनुसार, आर्टिकल 370 के हटने के बाद पाकिस्तान की सेना और ISI ने जम्मू क्षेत्र को निशाना बनाना शुरू कर दिया था। पिछले दो वर्षों में उन्होंने स्थानीय आतंकवादी नेटवर्क को फिर से सक्रिय किया, जिससे आतंकवादियों को नए सिरे से मदद मिल रही है। इसने भारतीय सुरक्षा बलों के लिए कई चुनौतियाँ उत्पन्न की हैं, खासकर जब आतंकवादी लगातार नए-नए हमलों को अंजाम दे रहे हैं।
भारतीय सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया और भविष्य की चुनौतियां
भारतीय सेना और सुरक्षा बलों ने जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद को नियंत्रित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हालांकि, यह क्षेत्र अभी भी आतंकवादियों के लिए एक प्रमुख निशाना बना हुआ है, और वहां के सुरक्षाबलों को निरंतर सतर्क रहने की आवश्यकता है। भारतीय सेना ने अपनी उच्च स्तर की तैयारियों से आतंकवादियों के मंसूबों को बार-बार नाकाम किया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि पाकिस्तान और अन्य आतंकवादी संगठनों द्वारा चलाए जा रहे अभियान अभी भी जारी हैं।
आगे चलकर, यह देखना होगा कि भारतीय सुरक्षा बल आतंकवादियों की घुसपैठ को कैसे नाकाम करते हैं और पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी नेटवर्क को कैसे निष्क्रिय करते हैं। सीमा पार आतंकवाद को खत्म करने के लिए भारतीय सेना की रणनीतियां और आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई महत्वपूर्ण बने रहेंगे।
जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर आतंकवादियों की घुसपैठ की लगातार कोशिशें और हमले भारतीय सेना की तत्परता और जवाबी कार्रवाई को चुनौती दे रहे हैं। लेकिन भारतीय सेना के बहादुरी और समर्पण से ये हमले विफल हो रहे हैं। भारत की सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए, सेना और अन्य सुरक्षा बलों को इस संघर्ष में पूरी तरह से संलग्न रहना होगा। भविष्य में, आतंकवादियों के खिलाफ की गई कार्रवाइयाँ और सुरक्षा बलों की लगातार तत्परता भारत के लिए निर्णायक साबित हो सकती हैं।
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