राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के गठबंधन पर फडणवीस का बयान, बीएमसी चुनाव में बीजेपी की जीत का दावा

Devendra Fadnavis

KKN गुरुग्राम डेस्क | महाराष्ट्र में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के गठबंधन की चर्चाएं सियासी गलियारों में तेज हो गई हैं। इस बीच, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस संभावित गठबंधन को सकारात्मक तरीके से लिया है और इसे राज्य के राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में एक अच्छा कदम माना है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर दोनों नेता एक साथ आते हैं तो इसे लेकर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे का गठबंधन: फडणवीस का बयान

महाराष्ट्र में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच संभावित गठबंधन की चर्चा जोरों पर है। इन चर्चाओं के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने इस गठबंधन को लेकर अपनी खुशी का इज़हार किया है। फडणवीस ने कहा, “अगर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आते हैं, तो हमें खुशी है क्योंकि बिछड़े हुए लोग जब आपस में आते हैं और किसी विवाद को खत्म करते हैं, तो यह अच्छा होता है। इसमें बुरा मानने की कोई बात नहीं है।”

फडणवीस ने इस बयान से यह भी साफ किया कि बीजेपी इस गठबंधन पर टिप्पणी करने के बजाय, इस बात को देखेगी कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे किस तरह अपनी राजनीति को आगे बढ़ाते हैं।

बीजेपी का बीएमसी चुनाव में जीत का दावा

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के संभावित गठबंधन पर बयान देने के बाद, मुख्यमंत्री फडणवीस ने बीएमसी चुनाव पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। फडणवीस ने कहा कि चाहे वह बीएमसी चुनाव हों या अन्य स्थानीय निकाय चुनाव, बीजेपी के नेतृत्व में उनकी महायुति (ग्रैंड एलायंस) इन सभी चुनावों में निश्चित रूप से जीत हासिल करेगी। उन्होंने कहा, “हमारी महायुति की विजय होगी और बीजेपी का नेतृत्व इस चुनाव में और अधिक मजबूत होगा।”

मुख्यमंत्री का यह बयान उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है और यह संकेत देता है कि बीजेपी आगामी चुनावों में अपना दबदबा बनाए रखने के लिए पूरी तरह से तैयार है। उनका यह बयान बीएमसी चुनावों को लेकर बीजेपी की रणनीति का हिस्सा माना जा सकता है।

विपक्ष का राज और उद्धव के गठबंधन पर प्रतिक्रिया

वहीं, विपक्षी दलों ने राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के संभावित गठबंधन पर अपनी असहमति जताई है। शिवसेना (यूबीटी) के नेता और महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे की राजनीति अलग-अलग है। उन्होंने कहा, “दोनों भाई हैं, लेकिन उनकी राजनीति अलग है। यदि राज और उद्धव को एक साथ आना है, तो उन्हें आपस में बैठकर इस बारे में बात करनी होगी। यह चर्चा टीवी पर नहीं, बल्कि निजी तौर पर होनी चाहिए।”

दानवे के बयान से यह स्पष्ट होता है कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच की राजनीतिक दूरी और विचारधारात्मक भिन्नताएं अभी भी दोनों के बीच समझौते की राह में रुकावट बन सकती हैं।

राज ठाकरे की पेशकश: उद्धव ठाकरे के साथ आने के लिए तैयार

गौरतलब है कि राज ठाकरे ने 19 अप्रैल 2025 को एक बड़ा बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि यदि महाराष्ट्र के हित में यह जरूरी हुआ, तो वह उद्धव ठाकरे के साथ आने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, “अगर महाराष्ट्र के हित के लिए मुझे उद्धव ठाकरे के साथ आना पड़ा तो मैं तैयार हूं।” राज ठाकरे का यह बयान महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा गया है और इसे उनके और उद्धव ठाकरे के बीच संभावित राजनीतिक समझौते के रूप में देखा जा रहा है।

हालांकि, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट ने इस पेशकश पर अपनी शर्तें रखी हैं। इन शर्तों के बारे में अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी नहीं आई है, लेकिन यह साफ है कि दोनों नेताओं के बीच कोई भी गठबंधन निजी बातचीत के आधार पर ही होगा।

राज और उद्धव के बीच की राजनीतिक दूरी

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच राजनीतिक मतभेदों का लंबा इतिहास रहा है। 2006 में राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग होकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) का गठन किया था। इसके बाद से दोनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर असहमतियां रही हैं। जबकि उद्धव ठाकरे ने शिवसेना को एक क्षेत्रीय पार्टी से राष्ट्रीय राजनीति में लाने का प्रयास किया, वहीं राज ठाकरे ने MNS को एक मजबूत क्षेत्रीय पार्टी के रूप में स्थापित करने की कोशिश की।

राज ठाकरे की राजनीति में खासतौर पर मराठी अस्मिता और महाराष्ट्रियों के अधिकार पर जोर दिया गया है, जबकि उद्धव ठाकरे ने अधिक विस्तृत सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को अपनी पार्टी के एजेंडे में शामिल किया। इन दोनों के बीच की इन राजनीतिक असहमतियों के कारण ही गठबंधन की संभावना पर सवाल उठते रहे हैं।

बीजेपी की महाराष्ट्र में स्थिति: फडणवीस का आत्मविश्वास

जहां एक ओर राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के गठबंधन पर संदेह व्यक्त किए जा रहे हैं, वहीं बीजेपी ने अपनी स्थिति को मजबूत किया है। Devendra Fadnavis ने कहा है कि आगामी बीएमसी चुनाव में उनकी पार्टी के नेतृत्व वाली महायुति की जीत सुनिश्चित है। बीजेपी का यह विश्वास उनकी पार्टी के शिवसेना (यूबीटी) और MNS जैसे स्थानीय दलों के साथ मिलकर अपनी स्थिति को मजबूत बनाने की रणनीति पर आधारित है।

बीजेपी का ध्यान मुख्य रूप से मुंबई पर है, जहां बीएमसी का चुनाव जीतना पार्टी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। बीजेपी की रणनीति स्थानीय निकाय चुनावों में जीत हासिल करने और महायुति को और मजबूत करना है।

बीएमसी चुनाव का महत्व

बीएमसी चुनाव महाराष्ट्र की राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं। मुंबई के नागरिक निकाय पर नियंत्रण प्राप्त करना किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि बीएमसी न केवल शहर के विकास को प्रभावित करती है, बल्कि यह राज्य में सत्ता की दिशा तय करने में भी मदद करती है। बीजेपी का मुख्य उद्देश्य बीएमसी चुनावों में जीत हासिल करना है, जिससे वे राज्य की राजनीति में अपना दबदबा बनाए रख सकें।

राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के संभावित गठबंधन की चर्चा महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है। हालांकि, दोनों नेताओं के बीच राजनीतिक भिन्नताएं अभी भी एक बड़ी रुकावट हैं, लेकिन बीजेपी ने बीएमसी चुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए पहले से ही तैयारी शुरू कर दी है।

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि महाराष्ट्र की राजनीति में क्या नए गठबंधन बनते हैं और बीजेपी का प्रभाव कितना मजबूत रहता है। बीएमसी चुनाव और अन्य स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी की जीत इस बात का संकेत हो सकता है कि वे महाराष्ट्र की राजनीतिक सीन पर अपना प्रभाव बनाए रखेंगे।


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