विश्व के पटल पर लहराया बुलंदियों का परचम
भारतीय सेना का सौर्य आज विश्व के पटल पर बुलंदियों का परचम लहरा रही है। मौसम ठंड का हो या झुलसा देने वाली गर्मी की तपीस। मूसलाधार बारिश हो या जड़ो को हिला देने वाली तूफान। भारत के जवांज सैनिक दिन और रात की परवाह किए बिना मुश्किल से मुश्किल लक्ष्य को भी पल भर में पूरा करने का माद्दा रखतें हैं। सेना हमारे देश का गौरव इसलिए नहीं है कि ये कई जंग लड़ते हैं और देश के लिए शहीद भी हो जाते हैं। बल्कि, गौरव इसलिए कि सेना हमारी शान है। भारतीय सेना कई मायनों में दुनिया की बड़ी-बड़ी सेनाओं को टक्कर देने का माद्दा रखती है।
भारतीय सेना की खुबियां
भारत की सेना दुनिया की सबसे ऊंची पहाड़ियों पर जंग लड़ने में माहिर है। मिशाल के तौर पर सियाचिन ग्लेशियर को ही ले लें, यह सी-लेवल से 5 हजार मीटर ऊपर है। भारतीय संविधान के तहत सेना में जबरन भर्ती का प्रावधान है। किंतु, आज तक इसका प्रयोग नहीं किया गया है। भारतीय सेना पहाड़ी लड़ाइयों में भी जबरदस्त रूप से माहिर है।
बेहतर प्रशिक्षण
भारतीय सेना का हाई ऑल्टीट्यूड वॉरफेयर स्कूल दुनिया के सबसे अच्छे ट्रेनिंग संस्थान में गिना जाता है। स्मरण रहें कि अफगानिस्तान भेजे जाने से पहले अमेरिका के स्पेशल फोर्स की ट्रेनिंग भी इसी इंस्टीट्यूट में हुई थी। साथ ही यूके और रशिया से भी जवान यहां ट्रेनिंग के लिए आते रहते हैं। ये इंस्टीट्यूट पहाड़ी इलाकों और ऊंचाई पर लड़ाई करने के ट्रेनिंग देती है। नतीजा, यहां से स्पेसलिटी हासिल करना दुनिया के कई बड़े देश की सेना के लिए गौरव की बात समझी जाती है।
गुरिल्ला और गोपनियता में है महारथ
दुश्मन की नजरो में आये बिना अपने मिशन को कम्पलिट करने में भारतीय सेना को महारथ हासिल है। वर्ष 1970 और 1990 के दशक में भारत ने अपने परमाणु शस्त्रागार का परीक्षण किया और अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए को इसकी भनक तक नहीं लगी। आज तक इसे सीआईए की सबसे बड़ी विफलताओं में से एक माना जाता है। इसी प्रकार वर्ष 2017 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सरजमीं पर सर्जिकल स्ट्राइक कर दी और पाक सेना को इसकी भनक तक नहीं लगी।
सेना में भर्ती के लिए कठोर मापदंड
भारत की सेना में भर्ती के लिए कठोर मापदंड का पालन किया जाता है। यहां जाति या धर्म के आधार पर आरक्षण के लिए कोई प्रावधान नहीं हैं। नतीजा, समग्र योग्यता, कड़े परीक्षण और फिटनेस के आधार पर ही सेना में भर्ती की जाती है। कोई भी भारतीय नागरिक जब एक बार सेना में भर्ती हो जाता है, तो वह सिर्फ सैनिक ही कहलाता है। भर्ती के बाद सेना बनने के लिए उसे कठोर प्रशिक्षण की दौर से गुजर पड़ता है।
लोंगेवाला पोस्ट पर दिखा था सेना का पराक्रम
लोंगेवाला की युद्ध में भारतीय सेना अपनी जबरदस्त पराक्रम दुनिया को दिखा चुकी है। यह युद्ध भारत और पाकिस्तान के बीच दिसंबर 1971 में लड़ा गया था। जिसमें एक जीप और एम-40 रीकोइलीस राइफल के साथ भारत के मात्र 120 सैनिकों ने पाकिस्तान के 45 टैंक और एक मोबाइल इन्फैंट्री ब्रिगेड से लैस 2 हजार पाकिस्तानी सैनिक के खिलाफ जंग लड़ी। संख्या में कम होने के बावजूद भारतीय सैनिको ने पूरी बहादुरी के साथ युद्ध लड़ा और सुबह होने पर वायु सेना की मदद से जीत हासिल करने में कामयाब भी रहे।
राहत एवं बचाव में भी अव्वल
न सिर्फ युद्ध बल्कि, आपादा के समय भी भारतीय सेना का कोई सानी नहीं है। भारतीय वायु सेना ने वर्ष 2013 में उत्तराखंड के प्राकृतिक आपदा में फंसे लोगो को जिस प्रकार से मदद की, उसे पूरी दुनिया देखती ही रह गई। वायु सेना का ऑपरेशन राहत अब तक का दुनिया का सबसे बड़ा नागरिक बचाव अभियान साबित हुआ था। पहले फेज़ में भारतीय वायु सेना ने करीब 20 हजार लोगों को सुरक्षित निकाला था। साथ 3 लाख 82 हजार 400 किलो की राहत सामग्री भी पहुचाई थी।
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