विकासवाद की दौर में तेजी से हो रही भूमि अधिग्रहण से देश में खेती की जगह लगातार कम हो रही है और जनसंख्या में उत्तरोत्तर बृद्धि जारी है। ऐसे में ज्यादा पैदावार बढ़ाने के लिए किसान, सब्जियों में केमिकल और किटनाशक का धड़ल्ले से इस्तेमाल करने लगें हैं। इनसे सब्जी में जहर तेजी से घुल रहा है और हमें मीठी मौत भी दे रहा है। गौरतलब बात यें हैं कि हमारे देश की तीन चौथाई से अधिक की आबादी इस खतरे से अनजान है।
सब्जियों में पाए जाने वाले पेस्टिसाइड और मेटल्स पर अलग-अलग शोध किया गया। शोध के अनुसार सब्जियों के साथ हम कई प्रकार के पेस्टिसाइड और मेटल खा रहे हैं। इनमें केडमियम, सीसा, कॉपर और क्रोमियम जैसी खतरनाक धातुएं और एंडोसल्फान, एचसीएच व एल्ड्रिन जैसे घातक पेस्टीसाइड शामिल हैं।
शोध में पाया गया है कि यह जहर सब्जियों के साथ शरीर में जाकर हमारे स्वास्थ्य को भारी नुकसान पहुंचाती हैं। सब्जियां तो हजम हो जाती हैं। लेकिन यह जहर हमारे शरीर के विभिन्न संवेदनशील अंगों में जमा होते रहता है। इससे उल्टी-दस्त, किडनी फेल, कैंसर जैसी बीमारियां सामने आने लगी हैं। पालक, आलू, फूल गोभी, बैंगन, टमाटर आदि में इस तरह का जहर प्रचूर मात्रा में पाया गया है। शोध के अनुसार खेतों में फसलों पर रासायनिक पेस्टिसाइड का उपयोग बहुतायत में किया जा रहा है।
इस रासायनिक जहर में एंडोसल्फान जैसे खतरनाक पेस्टिसाइड का उपयोग आम है। टमाटरों के 28 नमूनों का निरीक्षण किया, जिनमें से 46.43 फीसदी नमूनों में पेस्टिसाइड ज्यादा पाया गया। भिंडी के 25 नमूनों में से 32 फीसदी, आलू के 17 नमूनों में से 23.53 फीसदी, पत्ता गोभी के 39 नमूनों में से 28 फीसदी और बैंगन के 46 नमूनों में से 50 फीसदी नमूने प्रदूषित पाए गए। फूल गोभी सर्वाधिक प्रदूषित पाई गई है। जिसके 27 नमूनों में 51.85 प्रतिशत नमूनों में यह जहर था।
सब्जियों के साथ शरीर में जाकर एंडोसल्फान, एचसीएच व एल्ड्रिन जैसे पेस्टिसाइड वसा व उत्तकों में जम जाता है। बायोमैनीफिकेशन प्रक्रिया से शरीर में इनकी मात्रा बढ़ती रहती है। यह लंग्स, किडनी और कई बार दिल को सीधा नुकसान पहुंचाता हैं। इनकी अधिक मात्रा जानलेवा बन सकती है।
इसी तरह मेटल के कारण भी कई गंभीर बीमारियों का खतरा रहता है। केडमियम धातु लीवर व किडनी में जमा होकर इसे डैमेज करती है। यह धातु प्रोटीन के साथ जुड़कर उसका असर खत्म कर देता है। इससे कैंसर का खतरा रहता है। इटाई-इटाई नामक बीमारी होने से हड्डियां मुड़ जाती हैं। इस बीमारी को ब्रिटल बोन भी कहा जाता है। जापान में सबसे पहले यह तथ्य सामने आया था। जहां इसे इटाई-इटाई नाम दिया गया।
जिंक से उल्टी-दस्त व घबराहट होना आम है। यह ज्यादा मात्रा में जमा होने पर लीवर को नुकसान पहुंचाता है। ज्यादा मात्रा होने पर इसे जिंकचीली कहा जाता है। सीसा की मात्रा शरीर में ज्यादा होने पर असहनीय दर्द होता है। किडनी पर इसका असर सीधा होता है। मानसिक संतुलन भी बिगड़ सकता है। खून में इसकी मात्रा बढ़ने पर एनिमिया हो जाता है। लीवर को भी यह प्रभावित करता है। इससे लकवा होने की आशंका भी रहती है। क्रोमियम से चर्मरोग व श्वास संबंधी बीमारियों के साथ शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म होने की समस्या रहती है। कॉपर से एलर्जी, चर्मरोग, आंखों के कॉर्निया का प्रभावित होना, उल्टी-दस्त, लीवर डेमेज, हाइपर टेंशन की शिकायत मिलती है। मात्रा बढ़ने पर व्यक्ति कोमा में भी जा सकता है।
This post was published on %s = human-readable time difference 14:04
7 दिसंबर 1941 का पर्ल हार्बर हमला केवल इतिहास का एक हिस्सा नहीं है, यह… Read More
सफेद बर्फ की चादर ओढ़े लद्दाख न केवल अपनी नैसर्गिक सुंदरता बल्कि इतिहास और संस्कृति… Read More
आजादी के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनाया और चीन ने साम्यवाद का पथ चुना।… Read More
मौर्य साम्राज्य के पतन की कहानी, सम्राट अशोक के धम्म नीति से शुरू होकर सम्राट… Read More
सम्राट अशोक की कलिंग विजय के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया। एक… Read More
KKN लाइव के इस विशेष सेगमेंट में, कौशलेन्द्र झा मौर्यवंश के दूसरे शासक बिन्दुसार की… Read More