मीनापुर। वैसे तो महान पार्श्व गायक किशोर दा को चाहने वालो की कमी नही है। किँतु मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर प्रखण्ड के मुस्तफागंज बाजार पर अवस्थित सरगम कला केंद्र पर सालो भर महान पार्श्व गायक किशोर कुमार की तराने गूंजती है। यहां पर बच्चो को पाश्चात संस्कृति या फूहड़ गीत नही बल्कि किशोर दा के सदाबहार गीत सीखाये जाते है। यहां पर रोज दर्जनो की संख्या मे संगीत प्रेमी पहुंच कर पुराने सदाबहार गीतो को गुनगुनाते है। यह सब कर रहे है मुस्तफागंज गांव के अशोक दीवाना। आज के बदलते दौर मे भी ये किशोर कुमार को भगवान की तरह मानते है। इनकी पूजा करते है। जयंती पर अशोक दीवाना ने किशोर दा को श्रद्धांजली देने की खास तैयारी की है। वह सामारोह पूर्वक इनके गीतो की गुंजो के साथ शाम-ए-सदाबहार महाफिल सजायेगी।
अशोक ने बताया की एक न एक दिन वह किशोर कुमार बनकर दिखा देगा। शास्त्रिय व सुगम संगीत के क्षेत्र मे सबको चौका देने वाला अशोक की अंगुलिया हारमोनियम पर सरपट दौड़ती है। वह 10 वर्ष की उम्र से ही किशोर दा की गीतो को गुनगुनाता है। चलते-चलते मेरे ये गीत याद रखना, नफरत करने वालो को सीने मे प्यार भर दू,एक चतूर नार कर के सिँगार,जींदगी की यही रीत है हार के बाद ही जीत है,आदि सदाबहार गीत अशोक का लोकप्रिय है। हमे तुमसे प्यार कितना,हम नही जानते गीत जब वह गुनगुनाता है तो लोगो को किशोर कुमार की बरबस याद आ जाती है। अशोक कुमार दीवाना को किशोर दा की तीन सौ से अधिक गीते कठंस्थ याद है। हारमोनियम वह खुद बजाता है। शास्त्रिय संगीत मे वह काफी आगे निकल चुका है। सरगम कला केंद्र पर सीखने वाले रवि, शिवानी, चुलबुल, राकेश, शुभम आदि बच्चे भी किशोर दा की कई गीतो को याद कर चुके है।
This post was published on अगस्त 4, 2017 19:33
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