नई दिल्ली। सावित्री की कथा तो आपने सुना ही होगा, जो सतयुग में अपने पति की प्राण बचाने के लिए यमराज से टकरा जाती है। किंतु, अब कलियुग में अपने पति को बचाने के लिए खुद की जिन्दगी को दाव पर लगाने वाली पत्नियां इन दिनो सुर्खियों में है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शायद ऐसा पहली बार हुआ है जब तीन पुरूषों को उनकी पत्नियों ने जीवनदान दिया है। वह भी शादी के वर्षगांठ के मौके पर। इसे आप पत्नी के द्वारा दी गई किडनी का तोहफा भी कह सकतें हैं। बहरहाल, यह अनोखा तोहफा इन दिनो चर्चा में हैं।
ऐसे हुआ किडनी का ट्रांसप्लान्टेशन
दिल्ली के निजी अस्पताल पुष्पावती सिंघानिया हास्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट में गुर्दा प्रतिरोपण के जरिए जीवनदान पाने की आशा में आये तीन पुरूष चिकित्सकीय कारणों से अपनी-अपनी पत्नियों की किडनी प्राप्त नहीं कर सकते थे। लेकिन तभी एक चमत्कार हुआ और डॉक्टरों के माध्यम से तीनों की पत्नियों को पता चला कि वह भले ही अपने-अपने पति को अंगदान नहीं कर सकती हैं, लेकिन अगर एक-दूसरे की मदद करें तो वह अपने पतियों की जीवन रक्षा कर सकती हैं।
14 घंटे तक चली सर्जरी
डॉक्टरों द्वारा लगातार 14 घंटे में की गयी तीन सर्जरियों में दिल्ली निवासी सना खातून ने अजय शुक्ला को अपनी किडनी दान की। जबकि उनके पति मोहम्मद उमर युसुफ की जान मधुबनी निवासी लक्ष्मी छाया का गुर्दा बचाया। वहीं छाया के पति कमलेश मंडल को शुक्ला की पत्नी माया शुक्ला ने अपनी किडनी दान में दे दिया। तीनों की सर्जरी आठ जुलाई को अस्पताल के गुर्दा प्रतिरोपण विभाग के प्रमुख डॉक्टर पीपी सिंह की टीम ने सुबह आठ बजे से रात दस बजे के बीच की। इस टीम में सात सर्जन, छह एनेस्थिसिया विशेषज्ञ, 18 स्टाफ नर्स और 20 ओटी तकनीकी विशेषज्ञ शमिल रहे।
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