Haryana

आधार कार्ड के फेर में कारगिल शहीद की विधवा ने तोड़ा दम

​आधार कार्ड की ओरिजिनल कॉपी मांगता रहा अस्‍पताल/तड़प-तड़प कर दम तोड़ गई कारगिल शहीद की विधवा

 संतोष कुमार गुप्ता

हरियाणा में एक निजी अस्पताल मे मानविय सम्वेदना को तार तार कर देने का समाचार प्रकाश मे आया है। सरकार के नियम कानून मे उलझ देश के लिए शहीद होने वाले वीर सपूत के विधवा की जाने चली गयी। यहां अस्पताल प्रबंधन की जिद के चलते एक शहीद की पत्नी की मौत हो गई, जिन्होंने अपने प्राण कारगिल युद्ध में देश के लिए न्यौछावर कर दिए थे। अस्पताल ने महिला को अपने यहां भर्ती तक नहीं किया। सिर्फ इसलिए, क्योंकि परिजन के पास उसके आधार कार्ड की ओरिजिनल कॉपी नहीं थी। परिजन की तरफ से मोबाइल पर आधार कार्ड की ई-कॉपी और आधार नंबर बताया गया। मगर अस्पताल ने उनका इलाज करने से मना कर दिया। परिवार का आरोप है कि अस्पताल के इस रवैये के कारण महिला ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। दूसरे अस्पताल ले जाते वक्त उनकी मौत हुई। यह मामला गुरुवार का है। सोनीपत के महलाना गांव में लक्ष्मण दास रहते थे। वह कारगिल युद्ध में देश के लिए शहीद हुए थे। उनकी पत्नी शकुंतला बीते कई दिनों से बीमार चल रही थीं। बेटा पवन उन्हें इलाज के लिए कई जगह ले गया। वह उन्हें सेना कार्यालय में ले गया, जहां उन्हें निजी अस्पताल में जाने की सलाह दी गई।

शकुंतला को इसके बाद यहां के एक निजी अस्पताल ले जाया गया, जहां अस्पताल ने उन्हें भर्ती करने तक से मना कर दिया। कारण थी आधार कार्ड की ओरिजिनल कॉपी। जी हां, यहां उनसे आधार कार्ड मांगा गया। परिजन ने मोबाइल में आधार की ई-कॉपी दिखाई। आधार नंबर बताया, मगर अस्पताल अपनी बात पर अड़ा रहा। महिला इस दौरान दर्द से तड़प रही थी। मगर अस्पताल ने उनकी हालत पर तरस न खाया। परिजन ने इस बात को लेकर विरोध जताया और महिला को भर्ती करने के लिए कहा तो पुलिस बुला ली गई। पुलिस मदद के बजाय उल्टा बेटे को धमकाने लगी। शकुंतला की हालत और बिगड़ते देख परिजन फौरन उन्हें दूसरे अस्पताल ले जा रहे थे। मगर रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया।

अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले को लेकर अपनी सफाई दी है। कहा है कि परिजन के हंगामे के चलते उसे पुलिस बुलानी पड़ी। जबकि, पीड़ित पक्ष ने बताया कि पुलिस ने मदद के बजाय उल्टा धमकाना शुरू किया था। अस्पताल के मुताबिक, वह इलाज के लिए तैयार था। मगर परिजन मरीज को इमरजेंसी वॉर्ड से बाहर ले गए। दूसरे अस्पताल ले जाते वक्त मौत हुई। अस्पताल पर लगे आरोप बेबुनियाद हैं। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उन लोगों को पेपर वर्क पूरा करना पड़ता है। वे गंभीर अवस्था में मरीजों को फौरन भर्ती करते हैं।

This post was published on दिसम्बर 29, 2017 15:18

KKN लाइव WhatsApp पर भी उपलब्ध है, खबरों की खबर के लिए यहां क्लिक करके आप हमारे चैनल को सब्सक्राइब कर सकते हैं।

Show comments
Published by
संतोष कुमार गुप्‍ता

Recent Posts

  • Videos

Manipur की दर्द भरी दास्तान: हिंसा, राजनीति और समाधान की राह

Manipur की दर्द भरी दास्तान में झाँकिए, जहां हिंसा, राजनीति और संघर्ष ने इस राज्य… Read More

जुलाई 24, 2024
  • Videos

क्या अतीत के पन्नों में छुपा है Manipur हिंसा की असली वजह

Manipur में बढ़ती हिंसा और आक्रोश के पीछे की कहानी को जानने के लिए देखिए… Read More

जुलाई 17, 2024
  • Videos

क्या Bihar को मिलेगा विशेष राज्य का दर्जा या दरक जायेगा समीकरण…

विशेष राज्य का दर्जा: जी हां, विशेष राज्य का दर्जा। भारत की राजनीति में इन… Read More

जुलाई 10, 2024
  • Videos

तीन नए कानून : कैसे काम करेगा भारतीय न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा संहिता और साक्ष्य अधिनियम

क्या आप जानना चाहते हैं कि भारतीय न्याय संहिता, नागरिक सुरक्षा संहिता और साक्ष्य अधिनियम… Read More

जुलाई 3, 2024
  • Videos

अंग्रेजों का शिक्षा नीति और भारत का प्राचीन गुरुकुल : हकीकत हैरान करने वाली है

आज के इस वीडियो में हम बात करेंगे भारतीय शिक्षा प्रणाली की ऐतिहासिक सच्चाई पर,… Read More

जून 26, 2024
  • Videos

क्या तीसरी बार मोदी सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर पाएगी? एनडीए की चुनौतियाँ और भविष्य…

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की तीसरी बार सरकार का गठन हो चुका… Read More

जून 19, 2024