भोजपुरी संगीत जगत की एक चमकती हुई रोशनी हमेशा के लिए बुझ गई। मशहूर लोक गायिका और डांसर बिजली रानी का शुक्रवार की शाम 70 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। बिहार के सासाराम जिले के भानपुर से ताल्लुक रखने वाली बिजली रानी ने रोहतास जिले के अपने पैतृक गांव नटवर में अंतिम सांस ली। वह लंबे समय से गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं। उनके निधन की खबर ने पूरे भोजपुरी इंडस्ट्री को गमगीन कर दिया है।
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भोजपुरी लोक संगीत की बिजली हुई खामोश
बिजली रानी भोजपुरी लोक संगीत की दुनिया का एक चमकता सितारा थीं। उनकी खनकदार आवाज़ और जोशीले डांस मूव्स ने एक दौर में लाखों लोगों के दिलों पर राज किया। 80 और 90 के दशक में जब भोजपुरी संगीत अपने स्वर्ण काल में था, उस समय बिजली रानी का नाम घर-घर में गूंजता था। उन्होंने अपने गायन और नृत्य से बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के मंचों पर धमाल मचाया।
लोग उन्हें प्यार से “Bijali Rani” कहते थे — और सचमुच, उनके हर परफॉर्मेंस में वही ऊर्जा और चमक दिखाई देती थी जिसके कारण यह नाम उन्हें मिला। लेकिन इसी तेजस्वी जीवन के पीछे एक लंबी बीमारी ने उन्हें धीरे-धीरे कमजोर कर दिया।
बीमारी और मौत का कारण
बिजली रानी पिछले कुछ वर्षों से किडनी फेलियर की गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं। उनकी दोनों किडनी ने काम करना बंद कर दिया था, जिसके चलते उन्हें लगातार इलाज करवाना पड़ रहा था। कई बार उन्हें घर और अस्पताल के बीच आना-जाना पड़ता था। इलाज के दौरान थोड़ी राहत जरूर मिली, लेकिन उनकी हालत कभी पूरी तरह ठीक नहीं हुई। आखिरकार शुक्रवार को उन्होंने नटवर गांव में अंतिम सांस ली।
बीमारी के बावजूद वे संगीत से जुड़ी रहीं। वह अक्सर कहती थीं कि संगीत ही उनकी जीवन-शक्ति है। आखिरी समय तक उन्होंने अपने कला के प्रति समर्पण बनाए रखा, जो उन्हें एक सच्ची कलाकार के रूप में पहचान देता है।
बचपन से ही संगीत में रुचि
सासाराम के नटवर गांव में जन्मी बिजली रानी को बचपन से ही संगीत और नृत्य से लगाव था। गांव के माहौल में पलते हुए उन्होंने लोक गीतों की मिठास और नाच की लय को बहुत करीब से महसूस किया। उनकी आवाज़ में एक अलग जादू था जो श्रोताओं को बांध लेता था।
1970 के दशक के अंत में उन्होंने छोटे-छोटे आयोजनों और मेलों में गाना शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी लोकप्रियता बढ़ती गई और 1980 के दशक में वह भोजपुरी मंचों की पहचान बन गईं। भोजपुर, शाहाबाद और मगध जैसे क्षेत्रों में उनके नाम का डंका बजने लगा।
मंचों की शान थीं बिजली रानी
बिजली रानी के बिना उस दौर का कोई सांस्कृतिक आयोजन पूरा नहीं माना जाता था। शादियों, मेले, और थिएटर के मंच पर उनका नाम ही सफलता की गारंटी होता था। लोग दूर-दूर से सिर्फ उन्हें देखने आते थे। उनके “Stage Shows” इतने मशहूर थे कि अमीर घराने ही उन्हें बुक कर पाते थे।
उनकी गायकी में लोक जीवन की सादगी और मिट्टी की खुशबू झलकती थी। वहीं, उनके डांस मूव्स दर्शकों को रोमांचित कर देते थे। हर परफॉर्मेंस में उनकी ऊर्जा और भावनाओं का संगम देखने लायक होता था।
भोजपुरी फिल्मों और संगीत में योगदान
बिजली रानी ने न केवल लोक संगीत के मंचों पर बल्कि भोजपुरी फिल्मों और म्यूजिक वीडियोज में भी काम किया। उन्होंने कई लोकप्रिय गीतों को अपनी आवाज दी, जो लोगों की जुबान पर लंबे समय तक रहे।
उनके गानों में गांव की मिट्टी, रिश्तों की मिठास और लोक परंपराओं की झलक मिलती थी। उन्होंने भोजपुरी लोक संगीत को एक नई पहचान दिलाई और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित किया।
दर्शकों और प्रशंसकों की दीवानगी
भोजपुर, शाहाबाद और मगध के लोग उनके सच्चे प्रशंसक थे। उनके गानों और नृत्य में ऐसा आकर्षण था कि दर्शक खुद को थिरकने से रोक नहीं पाते थे। सोशल मीडिया के दौर से पहले भी उनका नाम हर जगह चर्चित था।
उनके गीत आज भी त्योहारों, शादियों और गांव की चौपालों में गाए जाते हैं। उनकी आवाज़ में जो खनक थी, वह आज भी उनके चाहने वालों के दिलों में गूंजती है।
पवन सिंह बने सहारा
जून 2025 में जब बिजली रानी की तबीयत बिगड़ी और दोनों किडनी फेल हो गईं, तब भोजपुरी सुपरस्टार Pawan Singh उनके लिए देवदूत बनकर आए। पवन सिंह, जो उन्हें अपनी चाची मानते थे, उन्हें इलाज के लिए लखनऊ लेकर गए। उन्होंने करीब दो महीने तक उनके इलाज का पूरा खर्च उठाया।
उनकी कुछ तस्वीरें भी सामने आई थीं, जिनमें पवन सिंह उन्हें अस्पताल में सांत्वना देते दिखे थे। इलाज से कुछ समय तक उनकी हालत में सुधार हुआ, लेकिन धीरे-धीरे उनकी सेहत फिर गिरती गई। अब उनके निधन की खबर ने पूरे भोजपुरी फिल्म जगत को शोक में डूबो दिया है।
भोजपुरी इंडस्ट्री में शोक की लहर
बिजली रानी के निधन की खबर फैलते ही भोजपुरी इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई। कलाकारों, संगीत प्रेमियों और फैंस ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। कई कलाकारों ने कहा कि बिजली रानी सिर्फ एक गायिका नहीं थीं, बल्कि भोजपुरी संस्कृति की पहचान थीं।
उनकी सादगी, मेहनत और कला के प्रति समर्पण ने हर कलाकार को प्रेरित किया। नए कलाकार आज भी उन्हें रोल मॉडल के रूप में देखते हैं। उनका जाना एक युग के अंत जैसा है।
अमर रहेगी बिजली रानी की विरासत
बिजली रानी ने भोजपुरी लोक संगीत को एक नई दिशा दी। उनकी आवाज में लोक संस्कृति की आत्मा बसती थी। उन्होंने उस दौर में भी भोजपुरी गानों को लोकप्रिय बनाया जब मीडिया की पहुंच सीमित थी।
उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। उन्होंने दिखाया कि सच्ची कला कभी सीमाओं में नहीं बंधती। सासाराम के छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने जो नाम कमाया, वह आने वाले कलाकारों के लिए मिसाल है।
यादों में जिंदा रहेगी ‘Bijali Rani’
बिजली रानी सिर्फ एक लोक गायिका नहीं थीं, वे भोजपुरी समाज की आत्मा थीं। उनके गानों में जीवन, प्रेम और संघर्ष की सच्चाई थी। उन्होंने अपने हुनर से भोजपुरी संस्कृति को जीवंत बनाए रखा।
उनका जाना भोजपुरी लोक संगीत के लिए अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनकी कला, उनकी आवाज़ और उनका नाम हमेशा ज़िंदा रहेगा।
भोजपुरी की यह “Bijali” भले ही अब खामोश हो गई हो, पर उनकी गूंज हर गांव, हर त्योहार और हर दिल में हमेशा सुनाई देती रहेगी।



