बिहार की राजधानी पटना, बीते दिनो एक बार फिर से गैंगवार का गवाह बन गया। निशाने पर था शॉर्प शूटर तबरेज आलम। बताया गया कि तबरेज आलम जेल में बंद बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के लिए काम करता था। अपराधियों ने शहाबुद्दीन के शॉर्प शूटर 38 वर्षिय तबरेज आलम को दिन के उजाले में राजधानी की सड़को पर गोलियों से भून दिया।
दिन शुक्रवार और समय दोपहर के करीब 3 बजे थे। कोतवाली थाने की बाउंड्री से सटे एक मस्जिद से नमाज अदा करके तबरेज आलम वापस अपनी गाड़ी में बैठने जा रहा था। गाड़ी का गेट खोलने को आगे बढ़ा ही था कि बाइक सवार अपराधियों ने दनादन गोलियां बरसा दीं। एक बाइक पर दो की संख्या में आये नकाबपोश शूटरों ने उस पर छह राउंड गोलियां बरसायीं। गोली लगते ही तबरेज गिर गया। घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंचे कोतवाली पुलिस ने तबरेज को अपनी गाड़ी में लादकर पीएमसीएच ले गये। जहां, डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
तबरेज को निशाने पर लेने से पहले अपराधियों ने पूरी तैयारी कर रखी थी। अपराधियों ने रेकी भी किया था। कोतवाली थाने से जैसे ही वह नमाज पढ़कर वह बाहर निकला, अपराधियों को उसकी खबर मिल गयी। कुछ संदिग्ध थाने से पहले चाय दुकान मोड़ पर भी खड़े थे। वहां भीड़ थी, लिहाजा शूटरों ने उसके आगे बढ़ने का इंतजार किया। जैसे ही वह गाड़ी का गेट खोलने आगे बढ़ा अपराधियों ने उस पर गोलियां दाग दीं। पास खड़े कुछ लोगों ने अपराधियों को खदेड़ने की कोशिश भी की लेकिन वे हथियार लहराते हुये भाग निकले।
बाइक चलाने वाले अपराधियों ने हेलमेट पहन रखी थी जबकि पीछे बैठे शूटर ने काले रंग की टोपी पहनी थी। शूटर की कद-काठी पांच फुट से ऊपर की थी। घटनास्थल से थोड़ी दूरी पर स्थित एक चाय दुकान के पास ही एक संदिग्ध खड़ा था। बताया गया कि वह लाइनर की भूमिका में खड़ा था। बहरहाल, तबरेज की हत्या के आरोप में पुलिस ने चार लोगो पर एफआईआर दर्ज की है। नामजद हुए आरोपियों में अरवल के रुमी मल्लिक, सब्जीबाग के डब्लू मुखिया, पटना के अंजर खान और जहानाबाद के फारुख आलम शामिल हैं। यह एफआईआर मृतक की पत्नी के बयान पर दर्ज की गयी है।
शॉर्पशूटर तबरेज मूल रूप से जहानाबाद जिले के शेख आलम चौक, वार्ड नंबर 13 का रहनेवाला था। पटना में वह फ्रेजर रोड स्थित ग्रैंड चंद्रा अपार्टमेंट में रहता था। उस पर पटना, सीवान और धनबाद में हत्या, रंगदारी, जान से मारने की कोशिश, आर्म्स एक्ट सहित आर्धा दर्जन से अधिक केस दर्ज है। इससे पहले सीवान में डेढ़ दशक पहले हुये एक एनकाउंटर में तबरेज बाल-बाल बचा था। पटना के आमलगंज का रहनेवाला उसका एक साथी सुल्तान मियां उस एनकाउंटर में मारा गया था। उस वक्त तबरेज शहाबुद्दीन के लिये दूसरे जिलों में जाकर भी आपराधिक वारदातों को अंजाम देता था।
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