बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका अल्पावास गृह में बच्चियों के साथ बलात्कार के मामले में आरोपितो की मुश्किलें अभी और बढ़ने वाली है। मामले की जांच कर रही सीबीआई टीम की निगरानी अब पटना उच्च न्यायालय करेगी। राज्य सरकार के अनुरोध पर चीफ जस्टिस राजेन्द्र मेनन और न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की खंडपीठ ने आज मामले की जांच कर रही सीबीआई की निगरानी करने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया है। अब मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
बालिका से शारीरिक उत्पीड़न का है मामला
बतातें चलें कि इससे पहले समाज कल्याण विभाग के निर्देश पर मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस ने मुजफ्फरपुर में बालिका अल्पावास गृह का संचालन करने वाले गैर सरकारी संस्थान सेवा संकल्प एवं विकास समिति की सोशल ऑडिट की थी। इसी रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि बालिका गृह में रहने वाली बच्चियों के साथ शारीरिक उत्पीड़न किया गया है। बाद में चिकित्सीय जांच में 34 बच्चियों के साथ दुष्कर्म होने की पुष्टि हुई थी। बहरहाल, इस मामले में बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर समेत दस लोगों को अब तक गिरफ्तार भी किया जा चुका है।
सीबीआई के रडार पर है कई अधिकारी
स्मरण रहें कि इस मामले की जांच फिलहाल सीबीआई के जिम्मे है। सीबीआई ने समाज कल्याण विभाग से बालिका गृह से जुड़े सभी दस्तावेजों को अपने कब्जे में ले लिया है। इससे पहले जांच टीम ने बालिका गृह के सभी कमरों की छानबीन करने के बाद पीड़ित बच्चियों से नए सिरे पूछताछ की है। सूत्रो मिल रही खबर के मुताबिक समाज कल्याण विभाग के कई सीबीआई के रडार पर आ चुके हैं।
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