पुष्पम प्रिया चौधरी बिहार के राजनीति में एक उभरते हुये नेता के रूप में सामने आई हैं, जिन्होंने पारंपरिक राजनीतिक संरचनाओं को चुनौती देने के लिए खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया और अपनी राजनीतिक पार्टी की नींव रखी। 13 जून 1987 को दरभंगा जिले के विष्णुपुर गांव में जन्मी पुष्पम, बिहार की राजनीति को बदलने के लिए एक नई पीढ़ी के शिक्षित नेताओं का प्रतिनिधित्व करती हैं।
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पुष्पम के शुरुआती दिन और पारिवारिक पृष्ठभूमि
पुष्पम प्रिया का परिवार बिहार की राजनीति में गहरी पैठ रखता है। उनके पिता विनोद कुमार चौधरी, जनतादल (यूनाइटेड) से 2008 से 2014 तक बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे। दुखद रूप से, उनका निधन जुलाई 2023 में 68 वर्ष की आयु में हो गया।
उनके दादा उमाकांत चौधरी, समता पार्टी के संस्थापक सदस्य थे और पार्टी के गठन के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से करीबी संबंध रखते थे। उनके चाचा बिनय कुमार चौधरी, वर्तमान में जदयू से बेनीपुर विधानसभा क्षेत्र के विधायक हैं। हालांकि, इन मजबूत पारिवारिक संबंधों के बावजूद, पुष्पम ने अपनी स्वतंत्र राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की।
उनकी मां, डॉ. सरोज चौधरी, एक प्रोफेसर हैं, और उनकी एक बड़ी बहन भी हैं, जिनका नाम मधु माधवी है। उनका परिवार बिहार के शिक्षित और बौद्धिक वर्ग का प्रतिनिधित्व करता है, जो परंपरागत रूप से शिक्षा और राजनीति दोनों में सक्रिय रहता है।
बिहार से लंदन तक का सफ़र
पुष्पम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दरभंगा के होली क्रॉस स्कूल से की थी। बचपन से ही उनकी शैक्षिक उत्कृष्टता ने उन्हें विदेश में उच्च शिक्षा के लिए प्रेरित किया।
सिंबायोसिस पुणे से किया स्नातक
पुष्पम ने 2007 से 2011 तक पुणे के सिंबायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी से कम्युनिकेशन डिजाइन में स्नातक किया। इस दौरान उन्होंने सामाजिक-सांस्कृतिक डिजाइन, उपयोगकर्ता अनुभव, और ग्राफिक डिजाइन में विशेष अध्ययन किया। यह अंतरविषयक शिक्षा उन्हें दृश्य संचार और डिज़ाइन सोच में दक्ष बनाती, जो बाद में उनकी राजनीतिक अभियानों और संदेशों में प्रभावी साबित हुई।
लंदन में मास्टर डिग्री
पुष्पम की अंतरराष्ट्रीय शैक्षिक यात्रा 2015-2016 में प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय ऑफ ससेक्स के इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज़ से एमए (डेवलपमेंट स्टडीज़) के साथ शुरू हुई। यहां उन्होंने शासन, राजनीति, लोकतंत्र, विकास अर्थशास्त्र, और पार्टी-मतदाता संबंध पर विशेष अध्ययन किया।
इसके बाद, उन्होंने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और पॉलिटिकल साइंस (LSE) से 2017 से 2019 तक मास्टर ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (MPA) की डिग्री प्राप्त की। उनके पाठ्यक्रम में राजनीति, दर्शनशास्त्र, सार्वजनिक प्रशासन, महिला राजनीतिक सिद्धांत आदि शामिल थे।
पर्सनल करियर राजनीति से पहले
पुष्पम ने अपनी स्नातक शिक्षा पूरी करने के बाद 2011 से 2015 तक बिहार सरकार के साथ एक सलाहकार के रूप में काम किया। इस चार साल की अवधि में उन्हें बिहार की प्रशासनिक मशीनरी और शासन की चुनौतियों को समझने का अवसर मिला, जो उनके राजनीतिक प्लेटफॉर्म को आकार देने में मददगार साबित हुआ।
अंतरराष्ट्रीय करियर के अवसर
LSE से स्नातक करने के बाद, पुष्पम को कई मल्टीनेशनल कंपनियों से आकर्षक नौकरी के प्रस्ताव मिले, जिनमें से एक लंदन में आठ करोड़ रुपये के वार्षिक पैकेज के साथ था। हालांकि, उन्होंने इन अवसरों को छोड़ते हुए बिहार लौटने का निर्णय लिया, ताकि अपने राज्य की विकास में योगदान कर सकें।
राजनीति में प्रवेश: 2020 से आगाज
वह विज्ञापन जिसने बिहार को हिला दिया
8 मार्च 2020 को, अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, पुष्पम ने बिहार की राजनीति में अपने प्रवेश की घोषणा एक पूर्ण पृष्ठ विज्ञापन के जरिए की। इस विज्ञापन में उन्होंने खुद को “प्लूरल्स पार्टी की अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री उम्मीदवार” के रूप में प्रस्तुत किया और एक नई प्रगतिशील राजनीतिक पार्टी की शुरुआत की घोषणा की।
यह अप्रत्याशित राजनीतिक कदम बिहार के राजनीतिक लोगो को चौंका गया और मीडिया में व्यापक ध्यान आकर्षित किया। विज्ञापन में बिहार को 2025 तक सबसे विकसित राज्य बनाने का वादा किया गया था और 2030 तक यूरोपीय देशों के समान विकास दर प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया था।
प्लूरल्स पार्टी की स्थापना
पुष्पम ने अपनी राजनीतिक पार्टी “प्लूरल्स पार्टी” की स्थापना की, जिसका उद्देश्य जाति और धार्मिक विभाजन से परे समावेशी शासन की ओर बढ़ना था। इस पार्टी की मुख्य नीतियाँ रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, औद्योगिकीकरण, शहरी विकास और सभी समुदायों की भागीदारी पर केंद्रित थीं।
2020 बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार
प्लूरल्स पार्टी ने 2020 बिहार विधानसभा चुनाव में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ा, जो एक नई पार्टी के लिए अभूतपूर्व कदम था। उनका अभियान “लेट्स ओपन बिहार” और “30 सालों का लॉकडाउन” जैसे नारों के साथ चला, जिसमें बिहार की आर्थिक और सामाजिक स्थितियों को सुधारने की बात की गई।
पार्टी का घोषणापत्र
17 अक्टूबर 2020 को, प्लूरल्स पार्टी ने अपना विस्तृत घोषणापत्र “बिहार कुल परिवर्तन: 8 दिशा, 8 पहर” जारी किया। इसमें आठ प्रमुख क्षेत्रों में क्रांतिकारी विकास की बात की गई थी और यह पारंपरिक जातिवाद आधारित राजनीति से अलग था।
चुनावी परिणाम और इसके बाद की स्थिति
प्लूरल्स पार्टी को चुनाव में हार का सामना करना पड़ा, और पुष्पम ने दो सीटों – बांकीपुर (पटना) और बिस्फी (मधुबनी) – से चुनाव लड़ा, लेकिन वे दोनों ही सीटों पर हार गईं। हालांकि, इस चुनाव ने उन्हें बिहार की राजनीति में एक पहचानी हुई शख्सियत बना दिया और नए राजनीतिक दलों के लिए आने वाली चुनौतियों को उजागर किया।
पिता का निधन एक व्यक्तिगत चुनौती
जुलाई 2023 में उनके पिता, विनोद कुमार चौधरी का निधन हुआ,

जो उनके राजनीतिक और पारिवारिक जीवन में एक बड़ा मोड़ साबित हुआ। इस दुखद घटना ने उन्हें गहरे व्यक्तिगत शोक में डाल दिया, और उन्होंने सोशल मीडिया पर भी अपने पिता के लिए भावुक श्रद्धांजलि अर्पित की।
2025 के चुनाव की तैयारी और सक्रिय राजनीति में वापसी
2020 में हार के बाद एक समय के लिए राजनीतिक गतिविधियों से दूर होने के बाद, पुष्पम प्रिया चौधरी 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों के लिए फिर से सक्रिय राजनीति में लौटीं। जुलाई 2025 में उन्होंने घोषणा की कि उनकी पार्टी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
मास्क प्रतीक और महिला राजनीति
पुष्पम प्रिय का एक विशेष पहचान उनका मास्क पहनना है, जिसे उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपने विरोधियों के प्रति प्रतिक्रिया के रूप में पहना था। उन्होंने कहा कि वह तब तक मास्क नहीं हटाएंगी जब तक NDA या INDIA गठबंधन अपनी पार्टी से महिला मुख्यमंत्री उम्मीदवार की घोषणा नहीं करता। यह कदम बिहार की राजनीति में महिला प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने के लिए उनका स्पष्ट संदेश है।
वर्तमान राजनीतिक स्थिति और एजेंडा
पुष्पम ने 2025 के चुनाव में 243 सीटों में से 122 सीटों पर महिला उम्मीदवारों को उतारने की घोषणा की है, जिससे 50% महिला प्रतिनिधित्व होगा। यह भारतीय चुनावी इतिहास में एक नया अध्याय होगा।
प्लूरल्स पार्टी के मुख्य राजनीतिक मुद्दे
पुष्पम की राजनीतिक प्राथमिकताएं आर्थिक बदलाव, रोजगार सृजन, शिक्षा सुधार, भ्रष्टाचार मुक्त शासन, और मेरिट आधारित राजनीति पर केंद्रित हैं। पुष्पम अपने राजनीतिक विरोधियों की कड़ी आलोचना करती है, विशेषकर प्रशांत किशोर, चिराग पासवान, और कन्हैया कुमार की , उनका मानना है कि ये नेता पुराने विचारों को नए पैकेज में पेश कर रहे हैं। वर्तमान में प्लूरल्स पार्टी की अध्यक्ष के रूप में मीडिया इंटरव्यू, और सार्वजनिक कार्यक्रमों के जरिए बिहार की राजनीति में सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर रही हैं।
अच्छी सोच के साथ राजनीति
पुष्पम प्रिया चौधरी भारतीय राजनीति में एक अच्छी सोच के साथ आयी हैं, जो शिक्षा, मेरिट, और प्रगतिशील नीतियों के माध्यम से बिहार की परंपरागत जातिवादी राजनीति को चुनौती देती हैं। उनकी यात्रा ने यह साबित किया है कि बिहार की राजनीति में बदलाव लाने के लिए नई सोच और सशक्त नेतृत्व की आवश्यकता है।
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