20 साल बाद लौटी आंख की रौशनी, अब चला रहे कुदाल

संतोष कुमार गुप्ता

​मुजफ्फरपुर। मीनापुर प्रखंड के महदेईया पंचायत के पुरैनिया महादलित बस्ती के शिवनंदन माझी 71 बसंत पार कर चुके है। नशे की लत के कारण उनके आंख की रोशनी 20 साल पहले छिन गयी थी। उस वक्त वह झिटकहिया दरबार के निष्ठावान सिपाही थे। उस समय वह नशे मे चूर रहते थे। नशा के कारण धीरे धीरे उनके आंख की रोशनी घटने लगी। एक दिन तो उनकी पुरी आंखो की रोशनी ही चली गयी। शिवनंदन पुरी तरह अंधा हो चुका था। उसको किसी तरह घर पहुंचाया गया। इसके बाद उसे नौकरी से निकाल दी गयी। शिवनंदन पर दुखो का पहाड़ टूट पड़ा। उसके बच्चे नादान थे। दाल रोटी का संकट उत्पन्न हो गया। शिवनंदन को देखते ही लोग उपहास का पात्र बनाने लगे। दोनो बेटी सूर्यकला व चंचल के कंधे को वैशाखी बनाकर शिवनंदन भिख मांगने लगा।दोनो बेटियो के सहारे जब शिवनंदन भिख मांगने निकलता था तो उस पर बच्चे ईंट पत्थर फेकते थे। उसकी धोती खोल देते थे। उसका कुर्ता खिंचने लगते। उसको सुरदास कह कर चिढाने लगते। नतिजतन शिवनंदन गांव से दूर जाकर भिख मांगने लगा। वह पीपरा,नंदना,धारपुर,भटौलिया गांव मे पहुंच कर लोगो से भिक्षा मांगता। आंख से रोशनी जाने के बाद उसने किसी तरह बड़ी बेटी सूर्यकला का शादी किया। इसी बीच शिवनंदन को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। किंतु शिवनंदन की समस्या बढती ही गयी। हालाकि तीन वर्ष पूर्व गांव मे ही लक्ष्मण आई हॉस्पीटल का नेत्र परिक्षण शिविर लगा था। घोसौत गांव के प्रगतिशिल किसान सुनिल कुमार झा ने उसको गोद मे उठा कर शिविर मे ले गये। डॉक्टरो ने चेकअप किया। उसे आपरेशन की आवश्यकता बतायी। शहर बुलाकर आपरेशन किया। आपरेशन के बाद डॉक्टर और शिवनंदन के लिए खुशी का ठीकाना ना रहा। शिवनंदन के आंखो की रोशनी लौट चुकी थी। वह बच्चो व पत्नी को आंखे फांड़ फांड़ कर निहार रहा था। स्वस्थ्य होकर घर लौटने के बाद उसने नशा छोड़ने का पहला संकल्प लिया। उसने छोटी बेटी चंचल को धूम धाम से हाथ पीला किया। अब उसके बेटे भी स्कूल जा रहे है। चार नाती व चार नातिन भी उसके आंगन मे खेल रहे है। शिवनंदन अब कुदाल चलाता है। खेतो मे दिन भर मजदूरी करता है। उसके घर मे खुशी है। वह कहता है कि उस वक्त ज्यादा नशा सेवन करने से उसकी परेशानी बढ गयी। वह शराब के साथ ताड़ी भी पी लेता था। उसको वृदावस्था पेंशन भी मिल रहा है। किंतु इंदिरा आवास का कम राशि मिलने के कारण आज तक उसका छत नही ढला पाया। शिवनंदन को नया जीवन देने वाले घोसौत गांव के सुनिल कुमार झा बताते है कि यह करिश्मा देखकर वह भी आश्चर्यचकित है।

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