KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को सशक्त बनाने के लिए आयुष मंत्रालय द्वारा एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। जिले के 15 स्वास्थ्य केंद्रों को अब आयुष्मान आरोग्य मंदिर के रूप में विकसित किया जा रहा है। इन केंद्रों पर अब आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा पद्धति से इलाज की सुविधाएं मिलेंगी।
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इस योजना का उद्देश्य है गांवों में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देना, स्थानीय लोगों को स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूक करना और कम खर्च में बेहतर इलाज उपलब्ध कराना।
किन केंद्रों को बनाया जा रहा है आयुष्मान आरोग्य मंदिर?
पहले चरण में जिन 15 केंद्रों को शामिल किया गया है, वे जिले के विभिन्न प्रखंडों में स्थित हैं। इन केंद्रों में निम्नलिखित स्थान शामिल हैं:
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स्वास्थ्य उपकेंद्र कोदरिया, मीनापुर
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राजकीय होम्योपैथिक औषधालय बेदौल
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राजकीय आयुर्वेद औषधालय चैनपुर, मोतीपुर
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राजकीय औषधालय, सरैया
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स्वास्थ्य केंद्र कुलदीप, सरैया
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आयुर्वेद औषधालय बरियापुर, मुरौल
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स्वास्थ्य उपकेंद्र मधुबन प्रताप, औराई
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उपकेंद्र गोपालपुर, कांटी
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शंकरपुर तेपरी, बंदरा
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बेलाही लच्छी, मीनापुर
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हुस्सैपुर, साहेबगंज
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बाजिदपुर, बोचहां
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मथुरापुर मुकुंद, सकरा
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पिरौंछा, गायघाट
इन स्थानों पर विशेष रूप से आयुष चिकित्सकों की नियुक्ति की जा चुकी है।
क्या-क्या सुविधाएं मिलेंगी आरोग्य मंदिर में?
इन आयुष्मान आरोग्य मंदिरों पर ग्रामीणों को निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी:
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आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी पद्धतियों से रोगों की जांच और इलाज
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बीपी और शुगर की जांच की सुविधा
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स्वस्थ जीवनशैली पर परामर्श
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औषधीय पौधों के उपयोग और फायदे पर जागरूकता
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रोग की जड़ तक पहुंचने की कोशिश, न सिर्फ लक्षणों का इलाज
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प्राकृतिक औषधियों और नुस्खों का उपयोग
आयुर्वेदिक पार्क की स्थापना
इन केंद्रों पर एक और खास पहल की जा रही है — आयुर्वेद पार्क की स्थापना। इन पार्कों में गमलों में औषधीय पौधे लगाए जाएंगे। साथ ही, उनके औषधीय गुणों के बारे में ग्रामीणों को विस्तार से जानकारी दी जाएगी।
आयुर्वेद पार्क का उद्देश्य:
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ग्रामीणों को आयुर्वेदिक ज्ञान से जोड़ना
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लोगों को घर पर ही औषधीय पौधे उगाने के लिए प्रेरित करना
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स्कूलों और पंचायत स्तर पर जागरूकता अभियान चलाना
क्या होगा केंद्र में इंफ्रास्ट्रक्चर?
इन सभी 15 केंद्रों को पूरी तरह से सुसज्जित किया जा रहा है। राज्य मुख्यालय से फर्नीचर, दवाइयां और उपकरण भेजे जा रहे हैं। प्रत्येक केंद्र पर निम्नलिखित व्यवस्थाएं होंगी:
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डॉक्टर के लिए बैठने की सुविधा
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रोगियों के लिए प्रतीक्षालय
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दवा स्टोर करने के लिए उचित जगह
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जरूरी चिकित्सा जांच उपकरण
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सफाई और स्वच्छता का विशेष ध्यान
क्यों ज़रूरी है यह पहल?
बिहार के कई ग्रामीण क्षेत्रों में आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सीमित है। ऐसे में आयुष्मान आरोग्य मंदिर जैसी पहलें निम्नलिखित समस्याओं का समाधान कर सकती हैं:
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महंगे इलाज के बोझ को कम करना
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ग्रामीणों को स्थानीय पद्धतियों से जुड़ने का मौका
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जीवनशैली जनित रोगों (डायबिटीज, बीपी) का समय रहते निदान
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रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायता
देसी पद्धति का बढ़ता महत्व
आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी जैसी प्राचीन चिकित्सा पद्धतियां, आधुनिक समय में प्रिवेंटिव हेल्थकेयर यानी रोग से पहले बचाव में बहुत प्रभावी मानी जा रही हैं। इन पद्धतियों का मुख्य उद्देश्य होता है:
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जीवनशैली में संतुलन लाना
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प्राकृतिक इलाज द्वारा शरीर को स्वस्थ बनाना
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दवाओं के साइड इफेक्ट से बचाव
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मानसिक और शारीरिक संतुलन बनाना
जिला आयुष अधिकारी का बयान
इस पहल की अगुवाई कर रहीं डॉ. किरण शुक्ला ने बताया:
“हमारा प्रयास है कि आयुष्मान आरोग्य मंदिर सिर्फ इलाज का स्थान न होकर, एक स्वास्थ्य जागरूकता केंद्र के रूप में भी कार्य करें। इस महीने के अंत तक सभी केंद्र पूरी तरह से तैयार हो जाएंगे।”
उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले दिनों में इन केंद्रों के माध्यम से गांव-गांव में स्वस्थ भारत अभियान को गति मिलेगी।
भविष्य की योजनाएं
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आने वाले समय में और भी प्रखंडों को इस योजना में शामिल किया जाएगा
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स्कूलों और पंचायत स्तर पर सेमिनार और वर्कशॉप्स आयोजित की जाएंगी
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डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रोगियों का रिकॉर्ड भी रखा जाएगा
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केंद्रों को योग व नैचुरोपैथी सेवाओं से जोड़ने की योजना
मुजफ्फरपुर में आयुष्मान आरोग्य मंदिर का निर्माण न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति को सुधारने वाला कदम है, बल्कि यह भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के पुनर्जीवन का भी प्रतीक है। यह पहल आने वाले समय में अन्य जिलों और राज्यों के लिए एक मॉडल बन सकती है।
इस तरह की योजनाओं के माध्यम से भारत का ग्रामीण समाज न केवल स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होगा, बल्कि अपने संस्कृतिक और पारंपरिक ज्ञान से फिर से जुड़ पाएगा।
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