6 अक्टूबर 2025 को बिहार के गया में जन सुराज पार्टी के नेता गजेन्द्र सिंह पर बाइक सवार अपराधियों ने जानलेवा हमला किया। यह घटना सोमवार रात उस समय हुई जब गजेन्द्र सिंह अपनी विधानसभा क्षेत्र चांदौती से गया वापस लौट रहे थे। हमलावरों ने उनकी कार पर तीन गोलियाँ चलाईं, जिसमें से एक गोली कार में लगी, लेकिन गजेन्द्र सिंह बाल-बाल बच गए और उन्हें कोई चोट नहीं आई।
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घटना का विवरण
स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, गजेन्द्र सिंह चांदौती से वापस अपने घर एपी कॉलोनी जा रहे थे। इसी दौरान, बाइक पर सवार दो नकाबपोश अपराधियों ने चांदौती रोड पर एलआईसी कार्यालय और डीपीएस स्कूल के बीच उनकी कार पर फायरिंग की। गोली लगने के बाद भी गजेन्द्र सिंह ने तुरंत रानीपुर पुलिस स्टेशन पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई।
गजेन्द्र सिंह के मुताबिक, “यह घटना एलआईसी कार्यालय और डीपीएस स्कूल के बीच हुई है। मैंने पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत दी है और जांच शुरू कर दी गई है।” रानीपुर पुलिस स्टेशन के प्रभारी दिनेश बहादुर सिंह ने इस मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि घटनास्थल पर सीसीटीवी कैमरे नहीं थे, लेकिन पुलिस सभी संभव कदम उठा रही है और हमलावरों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।
पुलिस की प्रतिक्रिया और जांच
रानीपुर पुलिस स्टेशन के प्रभारी दिनेश बहादुर सिंह ने बताया कि पुलिस ने घटनास्थल पर त्वरित जांच शुरू कर दी है। हालाँकि, घटनास्थल पर सीसीटीवी कैमरे की कमी के कारण जांच में कुछ कठिनाइयाँ आ रही हैं। फिर भी, पुलिस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है और जल्द ही हमलावरों को पकड़ने के लिए काम कर रही है।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि वे सभी एंगल से मामले की जांच कर रहे हैं और हमलावरों को पकड़ने के लिए छापेमारी कर रहे हैं। गजेन्द्र सिंह ने इस हमले को गंभीर रूप से लिया है और दोषियों की जल्द गिरफ्तारी की मांग की है। उन्होंने कहा, “यह हमला लोकतंत्र की आवाज़ को दबाने का प्रयास था, लेकिन हम इसे सहन नहीं करेंगे। हमलावरों को तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए।”
चुनावी माहौल और बढ़ती हिंसा
यह हमला बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों के समय हुआ है, जिस वजह से राज्य में राजनीतिक हिंसा की बढ़ती चिंता को और बढ़ा दिया है। गजेन्द्र सिंह जैसे प्रमुख नेताओं पर हमले की घटनाएँ यह दिखाती हैं कि राज्य में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता कितनी गहरी हो चुकी है और चुनावी माहौल में हिंसा की संभावना कितनी बढ़ गई है।
गजेन्द्र सिंह ने हमलावरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है और सुरक्षा की स्थिति में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि चुनावों के दौरान नेताओं और उनके परिवारों की सुरक्षा को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
गजेन्द्र सिंह की सुरक्षा और राजनीति में बढ़ती चुनौतियाँ
गजेन्द्र सिंह, जो कि जन सुराज पार्टी के प्रमुख नेता हैं और गया सिटी विधानसभा सीट से उम्मीदवार भी हैं, पर इस हमले ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बिहार में राजनीतिक हिंसा की समस्या अब भी गंभीर बनी हुई है। हमलावरों ने उन्हें निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन गजेन्द्र सिंह बच गए।
गये नेता और उनके समर्थक इस हमले को राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का परिणाम मानते हैं। इस घटना ने यह भी दिखा दिया है कि राजनीतिक सुरक्षा की स्थिति में सुधार की सख्त जरूरत है।
भविष्य में राजनीति और चुनावों पर असर
यह घटना चुनावी माहौल पर भी गहरा असर डाल सकती है। गजेन्द्र सिंह पर हमले का यह प्रयास यह दर्शाता है कि बिहार में चुनावों के दौरान राजनीतिक हिंसा का खतरा बढ़ सकता है। गजेन्द्र सिंह का यह हमला राज्य की राजनीति में एक नई चिंता को जन्म देता है।
राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग से अब यह अपेक्षाएँ की जा रही हैं कि वे इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करें। चुनावी प्रक्रिया में शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखना अब और भी जरूरी हो गया है।
गजेन्द्र सिंह की प्रतिक्रिया और आगामी कदम
गजेन्द्र सिंह ने हमले के बाद अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि वह डरने वाले नहीं हैं और यह घटना उन्हें और ज्यादा संघर्ष करने के लिए प्रेरित करेगी। उन्होंने कहा, “यह हमला मुझे डराने के लिए था, लेकिन हमलावर यह समझ लें कि हम और ज्यादा मजबूती से खड़े होंगे।”
साथ ही उन्होंने पुलिस प्रशासन से यह अपील की कि वह जल्द से जल्द दोषियों को गिरफ्तार करे और यह सुनिश्चित करें कि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।
बिहार की राजनीति में सुरक्षा की आवश्यकता
यह घटना राज्य की राजनीति में नेताओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़ा करती है। बिहार में चुनावी हिंसा की घटनाएँ कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन इस प्रकार का हमला राजनीतिक असहमति की गहरी जड़ें दर्शाता है। नेताओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देने की जरूरत है, ताकि वे बिना किसी डर के अपनी जिम्मेदारियाँ निभा सकें।
यह हमला यह दिखाता है कि बिहार में राजनीतिक माहौल कितना संवेदनशील हो गया है। हर पार्टी और हर नेता के लिए यह एक चेतावनी है कि चुनावी प्रक्रियाओं को शांतिपूर्ण तरीके से संचालित करने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था करनी होगी।
गजेन्द्र सिंह पर हमला राजनीतिक हिंसा का एक और उदाहरण है, जो बिहार के चुनावी माहौल को और अधिक तनावपूर्ण बनाता है। हालांकि, गजेन्द्र सिंह इस हमले से बच गए, लेकिन यह घटना राज्य की सुरक्षा और चुनावी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़ा करती है। अब यह देखना है कि पुलिस इस मामले में किस तरह की कार्रवाई करती है और दोषियों को पकड़ा जाता है या नहीं।
यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि राजनीतिक नेताओं की सुरक्षा को लेकर और भी सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है, ताकि चुनावों के दौरान कोई और ऐसी हिंसा न हो और लोकतंत्र की आवाज़ को दबाने के प्रयास विफल हो सकें।
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