मुजफ्फरपुर, बिहार में 4 अक्टूबर 2025 को एक मॉल उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान भारी भीड़ जमा हो गई, जिसके कारण ट्रैफिक जाम लग गया और सार्वजनिक असुविधा हुई। इस कार्यक्रम में भोजपुरी स्टार्स निरहुआ (दिनेश लाल यादव) और आम्रपाली दुबे की उपस्थिति ने भारी भीड़ आकर्षित की। नतीजतन, मॉल उद्घाटन के दौरान शहर के कई हिस्सों में वाहनों की लंबी कतारें लग गईं और लोग घंटों जाम में फंसे रहे। इस घटनाक्रम के बाद एक आपराधिक शिकायत दर्ज की गई है, जिसमें निरहुआ और आम्रपाली दुबे सहित पांच अन्य व्यक्तियों को आरोपित किया गया है।
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शिकायत की पुष्टि और कानूनी प्रक्रिया
यह शिकायत मुजफ्फरपुर के वकील सुधीर कुमार ओझा ने दायर की थी। शिकायत में भोजपुरी अभिनेता निरहुआ और अभिनेत्री आम्रपाली दुबे के साथ मॉल के मालिक विवेक अग्रवाल और विकास अग्रवाल, और मुजफ्फरपुर के एसडीएम (ईस्ट) तुषार कुमार का नाम भी शामिल किया गया है। ओझा ने आरोप लगाया कि इस कार्यक्रम के आयोजकों ने उचित यातायात प्रबंधन और सुरक्षा उपायों की अनदेखी की, जिससे शहर में जबरदस्त ट्रैफिक जाम और सार्वजनिक असुविधा हुई। इस शिकायत में भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है, जिनमें लापरवाही, बाधा डालना और सार्वजनिक जीवन को खतरे में डालने जैसे आरोप शामिल हैं।
शिकायत को स्वीकार करते हुए, अदालत ने 18 अक्टूबर को इस मामले की सुनवाई तय की है। यह सुनवाई इस बात का फैसला करेगी कि इस घटना के बाद आगे क्या कदम उठाए जाएंगे।
घटना का विवरण और ट्रैफिक जाम
यह घटना 4 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर के कलंबाग चौक पर हुई, जहां निरहुआ और आम्रपाली दुबे ने एक नए मॉल का उद्घाटन किया। जैसे ही यह दोनों सितारे मंच पर पहुंचे, उनके प्रशंसकों की भारी भीड़ मॉल के आसपास जमा हो गई। इस भारी भीड़ ने शहर के कई प्रमुख इलाकों में ट्रैफिक को पूरी तरह से रोक दिया, जिससे वाहनों की लंबी कतारें लग गईं।
सबसे चिंताजनक स्थिति तब उत्पन्न हुई जब एक एंबुलेंस, जिसमें एक मरीज था, जाम के कारण घंटों फंसी रही। इस कारण से मरीज को समय पर इलाज नहीं मिल सका, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई। ट्रैफिक जाम की समस्या दिनभर बनी रही, और लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
वकील की आलोचना और प्रशासनिक लापरवाही
वकील सुधीर कुमार ओझा ने इस घटना पर अपनी नाराजगी जाहिर की और आयोजकों के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन को भी जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना था कि इस प्रकार के बड़े सार्वजनिक कार्यक्रम के आयोजन से पहले उचित यातायात प्रबंधन और सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करना चाहिए था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस कार्यक्रम के लिए अनुमति दी गई थी, लेकिन आयोजकों ने सुरक्षा और ट्रैफिक नियंत्रण के लिए कोई व्यवस्था नहीं की थी।
ओझा ने यह भी बताया कि ऐसी घटनाओं से जान-माल के नुकसान का खतरा होता है, जैसा कि तमिलनाडु में हाल ही में हुआ था, जहां एक राजनीतिक रैली के दौरान 41 लोगों की मौत हो गई थी और 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। उन्होंने प्रशासन से सवाल किया, “जब इस तरह की त्रासदियाँ पहले ही हो चुकी हैं, तो फिर प्रशासन ने बिना सुरक्षा इंतजामों के इस प्रकार का आयोजन कैसे अनुमति दी?”
समाज में सुरक्षा और आयोजन के लिए बेहतर योजना की आवश्यकता
इस घटना ने मुजफ्फरपुर और आसपास के क्षेत्रों में यह सवाल खड़ा किया है कि बड़े सार्वजनिक आयोजनों के दौरान सुरक्षा और ट्रैफिक नियंत्रण के उपाय क्यों नहीं किए गए। कई निवासियों ने आयोजकों और सरकारी अधिकारियों से बेहतर योजना की मांग की, ताकि भविष्य में ऐसी स्थितियाँ उत्पन्न न हों।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जब तक बड़े आयोजनों के लिए ट्रैफिक प्रबंधन और सुरक्षा को लेकर ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे, तब तक ऐसी घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है। समाज में यह भी चर्चा हो रही है कि क्या आयोजकों को इस तरह के बड़े कार्यक्रम आयोजित करने के लिए अतिरिक्त जिम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए, खासकर तब जब उनके कारण सार्वजनिक जीवन को खतरा हो।
आलोचना का सामना करने वाले सेलेब्रिटीज़
इस घटना ने यह भी दिखाया कि सेलेब्रिटी इवेंट्स के दौरान भीड़ के नियंत्रण में कितनी चुनौतियाँ आती हैं। भोजपुरी सिनेमा के मशहूर अभिनेता निरहुआ और अभिनेत्री आम्रपाली दुबे के कार्यक्रम में शामिल होने से भीड़ का नियंत्रण मुश्किल हो गया। हालांकि, इन दोनों का कार्यक्रम में कोई व्यक्तिगत दोष नहीं था, लेकिन उनके लोकप्रियता के कारण भीड़ बढ़ गई, जिससे आयोजन में उपजे संकट ने यह सवाल खड़ा किया कि क्या सेलेब्रिटीज़ को अपने कार्यक्रमों के दौरान अधिक जिम्मेदारी नहीं निभानी चाहिए।
कानूनी प्रक्रिया और सार्वजनिक प्रतिक्रिया
अब यह मामला मुजफ्फरपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में 18 अक्टूबर को सुना जाएगा। अदालत का निर्णय यह तय करेगा कि क्या आयोजकों, सेलेब्रिटीज़ और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। इस घटना ने न केवल मुजफ्फरपुर में, बल्कि अन्य जगहों पर भी भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा के महत्व पर विचार करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
इस घटना के बाद, कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि भविष्य में इस तरह के आयोजनों को सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से कैसे आयोजित किया जा सकता है। लोगों का मानना है कि आयोजकों को अधिक जिम्मेदारी निभानी चाहिए और प्रशासन को ऐसे आयोजनों की अनुमति देने से पहले सुरक्षा की पूरी व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए।
मुजफ्फरपुर में हुए इस मॉल उद्घाटन की घटना ने यह साबित कर दिया कि बड़े सार्वजनिक आयोजनों के दौरान उचित योजना और भीड़ नियंत्रण के बिना स्थितियाँ बहुत खराब हो सकती हैं। इस घटना ने यह भी स्पष्ट किया कि सिर्फ आयोजकों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि प्रशासन और सेलेब्रिटीज़ को भी इस मामले में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
जैसा कि अदालत इस मामले की सुनवाई करेगी, यह घटना भविष्य में होने वाले आयोजनों के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण साबित हो सकती है। बेहतर योजना, सुरक्षा उपायों और भीड़ नियंत्रण के साथ, मुजफ्फरपुर जैसे शहरों में बड़े आयोजनों को सुरक्षित और व्यवस्थित रूप से आयोजित किया जा सकता है।
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