असम। गुवाहाटी शहर और आसपास के कई इलाकों में धार्मिक स्थलों के 100 मीटर के दायरे को साइलेंट जोन घोषित करके वहां के डीएम ने स्वागत योग्य कदम उठाया है। कामरूप मेट्रो जिला के डीएम ने राज्य के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन इलाकों में ध्वनि प्रदूषण की रिपोर्ट हर महीने जमा करने को कहा है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि असम सरकार के निर्देश पर ये कदम उठाया गया है।
दरअसल, लाउडिस्पिकर हो या डीजे…। हमारे यहां पूजा, इबादत व अन्य समाजिक समारोह का प्रतीक बन चुका है। पूजा आरंभ होने से पहले ही ध्वनिविस्तारक यंत्र से निकलने वाला शोर पूजा के शांत माहौल को पुरी तरह से बिगाड़ कर रख देता है। लोग इसके बंद होने का इंतजार करने लगतें हैं। समारोह में हिस्सा लेने आये मेहमान, चाह कर भी मोबाइल पर बात नही कर सकतें हैं। पास बैठे लोगो से बात करना भी मुश्किल हो जाता है। समारोह स्थल के आसपास बच्चो की पढ़ाई बाधित होती है। दिन भर काम करने वाला मजदूर भी रात को नींद पुरा नही कर पाता है। आज गांव में ब्लड प्रेसर बढ़ने का यह सबसे प्रमुख कारक बनता जा रहा है। कुल मिला कर देखें तो बेवजह के इस ध्वनिविस्तार से पुरा समाज परेशान है। बावजूद इसके कोई बोलना नही चाहता है। सवाल उठना लाजमी है कि ऐसे में समस्या का समाधान आखिर कैसे होगा?