गुजरात। गुजरात के पटेल आरक्षण आंदोलन की उपज हार्दिक पटेल को विधानसभा चुनाव के ऐन मौके पर बड़ा झटका लगा है। गुजरात में हुए एक नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम में पटेल आरक्षण आंदोलन के समय हार्दिक के महत्वपूर्ण सहयोगी रह चुके वरूण पटेल और रेशमा पटेल सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल हो गए है। वरूण और रेशमा हार्दिक पटेल नीत पाटीदार अनामत आंदोलन समिति का प्रमुख चेहरा रह चुकें हैं और आंदोलन के दौरान सत्तारूढ़ भाजपा के आलोचक भी कहे जाते थे। इन दोनों ने मुख्यमंत्री विजय रूपानी, उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष जीतू वानी से संसदीय बोर्ड की बैठक के दौरान मुलाकात की। इस बैठक में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी हिस्सा लिया था।
भाजपा में शामिल होने के बाद पाटीदार नेताओं ने संवाददाताओं से कहा कि हार्दिक कांग्रेस का एजेंट बन गया है और मौजूदा राज्य सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए आंदोलन का इस्तेमाल करने का प्रयास कर रहा है। रेशमा पटेल ने कहा, हमारा आंदोलन ओबीसी कोटा के तहत आरक्षण के बारे में था। यह भाजपा को उखाड़कर उसकी जगह कांग्रेस को सत्ता में लाने के लिए नहीं था। कहा कि भाजपा ने हमेशा समुदाय का समर्थन किया है और हमारी ज्यादातर मांगें मान ली हैं। कांग्रेस सिर्फ पटेलों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल करने का प्रयास कर रही है। दूसरी ओर आंदोलन के प्रणेता हार्दिक पटेल ने भाजपा को सत्ता से बाहर करने के अपने पुराने स्टैंड पर खुद को कायम रखते हुए कॉग्रेस से करीब होने के संकेत दिये हैं।