प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को परीक्षा पे चर्चा 2025 के दौरान एक अप्रत्याशित लेकिन दिलचस्प पल का सामना करना पड़ा। इस कार्यक्रम के दौरान जब एक केरल की छात्रा, आकांक्षा, ने उन्हें शुद्ध हिंदी में शुभकामनाएं दी, तो प्रधानमंत्री हैरान रह गए। प्रधानमंत्री ने तुरंत उस छात्रा से यह पूछा कि उसने हिंदी इतनी अच्छे तरीके से कैसे सीखी।
आकांक्षा अपनी स्पष्ट हिंदी के साथ सबका ध्यान आकर्षित करने में सफल रही। प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे पूछा, “तुमने हिंदी इतनी अच्छी तरह से कैसे सीखी?” इस पर आकांक्षा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मुझे हिंदी बहुत पसंद है।” जब प्रधानमंत्री ने पूछा कि वह भाषा को इतनी अच्छी तरह से कैसे बोलती हैं, तो आकांक्षा ने बताया कि वह हिंदी में कविता भी लिखती हैं।
आकांक्षा ने तुरंत अपनी लिखी हुई कविता सुनाई, जो सुनने वालों को मंत्रमुग्ध कर गई। कविता के शब्द थे:
“इतना शोर है इन बाज़ारों में, इतना शोर हैं इन गलियों में, क्यों तू अपनी कलम लेकर बैठा है फिर एक ग़ज़ल लिखने, फिर उस किताब के पन्नों पर तू लिखना क्या चाहता है, ऐसा क्या है तेरे मन में, सवालों भरे तेरे मन में एक स्याही शायद जवाब लिख रही है, फिर क्यों तू आसमान देखता है, ऐसा क्या है इन सितारों में, ऐसा क्या है तेरे मन में।”
यह कविता एक लेखक के भीतर के संघर्ष और विचारों को व्यक्त करती है, जैसा कि वह अपने विचारों को कागज पर उतारने की कोशिश करता है। आकांक्षा की काव्य कला और उनकी सोच ने प्रधानमंत्री और दर्शकों पर गहरी छाप छोड़ी।
यह खूबसूरत पल जहाँ सभी के दिलों में छाप छोड़ गया, वहीं हिंदी का उपयोग खासकर दक्षिण भारतीय राज्यों में एक संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। हिंदी, जो मुख्य रूप से उत्तर भारत में बोली जाती है, दक्षिणी राज्यों में खासकर तमिलनाडु में एक विवादास्पद विषय है। क्षेत्रीय नेताओं ने अक्सर नरेंद्र मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि वह दक्षिण भारतीय राज्यों पर हिंदी को थोपने की कोशिश कर रही है। इस पर मोदी सरकार ने हमेशा इन आरोपों को नकारते हुए कहा है कि हिंदी को बढ़ावा देना एक साझा भाषा के रूप में किया जा रहा है, न कि किसी राज्य पर इसे थोपने के रूप में।
2025 के परीक्षा पे चर्चा संस्करण में इस बार पारंपरिक टाउन हॉल चर्चा के प्रारूप से बदलाव किया गया था। इस बार प्रधानमंत्री ने दिल्ली के सुंदर नर्सरी में 36 छात्रों के साथ एक अनौपचारिक बैठक की और उनके कई सवालों का जवाब दिया, जो परीक्षा के दबाव से निपटने और उनकी तैयारी को सही दिशा में रखने से संबंधित थे। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य छात्रों को परीक्षा के तनाव को कम करने के उपायों से अवगत कराना था।
परीक्षा पे चर्चा 2025 सिर्फ एक शैक्षिक मंच नहीं था, बल्कि यह छात्रों की प्रतिभा और उनके भाषाई प्रेम का भी उत्सव था। आकांक्षा की हिंदी कविता ने यह साबित कर दिया कि भाषा, अपनी सारी विविधताओं के बावजूद, लोगों के दिलों को जोड़ने का एक सशक्त माध्यम है। प्रधानमंत्री मोदी का आश्चर्यचकित होना और उनकी सराहना इस बात का प्रमाण था कि परीक्षा पे चर्चा में ऐसे अनौपचारिक संवादों के द्वारा भारत की विविध सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में एकता और समझ को बढ़ावा मिलता है।
This post was published on फ़रवरी 10, 2025 12:34
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