आज मधुमेह (Diabetes) हर घर की समस्या बन गई है। जिस तरह का आज लाइफस्टाइल हो गया है इस स्थिति मे मधुमेह (Diabetes) सिर्फ अधिक उम्र के लोगों को ही नहीं बल्कि युवाओ और बच्चों को भी अपनी चपेट मे ले रहा है। यह एक ऐसी बीमारी है जो एक बार हो जाने के बाद जीवनभर आपके साथ रहती है। इस बीमारी को सिर्फ स्वस्थ जीवनशैली अपना कर नियंत्रित किया जा सकता है। लेकिन, इस बीमारी का कोई परमानेंट क्योर नहीं है।
मधुमेह (Diabetes) क्या है?
मधुमेह तब होता है जब शरीर शर्करा (ग्लूकोज) को अपनी कोशिकाओं में लेने और ऊर्जा के लिए इसका उपयोग करने में सक्षम नहीं होता है। इसके परिणामस्वरूप रक्तप्रवाह में अतिरिक्त शर्करा का निर्माण होता है जो मधुमेह का कारण बनता है। मधुमेह (Diabetes) के कारण शरीर के अंगों को नुकसान हो सकता है – जिसमें हृदय, आंख, गुर्दे, और तंत्रिकाएं शामिल हैं।
मानव रक्त मे शर्करा का स्तर उच्च क्यों और कैसे होता है?
पाचन की प्रक्रिया में हमारे द्वारा खाए जाने वाला भोजन विभिन्न पोषक तत्वों में टूटता है। जब हम कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन खाते हैं (उदाहरण के लिए ब्रेड, चावल, पास्ता) तो हमारा शरीर इसे शर्करा (ग्लूकोज) में तोड़ देता है। जब ग्लूकोज आपके रक्तप्रवाह में होता है, तो उसे अपने अंतिम गंतव्य तक पहुंचने के लिए एक माध्यम की जरूरत होती है। यह माध्यम या कुंजी “इंसुलिन” है। जो आपके शरीर की कोशिकाओ के अंदर ही संश्लेषित होती है। इंसुलिन ग्लूकोज को ऊर्जा मे बदल देता है। इस ऊर्जा का उपयोग हमारे शरीर द्वारा किसी कार्य को करने के लिए किया जाता है।
अगन्याशय, आमाशय के पीछे स्थित एक अंग है जो इंसुलिन नामक हार्मोन का स्राव करता है। जब अग्न्याशय विभिन्न कारणों की वजह से इंसुलिन या पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाता है या अग्न्याशय इंसुलिन बनाता है लेकिन शरीर की कोशिकाएं इसका उपयोग सामान्य रूप से नहीं कर पाती हैं। ऐसी स्थिति मे ग्लूकोज (शर्करा) रक्तप्रवाह में ही रह जाता है। जिस वजह से रक्त मे शर्करा का स्तर बढ़ जाता है और डायबिटीज जैसी समस्या उत्पन्न होने लगती है।
मधुमेह (Diabetes) के प्रकार हैं :
टाइप 1 मधुमेह : यह एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जिसका अर्थ है कि आपका शरीर खुद अपने अंगों को नुकशान पहुंचाने लगता है। इस स्थिति में, अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। मधुमेह वाले 10% लोगों में टाइप 1 प्रकार का डायबिटीज होता है। इसे आमतौर पर बच्चों और युवा वयस्कों में देखा जाता है (लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है)। इसे कभी “किशोर मधुमेह” के रूप में जाना जाता था। टाइप 1 मधुमेह वाले लोगों को प्रतिदिन इंसुलिन लेने की आवश्यकता होती है। यही कारण है कि इसे इंसुलिन पर निर्भर मधुमेह भी कहा जाता है।
टाइप 2 मधुमेह : इस स्थिति में आपका शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है या आपके शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति सामान्य रूप से प्रतिक्रिया नहीं करती हैं। यह मधुमेह का सबसे आम प्रकार है। मधुमेह वाले 95% लोगों में टाइप 2 डायबिटीज होता है। यह आमतौर पर मध्यम आयु वर्ग और वृद्ध लोगों में होता है। टाइप 2 के अन्य सामान्य नामों में वयस्क-शुरुआत मधुमेह और इंसुलिन प्रतिरोधी मधुमेह शामिल हैं। इसे सामान्यतः लोग “चीनी की बीमारी” भी कहते है।
प्री-डायबिटीज : यह टाइप 2 डायबिटीज से पहले का स्टेज है। जब रक्त मे शर्करा का स्तर सामान्य से अधिक होता है, लेकिन इतना अधिक नहीं होता है कि इसे टाइप 2 मधुमेह की पुष्टि कर इसका निदान किया जा सके।
गर्भकालीन मधुमेह : यह प्रकार कुछ महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान विकसित होता है। गर्भकालीन मधुमेह आमतौर पर गर्भावस्था के बाद दूर हो जाता है। हालाँकि गर्भकालीन मधुमेह के ठीक होने के बाद भी जीवन में टाइप 2 मधुमेह होने का अधिक खतरा बना रहता है।
मधुमेह (Diabetes) का कारण क्या है?
चाहे मधुमेह किसी भी प्रकार का क्यों ना हो, इसमे शरीर के अंदर रक्तप्रवाह में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। हालाँकि, आपके रक्त शर्करा के स्तर के उच्च होने का कारण, मधुमेह के प्रकार के आधार पर निर्भर करता है।
कुछ सामान्य कारक जिसकी वजह से डायबिटीज के लक्षण हो सकते हैं।
- अस्वास्थ्यकर जीवनशैली
- मोटापा
- उच्च रक्तचाप (High Blood Pressure)
- उच्च कोलेस्ट्रॉल युक्त आहार
- डायबिटीज का पारिवारिक इतिहास
मधुमेह (डायबिटीज) के जोखिम कारकों में शामिल हैं
टाइप 1 मधुमेह के जोखिम कारकों में शामिल हैं –
- टाइप 1 मधुमेह का पारिवारिक इतिहास (माता-पिता या भाई-बहन) होना।
- अग्न्याशय का चोट (जैसे संक्रमण, ट्यूमर, सर्जरी या दुर्घटना से)।
- स्वप्रतिपिंडों की उपस्थिति (एंटीबॉडी जो गलती से आपके शरीर के ऊतकों या अंगों पर हमला करते हैं)।
- शारीरिक तनाव (जैसे सर्जरी या बीमारी)।
- वायरस के कारण होने वाली बीमारियों के संपर्क में आना।
प्रीडायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज के जोखिम कारकों में शामिल हैं –
- प्रीडायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज का पारिवारिक इतिहास (माता-पिता या भाई-बहन)।
- बहुत मोटा होना।
- उच्च रक्तचाप होना।
- कम एचडीएल कोलेस्ट्रॉल (“अच्छा” कोलेस्ट्रॉल) और उच्च ट्राइग्लिसराइड स्तर होना।
- शारीरिक रूप से मेहनत न करना।
- 45 वर्ष या उससे अधिक आयु का होना।
- हृदय रोग या स्ट्रोक का इतिहास होना।
- धूम्रपान करना।
गर्भावधि मधुमेह के जोखिम कारकों में शामिल हैं –
- प्रीडायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज का पारिवारिक इतिहास (माता-पिता या भाई-बहन)।
- गर्भावस्था से पहले अधिक वजन होना।
- अधिक आयु का होना।
मधुमेह (Diabetes) के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं :
- अत्यधिक प्यास और भूख।
- कमजोरी और थकान।
- धुंधली दृष्टि।
- हाथ या पैर में सुन्नपन या झुनझुनी।
- धीमी गति से ठीक होने वाले घाव या चोट।
- अनियोजित वजन घटना।
- तुरंत-तुरंत पेशाब आना।
मधुमेह (Diabetes) को कैसे नियंत्रित किया जा सकता है :
- आहार योजना का पालन करके, निर्धारित दवाएँ लेकर और अपनी गतिविधि के स्तर को बढ़ाकर अपने रक्त शर्करा के स्तर को यथासंभव सामान्य रख सकते हैं।
- अपने रक्त कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल और एलडीएल स्तर) और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को यथासंभव सामान्य सीमा के पास बनाए रखें।
- रक्तचाप (ब्लड प्रेसर) 140/90 mmHg से अधिक नहीं होना चाहिए।
- ब्लड प्रेसर को नियंत्रित रखें।
- नियमित रूप से व्यायाम करें। सप्ताह के अधिकांश दिनों में कम से कम 30 मिनट व्यायाम जरूर करें। टहलें, साइकिल चलाये या कोई ऐसी गतिविधि खोजें जो आपको पसंद हो। खाली पेट व्यायाम ना करे।
- वजन नियंत्रित रखें।
- दवा और इंसुलिन लेना यदि निर्धारित किया गया हो तो इसे कैसे और कब लेना है, इसका बारीकी से पालन करें।
- अपने ब्लड शुगर और ब्लड प्रेसर के स्तर पर निगरानी रखें।
- धूम्रपान करना छोड़ दे (यदि आप धूम्रपान करते हैं)।
कुछ खाद्य पदार्थ जिनका सेवन मधुमेह के दौरान कम करना चाहिए –
चीनी, घी, तेल, दूध व दूध से निर्मित वस्तुए, आइसक्रीम, मिठाई, मांस-मछली, अंडा, चॉकलेट तथा अन्य तेलीय पदार्थ जो वसा से भरपूर हो।
खाद्य पदार्थ जिनका सेवन करना चाहिए –
एक स्वस्थ भोजन योजना का पालन करना चाहिए। समय-समय के अंतराल पर हमेशा कुछ न कुछ खाते रहना चाहिए पर जहां तक संभव हो ये समय अंतराल निश्चित होना चाहिए। आहार मे सब्जियां, साबुत अनाज, बीन्स, फल, कम चीनी वाले पदार्थ शामिल होने चाहिए। ज्वार, चना, गेंहू के आटे की मिक्स रोटी काफी फायदेमंद है। इन सभी आहारो मे पोषण और फाइबर प्रचुर तथा वसा और कैलोरी कम होते हैं।
वर्ल्ड डायबिटीज डे कब और क्यों मनाया जाता है?
विश्व मधुमेह दिवस (World Diabetes Day) प्रत्येक वर्ष 14 नवंबर को मनाया जाता है। सर फ़्रेडरिक बैंटिक ने अपने सहयोगी के साथ मिलकर सर्वप्रथम इंसुलिन की खोज की थी। इस दिवस के पीछे का मुख्य उद्देश्य लोगों मे डायबिटीज को लेकर जागरूकता फैलाना तथा इसकी जटिलताओं से लोगों को वाकिफ कराना है।
डायबिटीज जांच के प्रकार –
- फास्टिंग ग्लूकोज टेस्ट (Fasting glucose test) – यह जांच खाली पेट की जाती है। इस जांच से पहले 6-8 घंटे तक कुछ नही खाना होता है।
- रैंडम ग्लूकोज टेस्ट (Random glucose test) – यह जांच किसी भी समय किया जा सकता है इस टेस्ट से पहले खाने-पीने से जुड़ी कोई पाबंदी नहीं होती है।
- ए वन सी टेस्ट (A1C test) – यह टेस्ट डायबिटीज का सटीक पता लगता है, इस जांच के माध्यम से पिछले 2-3 महीने मे आपके खून मे शुगर का स्तर पता चलता है।
- ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट (Oral glucose tolerance test) – इस जांच को दो स्टेप मे किया जाता है। पहला जब आपने कुछ नहीं खाया हो और दूसरा कोई मीठी चीज खाने या पीने के बाद। इस टेस्ट के जरिये शरीर की इंसुलिन प्रतिरोध का जांच किया जाता है।
टेस्ट के प्रकार (Type of test) |
सामान्य (Normal ) |
प्रिडायबिटीज (Prediabetes) (mg/dL) |
डायबिटीज (Diabetes) |
फास्टिंग ग्लूकोज टेस्ट (Fasting glucose test) |
100 से कम
(Less than 100)
|
100-125 | 126 या 126 से ज्यादा
(126 or higher) |
रैंडम ग्लूकोज टेस्ट (Random (anytime) |
140 से कम
(Less than 140) |
140-199 |
200 या 200 से ज्यादा (200 or higher) |
ए वन सी टेस्ट (A1c test) |
5.7% से कम
(Less than 5.7%) |
5.7 – 6.4% |
6.5% या 6.5% से ज्यादा (6.5% or higher) |
ओरल ग्लूकोज टॉलरेंस टेस्ट
(Oral glucose |
140 से कम
(Less than 140) |
140-199 |
200 या 200 से ज्यादा (200 or higher) |
मधुमेह (Diabetes) से जुड़ी कुछ सावधानियाँ :
- नियमित ब्लड टेस्ट व ब्लड प्रेशर की जांच करवाएं।
- स्वास्थ्यकर भोजन करे।
- नियमित रूप से टहलें।
- पैरों का विशेष ध्यान रखे क्योंकि पैरों के मामूली घाव भी बहुत गंभीर हो सकते है।
- अनावश्यक दवा न खाएं व अचानक दवा बंद ना करें।
आज मधुमेह (Diabetes ) पूरे विश्व में एक बड़ी समस्या बन गई है। आज कोई भी देश इसके दुष्प्रभावों से अछूता नहीं बचा है। लोगों की बदलती जीवनशैली इसका एक बड़ा कारण है और सिर्फ अपनी दिनचर्या मे सुधार लाकर ही इससे बचा जा सकता है।