नहीं मिल रहा है खरीददार
KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार के मुजफ्फरपुर जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर दूर मीनापुर के सहजपुर गांव से सटे अपने खेत में टमाटर की लाली को निहारते हुए किसान ज्वाला प्रसाद कहतें है “सब बर्बाद हो गया…”। खेत में चारो ओर लाल-लाल टमाटर का अंबार लगा है। पर, लॉकडाउन की वजह से कोई खरीदार नहीं है। गांव के लोगो ने बताया कि अकेले टमाटर से यहां के किसानो को लाखो रुपये का नुकसान हो गया है। पूछने पर ज्वाला प्रसाद कहतें है कि बैंक से 4 लाख रुपये कर्ज लेकर तीन एकड़ जमीन पर टमाटर की खेती किये थे। इस वर्ष फसल अच्छा था और मार्च के दूसरे सप्ताह से पैदावार निकला भी शुरू हो गया। इस वर्ष करीब 8 से 10 लाख रुपये आमदनी की उम्मीद में पूरा परिवार खुश था।
लॉकडाउन ने बिगाड़ा खेल
चीन से निकला कोरोना भारत में पहुंच गया और सरकार ने 22 मार्च को जनताकर्फ्यू और फिर लॉकडाउन की घोषणा कर दी। बाहर के व्यापारी का आना बंद हो गया। नजीता, 400 रुपये प्रति कैरेट बिकने बाला टमाटर 40 रुपये प्रति कैरेट बेचना पड़ रहा है। इसका भी खरीददार नहीं मिल रहा है। इसमें प्रति कैरेट 12 रुपये का मजदूरी खर्च काट दें, तो किसानो का पूंजी निकलना मुश्किल हो गया है। बतातें चलें कि एक कैरेट में 23 किलो टमाटर रखा जाता है। यानी सिर्फ तीन एकड़ में किसानो को करीब 7 लाख रुपये का नुकसान होना तय माना जा रहा है।
सब्जी उत्पादक जोन में आर्थिक तंगी
मीनापुर का यह इलाका जिले में सब्जी उत्पादक जोन के रूप में जाना जाता है। यहां करीब 50 एकड़ जमीन पर टमाटर खेती होती है और मीनापुर का टमाटर मुजफ्पुरपुर सहित पूरे उत्तर बिहार में जाता है। इसके अतिरिक्त राजधानी पटना और पड़ोसी देश नेपाल में भी मीनापुर से टमाटर की सप्लाई होती रही है। किंतु, लॉकडाउन की वजह से टमाटर उत्पादक किसान मुश्किल में फंस गयें हैं। क्योंकि, टमाटर से यहां की सैकड़ो किसान परिवार की उम्मिदें जुड़ी होती है। बहरहाल, कमोवेश सभी किसानो का यहीं हाल है। किसान नीरज कुमार और राजनरायण प्रसाद सहित कई लोगो ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से टमाटर के अतिरिक्त, भिंडी, बैगन और करैला की खरीददार नहीं मिल रहा है। जाहिर है किसान दोहरी चिंता में है। इधर, तैयार फसल बिक नहीं रहा है और उधर, समय पर बैंक का कर्जा नहीं चुकाया तो आगे की फसल के लिए कर्ज मिलना मुश्किल हो जायेगा।