विधानसभा चुनाव से पहले उलटफेर के संकेत
KKN लाइव न्यूज ब्यूरो। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सियासत की दुनिया में कोई बड़ा उलटफेर हो जाये तो किसी को आश्चर्य नहीं होगा। झारखंड की तरह बीजेपी को हराने के लिए आरजेडी ने राज्य में अपने पुराने सहयोगी के साथ दोबारा जाने के लिए तैयार दिखती है। आरजेडी नेता डॉ. रघुवंश प्रसाद सिंह के हालिया बयान से तो ऐसा ही प्रतीत होता है। उन्होंने कहा है कि सभी गैर-बीजेपी दलों के लिए यह महत्वपूर्ण है, चाहे वह नीतीश कुमार हो या कोई और बीजेपी के खिलाफ एक साथ आना होगा।
आरजेडी ने शुरू कर दी कवायद
आरजेडी इस चुनाव में जहां अपने पुराने चेहरों को एकबार फिर फ्रंट पर लाने की कवायद में जुटी है, वहीं अपनी सियासी चाल और सियासी चरित्र भी बदलने में शिद्दत से जुटी हुई है। आम तौर पर मुस्लिम और यादव समुदाय को अपना वोट बैंक मानने वाले आरजेडी ने जगदानंद सिंह जैसे सवर्ण को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी देकर इसके संकेत पहले ही दे दिए हैं। ऐसे में राजद 1995 की राजद सरकार के सवर्ण चेहरों को फिर से सामने लाकर 2020 की चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत में है।
समाजिक समीकरण साधने की जुगत
दूसरी ओर आरजेडी ने पिछड़े और दलित नेताओं को भी सामाजिक समीकरण दुरुस्त करने के लिए पार्टी के साथ जोड़ने की फिराक में है, जो कभी लालू प्रसाद की राजनीति के गवाह हुआ करते थे। आरजेडी सूत्रों का कहना है कि रमई राम, उदय नारायण चौधरी, वृष्णि पटेल सहित ऐसे नेताओं पर भी आरजेडी की नजर है जो बीजेपी और उसके सहयोगी दलों से नाराज चल रहें हैं।
रणनीति पर संसय बरकरार
वर्ष 2015 में महागठबंधन के साथ आरजेडी, कांग्रेस और जेडीयू साथ में मिल कर चुनावी मैदान में उतरी थी। फिलवक्त जदयू के भाजपा के साथ रहने की संभावना बनी हुई है। ऐसे में राजद किस तरह अन्य दलों को मिलाकर गठबंधन के जरिए रणनीति बनाएगी और बीजेपी जेडीयू को चुनावी मैदान में मात देगी? यह देखने वाली बात होगी और आने वाले दिनो में ही इसका खुलाशा हो सकेगा।