अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच डूरंड लाइन से सटी सीमा पर एक बार फिर से संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो गई है। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, स्पिन बोल्डक क्षेत्र में अफगानिस्तान के तालिबान सैनिकों और पाकिस्तानी सेना के बीच भयंकर लड़ाई हो रही है। यह संघर्ष बुधवार की सुबह लगभग 4 बजे शुरू हुआ। टोलो न्यूज ने स्पिन बोल्डक जिले के सूचना प्रमुख अली मोहम्मद इकबाल के हवाले से बताया कि इस झड़प में हल्के और भारी हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है। पाकिस्तानी सेना तोपों से गोले दाग रही है।
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डूरंड लाइन पर संघर्ष की फिर शुरुआत
स्पिन बोल्डक और आसपास के क्षेत्रों में स्थित अफगान तालिबान और पाकिस्तानी सेना के बीच यह संघर्ष तीव्र रूप से बढ़ रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तानी सेना के द्वारा भारी तोपखाने का उपयोग किया जा रहा है, जिससे स्थानीय नागरिकों की ज़िन्दगी प्रभावित हो रही है। इन हमलों के कारण कई नागरिकों ने अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करना शुरू कर दिया है। हालांकि, शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, इस संघर्ष में अब तक किसी के मारे जाने की सूचना नहीं है।
पाकिस्तानी तोपखाने की गोलाबारी के कारण नागरिक क्षेत्रों को भारी नुकसान हो रहा है, जिससे लोग जान-माल की सुरक्षा के लिए घर छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। इसके अतिरिक्त, चमन और आसपास के क्षेत्रों में भी अफगान सुरक्षा बलों और पाकिस्तानी सेना के बीच झड़पें जारी हैं, जिसमें पाकिस्तान की ओर भारी नुकसान की खबरें हैं।
अफगान रक्षा बलों का पाकिस्तानी सेना पर हमला
इससे पहले, मंगलवार की शाम अफगानिस्तान के रक्षा बलों ने पाकिस्तानी सेना के ऊपर हमला किया था। रिपोर्टों के अनुसार, इस हमले में पाकिस्तानी सेना के सात जवान मारे गए थे। खोस्त प्रांत के गवर्नर के प्रवक्ता ने टोलो न्यूज को बताया कि पाकिस्तानी सेना ने पहले अफगान बलों पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन अफगान बलों ने इसे नाकाम कर दिया। इसके बाद, अफगान बलों ने शाम लगभग 7 बजे जाजी मैदान जिले में पाकिस्तानी सेना पर हमला बोल दिया।
पाकिस्तान और तालिबान के बीच बढ़ते तनाव
पाकिस्तान और तालिबान के बीच हालिया तनाव में और वृद्धि तब हुई, जब पिछले सप्ताह पाकिस्तानी वायु सेना ने काबुल में हवाई हमला किया। इस हमले में पाकिस्तान ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के प्रमुख नूर वली महसूद को निशाना बनाने का दावा किया था। हालांकि, नूर वली महसूद ने बाद में एक ऑडियो संदेश जारी कर बताया कि वह काबुल में नहीं बल्कि पाकिस्तान के कबायली इलाकों में है। इस खुलासे से पाकिस्तान का दावा गलत साबित हुआ।
इसके बाद, अफगान तालिबान के बलों ने 11 और 12 अक्टूबर की रात को अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले किए। तालिबान के अनुसार, इन हमलों में पाकिस्तान के 59 सैनिक मारे गए, जबकि अफगान बलों के 9 सैनिक भी अपनी जान गंवा बैठे। तालिबान ने यह भी बताया कि इन हमलों को कतर और सऊदी अरब के अनुरोध पर रोका गया था।
क्षेत्रीय स्थिति और इसके परिणाम
पाकिस्तान और तालिबान के बीच बढ़ते संघर्ष और झड़पें न केवल द्विपक्षीय मुद्दा हैं, बल्कि यह पूरे दक्षिण एशिया की सुरक्षा और स्थिरता पर भी असर डालने वाली घटनाएं हैं। डूरंड लाइन, जो ब्रिटिश काल में खींची गई एक विवादास्पद सीमा रेखा है, दोनों देशों के बीच हमेशा से विवाद का कारण रही है। अफगानिस्तान के पूर्व सरकार ने हमेशा इस सीमा रेखा को मान्यता देने से इनकार किया, जिससे क्षेत्रीय तनाव बना रहता है।
पाकिस्तान पर यह आरोप भी लगाए गए हैं कि वह अफगानिस्तान में विभिन्न उग्रवादी समूहों को समर्थन देता है, और तालिबान के उदय के बाद पाकिस्तान के रणनीतिक हितों को भी चुनौती मिल रही है। इस प्रकार, यह संघर्ष केवल एक सैन्य टकराव नहीं बल्कि दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय प्रभुत्व और सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा मुद्दा बन चुका है।
कूटनीतिक प्रयास और अंतर्राष्ट्रीय चिंता
कतर और सऊदी अरब जैसे देशों की मध्यस्थता से संघर्ष को कम करने के लिए कूटनीतिक प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी स्थिति में स्थिति अभी भी अस्थिर बनी हुई है। अफगान तालिबान और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच बढ़ते सैन्य संघर्ष के बीच अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की चिंताएं भी बढ़ रही हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच युद्धविराम और शांति प्रक्रिया की दिशा में कोई ठोस कदम उठाने के लिए दोनों देशों पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है।
अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी के बाद देश के भीतर भी स्थिति पूरी तरह से स्थिर नहीं हो पाई है। जबकि तालिबान ने अमेरिका के साथ शांति समझौते का पालन करने का वादा किया था, लेकिन उनके पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते तनावपूर्ण बने हुए हैं। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच इस संघर्ष का परिणाम सिर्फ इन दो देशों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे क्षेत्र के लिए सुरक्षा और शांति की दिशा में एक बड़ा प्रश्न चिह्न बनेगा।
भविष्य की दिशा और समाधान
अफगान तालिबान और पाकिस्तानी सेना के बीच इस संघर्ष की स्थिति में आगे क्या होगा, यह कहना अभी मुश्किल है। दोनों देशों के बीच संघर्ष केवल सैन्य संघर्ष तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक विस्तृत भू-राजनीतिक समस्या का हिस्सा बन चुका है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और मध्यस्थ देशों की तरफ से कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए व्यापक और स्थायी शांति प्रक्रिया की आवश्यकता है।
आगे की राह में, पाकिस्तान और तालिबान दोनों को इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए अधिक गंभीरता से कूटनीतिक समाधान की तलाश करनी होगी। हालांकि, यह संघर्ष जिस रूप में बढ़ रहा है, उससे यह साफ है कि स्थिरता और शांति की दिशा में रास्ता आसान नहीं होगा। इस समय, दुनिया की नजरें पाकिस्तान और तालिबान के बीच शांति के प्रयासों पर हैं।
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