पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है। इस लॉकडाउन के कारण जहां एक तरफ अर्थव्यवस्था खतरे में है, वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण में सुधार देखा जा रहा है। आसमान जहां धुएं और जहरीली धूल-कणों से भरा दिखता था, वहीं अब नीला और बिल्कुल साफ दिखता है। नदियों का पानी स्वच्छ हो गया है। जिस गंगा को करोड़ों रुपयों का अभियान स्वच्छ ना कर सका, उसे 21 दिन के लॉकडाउन ने स्वच्छ कर दिया।
इस चकाचौंध के दौर में हम विकास तो कर रहे हैं, लेकिन साथ ही पर्यावरण का नुकसान भी कर रहे हैं।
जब कोरोना जैसी कोई महामारी आती है, तो हम उसके विरुद्ध कठोर से कठोर तत्कालिक फैसला लेते हैं, लेकिन जहां वायु प्रदूषण से हर साल लगभग 12 लाख लोगों की जाने जाती हैं, तो उसके बारे में हम कुछ नहीं सोचते। कोरोना ने हमें सिखाया है, कि हमें विकास के इस दौर में अपने पर्यावरण को नहीं भूलना होगा, ताकि पर्यावरण की स्वच्छता हमेशा बनी रहे।
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