यह कोरोना काल है और इसमें बहुत कुछ अच्छा भी हो रहा है। खुली आंखों से हिमालय की पर्वत श्रृंखला दिख रही है। सात दशक पहले हमारे पूवर्ज इस तरह का नजारा रोज देखा करते थे। किंतु, हमने वातावरण को इतना दूषित कर दिया था कि दिन के उजाले में भी हम वो नहीं देख पा रहे थे, जो हमारे पूवर्ज देखा करते थे। बात यही खत्म नहीं होती है। बल्कि, आलम ये है कि आज नदियों का जल पारदर्शी होने लगा है। नदियों का मटमैला पानी, अब हरा कचनार दिख रहा है। गंगा तो हरिद्वार तक पीने लायक हो चुकी है। इसी प्रकार अंटार्कटिका से खबर आई है कि पृथ्वी के बाहरी वातावरण की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार ओजोन परत पर बना सबसे बड़ा सुराग ठीक हो गया है। यह सुराग करीब दस लाख वर्ग किलोमीटर की परिधि में बना हुआ था और इससे पृथ्वी पर पल रहे जीवन को खतरा उत्पन्न होने लगा था। फिलहाल, यह बंद हो गया है। यह सभी कुछ लॉकडाउन की वजह से हुआ है। कोरोनाकाल में और क्या अच्छा हुआ है और यह हमारे भविष्य का संकेत कैसे माना जा रहा है? देखिए, इस रिपोर्ट में …
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