वाकिफ कहां हैं, जमाना हमारी उड़ान से। वो और थे, जो हार गए आसमान से। जीहां, किसान चाची ने अपने हौसले की उड़ान से जो परबाज भरी है। उसमें अभी कई मुकाम बाकी है। कहते हैं कि इंसान के अंदर मेहनत, लगन और कुछ कर गुजरने का जज्बा हो, तो बुलंदियां उसकी कदम चूमने को बेताब हो जाती है। प्रतिभा, किसी संसाधन की मोहताज नहीं होती और उड़ान, हौसले का हो, तो पंख छोटे पड़़ जातें हैं। पद्मश्री राज कुमारी देवी उर्फ किसान चाची की कहानी भी कुछ इसी तरह की है। ‘’खबरो की खबर’’ के इस सेगमेंट में हम किसान चाची के निजी जीवन में झांकने की कोशिश करेंगे। पहली बार हम आपको मिलायेंगे किसान चाची के पूरे परिवार से। पति, पुत्र और पतोहू से। और भी बहुत कुछ…
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This post was published on मार्च 20, 2020 17:00
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