संजय कुमार सिंह
उत्तर प्रदेश। वाराणसी के पावन स्थल रविन्द्रपुरी स्थित आघोराचार्य बाबा कीनाराम अघोर शोध एवं सेवा संस्थान में शनिवार को बड़े हीं धूमधाम से 41 वां अभिषेक, निर्वाण एवं संस्थान का स्थापना दिवस मनाया गया। अघोर गुरुपीठ क्रीकुण्ड बाबा कीनाराम स्थल के पीठाधीश्वर सर्वेश्वरी समूह व अघोर सेवा मण्डल के अध्यक्ष अघोराचार्य बाबा सिद्धार्थ गौतम राम द्वारा परिसर में मौजूद विश्वविख्यात औघर संतो की समाधि की पूजन व आरती के साथ ही समारोह की शुरुआत हुई।
तत्पश्चात पीठाधीश्वर औघर गद्दी पर विराजमान हुए जहां अघोर भक्तों का जन सैलाब अपने गुरु के आशिर्वाद व दर्शन के लिए क्रमध होकर अपने गुरू को श्रधा व भाव अर्पित करने मे लगे रहें। अलग – अलग राज्य व जिले से आये लाखो श्रध्दालुओं ने परिसर मे प्रातः कालीन से देर रात्रि तक भक्तगण बाबा का दर्शन व पूजा अर्चना करते रहे। उस बीच ‘हर हर महादेव’ उद्घघोष से पुरा परिसर गुंजायमान होता रहा। सांयकाल गोष्ठी में बाबा सिद्धार्थ गौतम राम ने महाराजश्री कीनाराम एवं बाबा राजेश्वर राम के मूर्तियों पर माल्यार्पण कर गोष्ठी का शुभारंभ किया।
पीठाधीश्वर सिद्धार्थ गौतम राम ने अपने आशीर्वचन में कहा कि जैसा कि हर वर्ष की भांति 10 फरवरी को बुढ़ऊ बाबा के श्रध्दांजलि के रूप मे मनाया जाता है और हमारे अभिषेक के उपलक्ष्य में इस सांयकालीन गोष्ठी मे आप सभी उपस्थित हुए हैं। बुढ़ऊ बाबा को मैंने बचपन मे देखा था। उस समय मैं यहाँ नही रहता था। मै पड़ाव पर रहता था। इसलिए बहुत दिन उनको देखने समझने का अवसर मुझे प्राप्त नहीं है। यदाकदा मै उनके दर्शन करने आता था। उस दौरान यहां आशु बाबा रहते थे तो आशु बाबा से मिलते हुए हम लोग निकल जाते थे।
बंधुओं इस पीठ की परम्परा है कि यहां से आपको जो मिलता है आपकी बुराई को समाप्त करता है और समाज मे एक अच्छे भावना को रखता है। उसके लिए हम सब हमेशा तत्पर रहेंगे। प्रात:कालीन आरती के पश्चात भक्तों द्वारा स्थल परिसर मे सफाई एवं श्रमदान किया गया। दोपहर मे भक्तों मे प्रशाद वितरण किया गया। सुबह से ही महिलायें एवं पुरुष बाबा कीनाराम स्थल क्रीकुण्ड मे संतान उत्पति, रोग व क्लेश इत्यादि कारणों से मुक्ति पाने के लिए कुण्ड मे स्नान व ध्यान किया। बाबा कीनाराम स्थल पर किसी भी प्रकार का भेदभाव जाति, धर्म, धर्मावलंबियों द्वारा कोई आडंबर नहीं किया जाता है। यहां कई सौ वर्षो से यह स्थल पूज्य और मान्य रहा है। वक्तागणो में प्रमुख रूप से सर्वश्री प्रभाकर तिवारी, गंगेश पाण्डेय, अरुण जीत सिंह, सीएन ओझा, डॉ. शिव प्रताप सिंह, अशोक पाण्डेय, डॉ. नन्दलाल सिंह, डॉ. गया सिंह सहित दर्जनों वक्ताओं अपनी वक्तव्य दिये। संचालन सूर्यनाथ सिंह व धन्यवाद ज्ञापन बृजभान सिंह ने किया। आयोजित समारोह मे सहयोग की अहम भूमिका निभाने मे सर्वश्री अरूण सिंह, संगीता सिंह, गुंजन, नाना, वीरेंद्र, धीरेन्द्र, महेश, नवीन संत, गोलू ने समर्पित भाव से सहयोग किया। वही रात्री काल देश के कोने- कोने से आए लोक गीत व संगीत कलाकारों ने अपने गायन से लोगों का खुब मनोरंजन कराया।
This post was published on %s = human-readable time difference 12:48
7 दिसंबर 1941 का पर्ल हार्बर हमला केवल इतिहास का एक हिस्सा नहीं है, यह… Read More
सफेद बर्फ की चादर ओढ़े लद्दाख न केवल अपनी नैसर्गिक सुंदरता बल्कि इतिहास और संस्कृति… Read More
आजादी के बाद भारत ने लोकतंत्र को अपनाया और चीन ने साम्यवाद का पथ चुना।… Read More
मौर्य साम्राज्य के पतन की कहानी, सम्राट अशोक के धम्म नीति से शुरू होकर सम्राट… Read More
सम्राट अशोक की कलिंग विजय के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया। एक… Read More
KKN लाइव के इस विशेष सेगमेंट में, कौशलेन्द्र झा मौर्यवंश के दूसरे शासक बिन्दुसार की… Read More