संतोष कुमार गुप्ता
मौजूदा आइपीएल मे अधिकांश वैसे खिलाड़ी अपनी चमक बिखेर रहे है जिनके धमक से दुनिया वाकिफ है। किंतु लचर प्रदर्शन से शुरूआत
वाशिंगटन सुंदर को मैच आॅफ द मैच चुना गया। सुंदर का यह प्रदर्शन इसलिए भी खास है क्योंकि वो रविचंद्रन अश्विन की जगह पुणे की टीम में शामिल किए गए थे और उन्होंने पुणे के लिए अपनी उपयोगिता साबित भी की है। क्रिकेट फैंस वाशिंगटन सुंदर की गेंदबाजी और बल्लेबाजी तो देख चुके हैं, लेकिन उनका नाम अभी भी लोगों के लिए उत्सुकता का विषय बना हुआ है। यह किसी को अभी तक पता नहीं है कि तमिलनाडु के हिंदू परिवार में जन्म लेने के बावजूद कैसे उनका नाम ‘वाशिंगटन’ पड़ा। कई लोंगों का यह अनुमान था कि उनके पिता भूतपूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज वाशिंगटन से काफी प्रभावित रहे होंगे इस वजह से उन्होंने अपने बेटे का नाम वाशिंगटन रख दिया। लोगों द्वारा लगाया जा रहा यह कयास कुछ हद तक तो सही है, लेकिन पूरी तरह नहीं। दरअसल, वाशिंगटन सुंदर के पिता ने उनका नाम किसी से प्रभावित होकर ही रखा है लेकिन वो अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं बल्कि भारतीय सेना का एक अधिकारी था।
अंग्रेजी अखबार ‘द हिंदू’ से बातचीत में वाशिंगटन सुंदर के पिता एम सुंदन ने यह बताया कि उन्होंने अपने बेटे का नाम क्यों वाशिंगटन रखा। उन्होंने बताया, ‘मैं एक हिंदू हूं और बहुत ही विनम्र परिवार से ताल्लुक रखता हूं। त्रिप्लिकेन में स्थित मेरे घर से दो गली हटकर आर्मी के एक रिटायर्ड अधिकारी रहते थे, उनका नाम पीडी वाशिंगटन था। वह क्रिकेट के बहुत ही शौकीन व्यक्ति थे और हमारा मैच देखने के लिए मरीना बीच पर आया करते थे। वो मेरे खेल के बहुत बड़े प्रशंसक थे। उन्होंने ही क्रिकेट से मेरा परियच करवाया। उनके सम्मान में ही मैंने अपने बेटे का नाम वाशिंगटन सुंदर रखा। मैं गरीब परिवार से था, वही मेरे स्कूल का सारा खर्च उठाते थे। मुझे किताबे दिलवाते थे, अपनी साइकिल पर बैठा कर क्रिकेट खेलने के लिए ग्राउंड तक ले जाते थे। मेरे लिए वह सबसे खास थे। मैंने जब रणजी ट्रॉफी के लिए संभावित खिलाड़ियों की लिस्ट में जगह बनाई तो सबसे ज्यादा खुश व्यक्ति वही थे। साल 1999 में उनका निधन हो गया। उसी साल मेरे बेटे का जनम हुआ। मेरी पत्नी का डिविलरी नॉर्मल नहीं था। हालांकि, बच्चा बच गया। मैंने हिंदू रीति-रिवाजों के मुताबिक मैंने बच्चे के कान में सबसे पहले भगवान का नाम लिया। लेकिन, मैंने उसका नाम उस इंसान के नाम पर रखने का फैसला किया, जिसने मेरे लिए इतना कुछ किया।
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